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रविवार, 30 अप्रैल 2023

शूटरों ने एके47 से की थी 400 राउंड फायरिंग सात को उतारा था मौत के घाट अब 10 साल की सजा के बाद भाई की संसदी भी छिनी

 

अंसारी ब्रदर्स की भी मुश्किलें भी बढती दिख रही 

गाजीपुर।उत्तर प्रदेश में अब एक और माफिया पर न्यायालय का चाबुक चला है। जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी पर गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मुख्तार को 10 साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही पांच लाख का जुर्माना भी लगाया है। मुख्तार के भाई बहुजन समाज पार्टी से सांसद अफजाल अंसारी को भी कोर्ट ने चार साल की सजा सुनाई है। साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसी के साथ ही अब यह तय हो गया है कि अफजाल की सांसदी भी छिन गयी है 


गाजीपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट में चल रहे इस मामले में बीते 15 अप्रैल को फैसला आना था। न्यायाधीश के अवकाश पर होने की वजह से फैसला नहीं आ पाया था। ऐसे में फैसले के लिए 29 अप्रैल की तारीख नियत की गई थी। साल 2007 के इस मामले में बीते एक अप्रैल को बहस और सुनवाई पूरी कर ली गयी थी और 15 अप्रैल को फैसला होना था। मुख़्तार अंसारी और अफजाल अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत एमपी/एमएलए कोर्ट में चल रहे इस केस में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड केस गैंग चार्ट में शामिल है। जबकि नन्दकिशोर रूंगटा के अपहरण और हत्या का केस भी गैंग चार्ट में शामिल है। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या ने उत्तर प्रदेश को ही नहीं पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।आइए जानते हैं उस दिन क्या हुआ था।


जानें क्या था पूरा मामला ....


आज से 18 साल पहले 29 नवंबर 2005 को गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक कृष्णानंद राय अपने काफिले के साथ भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने गए थे। गांव अधिक दूरी पर नहीं था इस लिए उस दिन कृष्णानंद राय अपनी बुलेट प्रूफ गाड़ी नहीं ले गए थे। कृष्णानंद राय जब कार्यक्रम से लौट रहे थे तो बसनिया चट्टी के पास घात लगाए बैठे शूटरों ने उनके काफिले पर हमला कर दिया था। शूटरों ने एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग की। कई मिनट तक पूरा इलाका गोलियों की आवाज से गूंजता रहा। शूटरों ने 400 राउंड फायरिंग की थी। शूटरों ने कृष्णानंद राय के शरीर को गोलियों से भून डाला था। बताया जाता है कि कृष्णानंद राय के शरीर से 60 से भी अधिक गोलियां मिली थीं। इतना ही नहीं शूटरों ने कृष्णानंद राय की शिखा भी काट दी थी। इस हमले में कृष्णानंद राय के काफिले में शामिल 7 लोग भी मारे गए थे। इस हत्याकांड में माफिया मुख्तार अंसारी और उनके भाई बहुजन समाज पार्टी से सांसद अफजाल अंसारी को आरोपी बनाया गया था। हत्याकांड की वजह चुनावी रंजिश वजह थी। मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट मुख्तार और अफजाल अंसारी के प्रभाव वाली सीट थी, लेकिन 2002 जब चुनाव हुआ तो कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हराकर उस सीट पर कब्जा कर लिया था। ऐसा कहा जाता है कि इसी के बाद दोनों भाइयों ने कृष्णानंद राय को जान से मारने का मन बना लिया था। बरहाल जब यह हत्याकांड हुआ उस समय मुख्तार जेल में था।


