Breaking News

Post Top Ad

Your Ad Spot

रविवार, 16 अप्रैल 2023

कहीं राज खुलने के डर से तो नहीं हुई माफिया डॉन अतीक और अशरफ की हत्या, पूछताछ में लिया था, कई सफेदपेशों का नाम

रियल एस्टेट कारोबार में अतीक की कमाई खपाने वालों के अलावा कई सफेदपेशों तक आंच आने लगी थी, इस तरह के पचास से अधिक नामों का अतीक ने किया था,खुलासा...

माफिया डॉन अतीक अहमद और भाई अशरफ ने खोले थे,कई सफेदपोशो के नाम....

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश को दहला देने वाले संगम नगरी में हुए उमेश पाल हत्याकांड का राज उगलवाने के लिए पुलिस ने माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को चार दिन की रिमांड पर लिया था।अतीक उसके भाई अशरफ को शनिवार रात पुलिस की भारी सुरक्षा के बीच मौत के घाट उतार दिया गया। अतीक के 44 सालों की अपराध की कहानी एक मिनट से भी कम समय में खत्म हो गई। अतीक अशरफ को 18 सेकेंड के भीतर मौत की नींद सुला दिया गया। अतीक और अशरफ को जब पुलिस मेडिकल के लिए कॉल्विन अस्पताल ले जा रही थी, तभी हॉस्पिटल के बाहर 3 हमलावरों ने  फायरिंग कर दी और यूपी के माफिया ब्रदर्स मौके पर ही ढेर हो गए। 


अतीक और अशरफ की शहर के बीच अस्पताल के गेट पर पुलिस सुरक्षा घेरे में हुई हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हत्याकांड के पीछे शक की सूई रसूखदार सफेदपोशों की तरफ घूमने लगी है। एक दिन पहले ही धूमनगंज थाने में पूछताछ में माफिया अतीक अहमद ने कई बिल्डरों और बड़े लोगों से अपने संबंधों का खुलासा किया था। आशंका है कि राज खुलने के डर से अतीक और अशरफ की हत्या कराई जा सकती है। बरहाल पुलिस इस पहलू पर खास नजर बना ली है। अतीक ने पुलिस रिमांड के दौरान कई चौकाने वाले खुलासे किए। अतीक ने प्रयागराज और पूरे यूपी में अपनी काली कमाई के बल पर खड़े किए गए आर्थिक साम्राज्य में पार्टनर के तौर पर कई गणमान्यों के नाम गिनाए थे। इन लोगों ने अतीक के काले धन को अपनी कंपनियों में लगाया है। ऐसी दो सौ से अधिक सेल कंपनियों के बारे में पता चला था। 


अतीक का कई सियासी दलों के नेताओं से भी संबंध रहे हैं। अतीक सियासी दलों को साधने में माहिर था। यही कारण था कि दो दशकों तक अतीक की अंगुलियों पर सरकारें नाचती रहीं और आला पुलिस का अधिकारी अतीक के सियासी रसूख के आगे घुटने टेकते रहे। अतीक अहमद पर हत्या, अपहरण, वसूली, हमला और जमीन कब्जा समेत 102 आपराधिक मामले दर्ज थे। 17 साल की उम्र में हत्या सरीखी वारदात को अंजाम प्रयागराज में सनसनी मचाने वाले अतीक ने अपराध की दुनिया में कदम रखा तो वह आगे बढ़ता ही गया। एक के बाद एक हत्या, अपहरण, जमीन पर कब्जा, हत्या के प्रयास सरीखी सौ से अधिक वारदात को अंजाम देने वाले अतीक ने क्षेत्रीय दलों की सरकारों को अपनी अंगुलियों पर खूब नचाया, लेकिन इसके पीछे जमीने हड़पना और बिल्डरों की कंपनियों में खपाना अतीक का सबसे बड़ा खेल रहा। 


योगी सरकार में अतीक के आर्थिक साम्राज्य पर लगातार चोट पड़ने और 12 सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त किए जाने के बाद भी अतीक की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा था। अतीक अहमद के परिवार के लिए अप्रैल माह बहुत ही अशुभ रहा। अप्रैल में अतीक का वर्चस्व के साथ ही सब कुछ खत्म हो गया। अतीक की हत्या के बाद अब उसके लिए कोई रोने वाला नहीं बचा। अतीक के दोनों बड़े बेटे जेल में है। तीसरे बेटे का एनकाउंटर हो चुका है। दो नाबालिग बेटे पुलिस की सुरक्षा में बाल सुधार गृह में हैं। पत्नी शाइस्ता परवीन फरार है। अशरफ की पत्नी भी आरोपी है और वो भी फरार है। जो बहन पैरवी कर रही थी, वो भी फरार है। रिश्तेदारों की भी हिम्मत नहीं पड़ रही थी कि अतीक के शव के पास आकर आंसू बहा दें। इसीलिए कहा गया है कि पुरुष बली नहीं होत है, समय होत बलवान, भीलन लूटीं गोपियाँ, वही अर्जुन वही बाण। 


24 फरवरी को जब बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या हुई तो किसी ने यह नहीं सोचा था कि दो महीने के अंदर ही अतीक का सर्वनाश हो जाएगा। फरवरी और मार्च तो किसी तरह कट गया, लेकिन अप्रैल में अतीक के सर्वनाश की शुरूआत हो गई थी। 14 अप्रैल से लेकर 16 अप्रैल की रात तक सब कुछ खत्म हो गया। सबसे पहले अतीक के तीसरे नंबर के बेटे असद को झांसी में गुरुवार को एसटीएफ ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया। गुरुवार को अतीक और उसके भाई की कस्टडी रिमांड पुलिस को मिल गई थी। 16 अप्रैल की सुबह असद को सुपुर्दे खाक किया गया, लेकिन अतीक और उसके परिवार का कोई भी शख्स जनाजे में नहीं शामिल हो पाया। रात में अतीक और अशरफ की काॅलविन अस्पताल के गेट पर हत्या कर दी गई। इससे पहले 28 मार्च को उमेश पाल अपहरणकांड में अतीक और उसके दो गुर्गों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Top Ad

Your Ad Spot

अधिक जानें