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बुधवार, 1 नवंबर 2023

आठ वर्ष बीत जाने के बाद भी गोयल रेजीडेंसी में मृत हुए दस लोगों के परिजनों को नहीं मिली कोई सहायता राशि, न सरकार दी और न होटल संचालक, उल्टे नाम बदलकर खोल लिया पुनः होटल

देश के महामहिम राष्ट्रपति,  उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश, अपर मुख्य सचिव गृह (गोपन) विभाग, पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश, अपर पुलिस महानिदेशक प्रयागराज जोन, पुलिस महानिरीक्षक प्रयागराज रेंज, मंडलायुक्त प्रयागराज मंडल, प्रयागराज,  जिलाधिकारी प्रतापगढ़ एवं पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ से अनिल कुमार विश्वकर्मा ने की कथित भाजपा नेता सुनील कुमार गोयल की शिकायत... 

गोयल रेजीडेंसी में लगी थी भयंकर आग, दस लोग होटल के अन्दर तोड़े थे, दम...  

आठ वर्ष बीच जाने के बाद भी कोतवाली नगर क्षेत्र के बाबागंज गोयल रेजीडेंसी/आर्यन रेस्टोरेंट में 19 जून, 2015 को हुए भीषण अग्निकांड में 10 लोंगो की मौत और 2 दर्जन से अधिक घायल होने के बाद सिर्फ बयान में सील किया गया होटल/रेस्टोरेंट को कुछ ही दिनों बाद खोल दिया गया। जबकि सभी तरह की जाँच में होटल प्रबंधन की घोर लापरवाही से होटल में आग लगी और 10 लोग मृत हुए। उक्त प्रकरण में माननीय हाईकोर्ट में विनोद पाण्डेय एडवोकेट द्वारा जनहित याचिका दाखिल किया गया था, जिसमें शासन व प्रशासन द्वारा झूठा हलफनामा देकर उसे डिस्पोजड करा दिया। हाईकोर्ट भी शासन प्रशासन से तश्दीक न करा सकी कि होटल गोयल रेजीडेंसी की अग्निकांड के बाद होटल संचालन में की गई घोर लापरवाही के खिलाफ क्या दंड निर्धारित किया ?

जिंजर रेस्टोरेंट व सत्यम होटल जिसमें संचालित है, वही कभी गोयल रेजीडेंसी था...

जिला प्रशासन की घोर प्रशासनिक लापरवाही की वजह से सुनील गोयल द्वारा नाम बदल कर उसी ध्वस्तीकरण वाली बिल्डिंग में पुनः होटल/रेस्टोरेंट खोल लिया, जबकि नियंत्रक प्राधिकारी/जिलाधिकारी प्रतापगढ़ द्वारा उक्त बिल्डिंग को मानचित्र के बिपरीत निर्माण किये जाने के कारण उसके ध्वस्तीकरण का आदेश दिया था, आदेश का अनुपालन आज तक नहीं हो सका। जबकि प्रदेश में माफियाओं की मानक के विपरीत बनी बिल्डिंग को चिन्हित कर उसे ध्वस्त किया जा रहा है। फिर कथित भाजपा नेता के मानक विहीन बिल्डिंग को महज इसलिए बचाया जा रहा है कि वह सत्ताधारी दल में शामिल होकर कुछ नेताओं की चरण वंदना और उनकी सेवा सत्कार करता है। इसीलिये अनिल कुमार ने सभी जिम्मेदारों को उक्त गंभीर प्रकरण की शिकायत को संज्ञान में लेकर कठोर कार्रवाई करने की फरियाद की है। 

गोयल रेजीडेंसी होटल में आअग लगने के बाद पुलिस को मिली थी,शराब की बोतलें...