सातों लोगों का शव पोस्टमार्टम के लिए बीएचयू ले जाया जाने लगा तो भाजपा विधायक के समर्थक उग्र हो गए थे और जगह-जगह तोड़फोड़ और हिंसा की गई थी। कृष्णानंद राय की हत्या के बाद बलिया से लेकर मऊ, गाजीपुर और बनारस तक उनके समर्थकों में एक हफ्ते तक जबरदस्त गुस्सा देखने को मिला था। अपने नेता की सनसनीखेज हत्या को समर्थक पचा नहीं पा रहे थे। नृशंस हत्याकांड के विरोध में समर्थकों ने जगह-जगह आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसा की थी। वहीं, वाराणसी शहर की बात करें तो यहां समर्थकों ने लंका, भेलूपुर, कमच्छा, सिगरा, इंग्लिशिया लाइन और लहुराबीर सहित कुछेक अन्य इलाकों में जमकर उपद्रव किया था। समर्थकों का आक्रोश देखते हुए कई निजी स्कूल और कॉलेज कुछ दिनों के लिए बंद कर दिए गए थे। इसके साथ ही गाजीपुर और बनारस में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था। कृष्णानंद राय हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट ने मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, जिसमें अफजाल अंसारी, संजीव माहेश्वरी, एजाजुल हक, रामू मल्लाह, मंसूर अंसारी, राकेश पांडे और मुन्ना बजरंगी शामिल थे। बरहाल मुन्ना बजरंगी की कुछ साल पहले जेल में ही हत्या कर दी गई थी।


मुख़्तार का 8 राज्यों में फैला है नेटवर्क ....


मुख्तार अंसारी बहुत बड़ा माफिया है। मुख़्तार ने उत्तर प्रदेश के अलावा मुंबई, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, दिल्ली और मध्य प्रदेश में भी नेटवर्क फैलाया है। मुख़्तार ने गैंगस्टर जसविंदर सिंह रॉकी की मदद से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अपनी पकड़ मजबूत की। मुख़्तार पर देशभर में 61 मामले दर्ज हैं, जिसमें 24 मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। शायद यही कारण है कि एक केस की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि मुख्तार का गैंग देश का सबसे खूंखार आपराधिक गिरोह है।


मुख़्तार पर 1988 में दर्ज हुआ हत्या का पहला केस....


माफिया मुख्तार अंसारी पर साल 1988 में गाजीपुर कोतवाली में हत्या की पहली रिपोर्ट दर्ज हुई थी।मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्‍तार का नाम सामने आया था। इसी दौरान बनारस में त्रिभुवन सिंह के भाई कॉन्स्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी। इसमें भी मुख्तार को आरोपी बनाया गया है। त्रिभुवन सिंह माफिया बृजेश सिंह का करीबी था। मुख्तार और बृजेश सिंह की दुश्मनी भी उसी दौरान हुई थी। 1990 में गाजीपुर के सरकारी ठेकों पर बृजेश सिंह गैंग ने कब्जा करना शुरू कर दिया था, लेकिन मुख्तार गिरोह ये ठेके छीनने शुरू कर दिए थे।


18 साल से जेल में बंद है मुख्तार अंसारी ....


माफिया मुख्तार अंसारी पिछले 18 साल से जेल में बंद है। बरहाल जेल में रहते हुए भी मुख्तार का अपराध का सिलसिला जारी है। जेल के अंदर रहते हुए भी मुख्तार पर गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ जिले के थानों में अब तक हत्या के 8 मामले दर्ज हो चुके हैं। इसी साल मुख्तार पर गाजीपुर के मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र में उसरी चट्टी हत्याकांड को लेकर 61वां केस दर्ज हुआ है। मुख्तार पर हत्या के 18 केस दर्ज हैं जबकि हत्या के प्रयास के 10 मुकदमे दर्ज हैं। इसके अलावा मुख्तार पर टाडा, गैंगस्टर ऐक्ट, एनएसए, आर्म्स ऐक्ट और मकोका ऐक्ट के तहत खिलाफ केस दर्ज हैं।


मऊ दंगा और कृष्णानंद की हत्या ने ध्यान खींचा....