सत्ताधारी दल के नेताओं की जी हुजूरी करते हुए प्रतापगढ़ में एक जालसाज और फरेबी किस्म का ब्यक्ति जिस पर दर्जनों आपराधिक मुकदमें अकेले प्रतापगढ़ में दर्ज है। सभी मामलों में माननीय न्यायालय में पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल होने के बाद उस पर ट्रायल चल रहा है। फिर भी हरफन में माहिर सुनील कुमार गोयल के खिलाफ अलग-अलग लोगों द्वारा पूर्व में होटल गोयल रेजीडेंसी में आग लगने के बाद से कई बार जनहित में शिकायत की गई, परन्तु उसके विरुद्ध जिला प्रशासन कोई कार्यवाही नहीं करता। सच्चाई तो यह है कि जिला प्रशासन अपनी ही कार्यवाही के आदेश का अनुपालन आजतक नहीं करा सकी। मजेदार बात यह रही कि सुनील कुमार गोयल जो फरेबी और मक्कारी की पीएचडी की डिग्री हासिल कर रखा है, उसने आर्यन रेस्टोरेंट की एक वर्ष की फ्रेंचाईजी लेकर एक वर्ष में ही अपने नाम का वाणिज्य कर विभाग में फ़ूड मंत्रा के नाम से फर्म बनाकर ग्राहकों को अलग से चूना लगाता था।  


कोतवाली नगर, प्रतापगढ़ के होटल गोयल रेजीडेंसी में आग लगने के बाद जिला प्रशासन द्वारा उसे बंद करा दिया गया था। होटल स्वामी उसे खोलने का कई बार प्रयास किया, परन्तु हर बार उसे जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन बंद करा देता था। ऐसी जानकारी समाचार पत्रों के माध्यम से प्रार्थी को भी प्राप्त होती रही। होटल गोयल रेजीडेंसी के निर्मित भवन का एक वाद नियत प्राधिकारी, विनियमित क्षेत्र प्रतापगढ़ के यहाँ योजित था, जिसमें निर्मित बिल्डिंग को मानक के विपरीत मानते हुए उसको ध्वस्त करने का आदेश दिया गया था। भवन स्वामी सुनील कुमार गोयल ने नियंत्रक प्राधिकारी, विनियमित क्षेत्र के न्यायालय में नियत प्राधिकारी के उस निर्णय के विरुद्ध अपील दाखिल किया। 


जिलाधिकारी महोदय ने कमेटी गठित कर उक्त प्रकरण की सुनवाई करते हुए नियत प्राधिकारी/उप जिलाधिकारी सदर के आदेश को सही ठहराते हुए मानक के विरुद्ध निर्माण होने की दशा में बिल्डिंग को ध्वस्त करने का आदेश दे दिया। ये बात समझ में आती है कि भवन स्वामी रेखा गोयल उक्त निर्णय के विरुद्ध सक्षम अधिकारी अथवा सक्षम न्यायालय के यहाँ अपील किया हो और उस अपील में उन्हें स्थगनादेश भी मिला हो, परन्तु जब तक जिलाधिकारी, प्रतापगढ़ के आदेश को निरस्त नहीं किया जाता, तब तक उक्त भवन किसी भी प्रयोज्य के लिए फिर से नहीं खुल सकता। परन्तु वर्ष-2018 में शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन गोयल रेजीडेंसी का भवन खोलकर उसमें फर्नीचर का सामान रखकर शटर खोलकर जिलाधिकारी, प्रतापगढ़ के आदेश का खुला उलंघन किया गया। 


आठ वर्ष पूर्व दस लोंगो की आग लगने से मौत के बाद होटल सील किया गया और जांच के दौरान उसे कई बार खोला गया और होटल स्वामी सुनील कुमार गोयल के जेल से रिहा होते ही सील होटल की चाभी उन तक पहुँच गई और उनके द्वारा कई बार उसे खोलने का प्रयास किया गया। परन्तु हर बार वो असफल रहे।फिर उन्होंने एक योजना के तहत आगे से शटर बंद करके अन्दर ही अन्दर उसे पूरी तरह बना लिया और वर्ष-2018 के शारदीय नवरात्रि पर उसे खोल भी लिया। जब प्रशानिक अधिकारी द्वारा हर बार खोलने पर उसे बंद करा दिया जाता रहा तो वर्ष-2018 के शारदीय नवरात्रि पर किस सक्षम अधिकारी के आदेश पर बंद किया गया होटल खोल लिया गया। मजेदार बात यह रही कि सुनील कुमार गोयल जो फरेबी और मक्कारी की पीएचडी की डिग्री हासिल कर रखा है। 


आर्यन रेस्टोरेंट की एक वर्ष की फ्रेंचाईजी लेकर एक वर्ष में ही अपने नाम का वाणिज्य कर विभाग में फ़ूड मंत्रा के नाम से फर्म बनाकर ग्राहकों को अलग से चूना लगाता था। लोग आर्यन रेस्टोरेंट समझकर नाश्ता और भोजन करने जाते थे और वहां सुनील गोयल अपना फ़ूड मंत्रा फर्म को रजिस्टर्ड कराकर उसे आगे बढ़ा रहा था उक्त प्रकरण में जिलाधिकारी के आदेश का क्रियान्वन भी नहीं हुआ। शिकायतकर्ता के मुताविक माना कि होटल स्वामी सुनील कुमार गोयल अपीलीय कोर्ट जाकर ध्वस्त करने वाले आदेश के खिलाफ अपील दायर कर स्टे लिये होंगे न कि होटल वाली बिल्डिंग को खोलने का आदेश प्राप्त किये होंगे। जबकि उक्त प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद “खंडपीठ लखनऊ” में दायर जनहित याचिका रिट संख्या – 5491/2015 MB में तत्कालीन मुख्य सचिव, उ.प्र. शासन श्री आलोक रंजन जी स्वयं प्रति शपथ पत्र देकर माननीय न्यायालय को बताया था कि होटल गोयल रेजीडेंसी की घटना गंभीर है। 


आयुक्त, इलाहाबाद, मंडल इलाहाबाद के सुपरविजन में एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर जांच कराने का आश्वासन भी दिया गया था। उक्त जनहित याचिका को डिस्पोजड कर दिया गया। जबकि उसी बिल्डिंग में सुनील कुमार गोयल अपने बेटे के नाम  होटल और जिंजर रेस्टोरेंट खोल लिया। इन सबके बाद भी सुनील गोयल क्या देश के संविधान और कानून से ऊपर है, जो विना किसी सक्षम आदेश के उक्त मानक के विपरीत बनी बिल्डिंग को पुनः अपने रसूख के बल पर खोल लिया और जिला प्रशासन मूक बना रहा। जिला प्रशासन को पता है कि उक्त बिल्डिंग मानक के विरुद्ध निर्मित है। अग्नि शमन और बिजली का कनेक्शन भी नियमत: नहीं लिया गया। फिर भी वी.के. इलेक्ट्रानिक के नाम का बोर्ड लगाकर उसमें फर्नीचर का सामान उतारकर होटल गोयल रेजीडेंसी की बिल्डिंग में रख लिया, जिसमें 10 लोग जलकर मर गए थे और 2 दर्जन से अधिक मरणासन्न हुए थे।  


जिला प्रशासन के लचर रवैए से होटल स्वामी सुनील कुमार गोयल खोलकर अपने मकसद में कामयाब रहा। सुनील कुमार गोयल के कृत्य को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि होटल गोयल रेजीडेंसी की बिल्डिंग को खोलने में उसे शासन व प्रशासन का परोक्ष रूप से सहयोग मिलता रहा। तभी बिजली विभाग उस बिल्डिंग में उसे फिर से नया कनेक्शन प्रदान कर दिया। जबकि आयुक्त, इलाहाबाद मंडल इलाहाबाद की देखरेख में त्रिस्तरीय गठित कमेटी की जाँच आख्या में बिल्डिंग का निर्माण स्वीकृत मानचित्र के बिपरीत पाया गया था। साथ ही जाँच आख्या में स्पष्ट रूप से होटल संचालन में गड़बड़ी और जिला प्रशासन द्वारा पर्यवेक्षणीय शिथलता की बात स्वीकार करते हुए शासन में रिपोर्ट प्रेषित की गई थी। जांच में बिजली के कनेक्शन में भी कमी पाई गई थी। साथ ही अग्नि श्मन विभाग की भी एनओसी में कई कमियां मिली थी। 