साल 2005 में उत्तर प्रदेश में दो बड़ी वारदात हुई थीं। दोनों में मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया था।पहला मामला मऊ दंगों से जुड़ा हुआ है। यहां भरत मिलाप के दौरान दंगा भड़क गया था। मुख्तार का एक कथित वीडियो सामने आया था। वीडियो में मुख्तार जिप्सी में अपने हथियारबंद गुर्गों के साथ दंगाग्रस्त इलाकों में घूमता दिखाई दिया था। मऊ दंगे के समय ही मुख्तार की एके-47 के साथ खुली जीप में तस्वीर वायरल हुई थी। इस मामले में मुख्तार ने 25 अक्टूबर 2005 को गाजीपुर में सरेंडर कर दिया था।इसके बाद से मुख्तार जेल में बंद है। लगभग एक महीने के बाद 29 नवंबर को 400 राउंड फायरिंग कर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या कर दी गई थी।इस हत्याकांड में भी मुख्तार को मुख्य आरोपी बनाया गया था। सीबीआई ने मामले की जांच की, लेकिन मुख्तार बरी हो गया था। कृष्णानंद राय ने मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी को 2002 के विधानसभा चुनाव में हराया था। साथ ही कृष्णानंद राय उस समय मुख्तार के सबसे बड़े दुश्मन बृजेश सिंह की मदद भी कर रहे थे। कृष्णानंद राय हत्याकांड के लिए मुख्तार ने जेल में बैठकर शूटर मुन्ना बजरंगी की मदद ली थी। साल 2018 में मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई थी। कृष्णानंद राय हत्याकांड के गवाह शशिकांत राय की साल 2006 में रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी। इसमें भी मुख्तार का नाम सामने आया था।


मुख्तार अंसारी के नाम पर कई और घटनाएं भी दर्ज हैं। 1991 में पुलिस मुख्तार की गिरफ्तारी करने के लिए जुटी हुई थी। इस दौरान मुख्तार को चंदौली में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन वह दो पुलिसकर्मियों को गोली मारकर फरार हो गया था। इसके बाद साल 1996 में एएसपी उदय शंकर पर हमला किया था। 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा का अपहरण कर लिया था।मुख्तार पर राजेंद्र सिंह हत्याकांड, वशिष्ठ तिवारी उर्फ माला गुरु हत्याकांड, अवधेश राय हत्याकांड,  गाजीपुर में एडिशनल एसपी एवं अन्य पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला मामले का भी केस दर्ज है।


पांच बार विधायक रहा  चूका मुख्तार अंसारी ....


 साल 1995 में पहली बार माफिया मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। मुख़्तार ने यह चुनाव जेल में रहते हुए कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव चिह्न पर लड़ा था। बरहाल मुख्तार यह चुनाव हार गया था। साल 1996 में मुख्तार ने बीएसपी में शामिल हो गया. वह गाजीपुर का बीएसपी का जिला अध्यक्ष बनाया गया फिर उसी साल मऊ सदर सीट से उसे चुनाव टिकट दे दिया गया  वह पहली बार चुनाव जीता. 2002 और 2007 में उसने निर्दलीय चुनाव जीता था वह 2017 तक लगतार चुनाव जीता मुख्तार ने अपने आखिरी तीन चुनाव जेल में रहते हुए जीते थे 2022 में मुख्तार ने अपनी राजनीतिक विरासत बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी थी


448 करोड़ की संपत्ति हो चुकी है जब्त....


योगी सरकार माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अब तक 448 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुकी है. इन संपत्तियों में मुख्तार की पत्नी अफशा अंसारी, बेटे अब्बास अंसारी व भाइयों की संपत्ति भी शामिल है।आयकर विभाग ने हाल में यूपी और अन्य स्थानों पर 127 करोड़ रुपये कीमत की लगभग दो दर्जन बेनामी संपत्तियों का पता लगाया है। इन्हें भी एक-एक करके जब्त किया जा रहा है। इसके अलावा उसे करीब 83 शस्त्र लाइसेंस अब तक जब्त किए जा चुके हैं।

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