सबसे अहम बात यह रही कि होटल और रेस्टोरेंट संचालित करने का लाईसेंस भी सुनील कुमार गोयल द्वारा नहीं लिया गया था। इतनी कमियों के बाद होटल संचालित हुआ और भीषण अग्निकांड में 10 लोगों की मौत के बाद भी जिला प्रशासन की आँख नहीं खुली। बिजली विभाग फिर से उस बिल्डिंग में कनेक्शन किस आधार पर दिया ये तो वही जान सकता है। सुनील कुमार गोयल पुनः उक्त बिल्डिंग में होटल और रेस्टोरेंट संचालित करने के लिए पूरी तैयारी कर नाम बदलकर जिंजर रेस्टोरेंट और सत्यम होटल डॉट इन के नाम से संचालित कर लिया। क्या जिला प्रशासन सहित होटल/रेस्टोरेंट संचालित करने के लिए सभी विभागों से ली जाने वाली एनओसी फिर से आँख मूँद कर सुनील कुमार गोयल के रसूख पर दे दी गई। सुनील कुमार गोयल अपने उल्टे सीधे धंधे को संचालित करने के लिए भाजपा में शामिल हुआ। 


सत्ताधारी दल का उसे ऐसा नशा स्वर हुआ कि वह प्रतापगढ़ की एक न्यायालय में चल रहे एक वाद में जज साहेब को ही धमकी दे डाली थी। उक्त प्रकरण जनहित से जुड़ा है। एक घटना के बाद दूसरी घटना न घटित हो इसकी जिम्मेवारी समाज के सभी वर्ग की होती है। खास कर ब्यवस्था में बैठे उन सभी लोगो की जिनकी अनुमति के बिना कोई होटल और रेस्टोरेंट संचालित ही न हो सकता हो ! फिर ऐसे लोग यदि मूकदर्शक बनकर तमाशा देखेंगे तो पुनः घटना घटित होने पर सिस्टम पर ही सवाल खड़ा होगा। जबकि वर्तमान में पूरे प्रदेश में योगी सरकार द्वारा कई माफियाओं और उनके करीबियों की बिल्डिंग को चिन्हित कर उसे ध्वस्त किया जा रहा है। ध्वस्त करने के बाद सरकार और सिस्टम से जुड़े लोग यही बताते हैं कि जिन बिल्डिंग को ध्वस्त किया गया, वह मानक के बिपरीत बनी थी। फिर सुनील गोयल की बिल्डिंग का  अभी तक ध्वस्तीकरण क्यों नहीं किया गया ?


जबकि प्रतापगढ़ में उक्त बिल्डिंग के विरुद्ध सुनवाई करते हुए निर्णय लिया गया कि होटल गोयल रेजीडेंसी की बिल्डिंग स्वीकृत मानचित्र के मानकों के बिपरीत बनी है। फिर एक जैसे मामलों में दोहरा चरित्र क्यों दिखाया जा रहा है ? फिर जनता को यह मान लेना चाहिए कि वर्तमान में जो माफियाओं के विरुद्ध अवैध विल्डिंग पर योगी सरकार का बुल्डोजर चल रहा है वो राजनीतिक नफा नुकसान पर आधारित है। लिहाजा उक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए तत्काल प्रभाव से सुनील कुमार गोयल के राजनीतिक रसूख को दरकिनार करके उसके द्वारा विधि विरुद्ध ढंग से उक्त बिल्डिंग में पुनः संचालित हो रहे रेस्टोरेंट और होटल को रोका जाए, ताकि भविष्य में 19 जून, 2015 की घटना की पुनरावृत्ति से बचा जा सके। चूँकि 10 लोग जो होटल के अंदर घुट घुटकर अपनी जान गवाएं उनकी परिजनों को होटल स्वामी फूटी कौड़ी भी नहीं दिया है और अपना होटल नाम बदल कर जिला प्रशासन की कृपा से संचालित करने लगा।  


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