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रविवार, 30 अप्रैल 2023

माफिया ब्रदर्स के अपनों ने ही तो नही रची थी हत्या की साजिश पर्दाफाश होने के डर से तो नही रचा गया षड़यंत्र

 
कही माफिया डॉन ब्रदर  की हत्या में अपनों का तो ही हाथ नही 


प्रयागराज। 17 साल की उम्र से खून की नदियां बहाने वाले माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। अतीक और अशरफ की हत्या के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस ने अपनी जांच में दावा किया है कि अतीक अहमद ने पुलिस हिरासत में खुद पर हमले की साजिश रची थी। अतीक फायरिंग और बमबाजी करवाकर अपनी सुरक्षा को और मजबूत करना चाहता था। उसे लगा कि हमले के नाटक के बाद न तो कोई  उसे मार पाएगा और न ही पुलिस उसका एनकाउंटर कर पाएगी। इसके लिए अतीक अपने खास शूटर बमबाज गुड्डू मुस्लिम को जिम्मेदारी सौंपी थी। गुड्डू मुस्लिम ने पूर्वांचल के कुछ बदमाशों से भी संपर्क किया था।

पुलिस ने दावा किया है कि साजिश के तहत यह तय हुआ कि साबरमती जेल से लाए जाने के दौरान अतीक अहमद पर रास्ते में या प्रयागराज में किसी जगह पर हमला किया जाएगा। हमले में अतीक अहमद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना था। तय साजिश के तहत नजदीक से फायरिंग करनी थी और आसपास बम फेंके जाने थे। इसके जरिए यह संदेश देना था कि अतीक अहमद पर उनके विरोधियों ने हमला किया है, इसलिए उसकी सुरक्षा बढ़ाई जानी चाहिए।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                         
पुलिस को यह भी जानकारी मिली है कि अतीक और अशरफ पर हमला करने के लिए पूर्वांचल से भी कुछ बदमाश प्रयागराज आए थे। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि कहीं तीनों शूटर लवलेश,अरुण और सनी को अतीक अहमद के गिरोह ने तो नहीं बुलाया था। कहीं ऐसा तो नहीं कि गिरोह के किसी सदस्य ने हमले का नाटक करने की बजाय धोखे से मारने के लिए सुपारी दे दी हो, कहीं ऐसा तो नहीं है कि तीनों शूटरों को कहीं और से निर्देश मिले हों और उन्होंने डबल क्रॉस कर लिया हो। पुलिस को इसलिए भी शक है क्योंकि तीनों ने घटना के बाद सरेंडर कर दिया था।बरहाल शूटर बार-बार इसी बात को दोहरा रहे हैं कि उन्हें किसी ने नहीं भेजा। उन्होंने खुद ही हत्या की है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                
माना जा रहा है कि पुलिस जांच पूरी होने के बाद और भी कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। अतीक अहमद ने साल 2002 में भी खुद पर हमले का ड्रामा रचा था। 2002 में अदालत में पेशी के दौरान पुलिस हिरासत में अतीक पर बम से हमला किया गया था तब अतीक को मामूली चोटें आई थीं। जांच में यह पता चला था कि अतीक ने ही वह हमला करवाया था। बता दे की उमेश  पाल हत्याकांड में फरारी काट रहा बमबाज गुड्डू मुस्लिम अभी तक पुलिस के हाथ से दूर है साथ ही हत्याकांड में शामिल  माफिया डॉन कि बेगम  शाइस्ता परवीन और बहन आयशा नूरी भी फर्रार चल रही है जिनपर यूपी पुलिस इनाम बढाने वाली है साथ हर जगह दबिश दी जा रही है फिर भी पुलिस के हाथ अभी भी खाली है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                             
बीते दिनों अतीक अहमद की हत्या से कुछ सेकंड पहले का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दिख रहा है कि कॉल्विन अस्पताल के गेट पर पुलिस की जीप से उतरते समय अतीक  पलभर के लिए ठहरा था। उतरने से पहले अतीक का एक पैर गाड़ी में था और जीप के सहारे खड़ा था, तभी उसकी नजर अस्पताल की ओर पड़ी। वहां पर करीब चार सेकेंड वह देखता रहा। इसके बाद सिर हिलाकर कुछ इशारा किया और फिर गाड़ी से नीचे उतरा।इसके बाद वह जैसे ही अस्पताल परिसर में पहुंचा, तभी शूटरों ने मीडियाकर्मी बनकर गोलियां बरसा दीं। सिर हिलाने से लेकर गोली बरसाने तक की ये पूरी घटना कैमरे में कैद है।अब सवाल यह है कि वह व्यक्ति कौन था, जिसको देखकर अतीक अहमद ने सिर हिलाया था।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                          अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करने वाले शूटरों को लेकर की गई जांच में एसआईटी ने पिछले दिनों 4 मोबाइल नंबरों का पता लगाया था।इनमें लवलेश तिवारी और एक अन्य शूटर अरुण मौर्य का मोबाइल नंबर शामिल है। इन नंबरों को कॉल डिटेल भी एसआईटी को मिल गई है।पुलिस अब सीडीआर के जरिए पता लगा रही है कि वारदात से पहले शूटरों ने किससे और कितनी बार बात की। बताया जा रहा है कि बांदा के रहने वाले शूटर लवलेश तिवारी ने हत्या से पहले आखिरी कॉल अपने भतीजे को की थी। इसी के साथ परिवार के लोगों से भी बातचीत की थी। इसके बाद उसने मोबाइल व सिम तोड़कर फेंक दिया था। दूसरे शूटर अरुण मौर्य ने अपना मोबाइल व सिम नोएडा में नष्ट कर दिया था। लवलेश ने 12 अप्रैल को लखनऊ में मोबाइल व सिम कार्ड नष्ट किया था। एसआईटी ने जांच में इससे जुड़े 24 अन्य लोगों को नोटिस जारी किया है, इनमें पुलिसकर्मी के साथ मीडियाकर्मी व पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर व अन्य लोग शामिल हैं।                                                                                                                                                                                                                                        
एसआईटी को शूटरों के पास से आधार कार्ड भी मिला, जो फर्जी था। आधार में नाम व पिता का नाम तो सही था, लेकिन पता गलत लिखा था। इस आधार में तीनों का पता चित्रकूट ही दर्ज था। एसआईटी को सीडीआर से कुछ ऐसे नंबर मिले हैं, जिसमें बी और सी पार्टी के बारे में भी पुलिस को जानकारी जुटा रही है। अतीक-अशरफ की हत्या करने वाले तीनों शूटर यूपी के अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं।शूटर लवलेश तिवारी बांदा का रहने वाला है, जबकि अरुण कासगंज का रहने वाला है। वहीं तीसरा शूटर सनी हमीरपुर का रहने वाला है। पुलिस का कहना है कि तीनों आरोपी अतीक और अशरफ की हत्या के मकसद से ही प्रयागराज पहुंचे थे।
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  अतीक अहमद और अशरफ पर तीनों शूटरों ने चंद सेकंड आगे-पीछे एक साथ फायरिंग की थी। पुलिस के सामने सबसे बडा़ सवाल ये था कि इन तीनों शूटरों को लीड कौन कर रहा था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक पहले दिन की पूछताछ में शूटरों के हवाले से ये खुलासा हुआ है कि सनी सिंह खुद अपराधी और माफिया सुंदर भाटी गैंग के संपर्क में रह चुका है। हमीरपुर जेल में रहने के दौरान सनी सिंह सुंदर भाटी गैंग के संपर्क में आया था। सनी सिंह ने ही लवलेश तिवारी और अरुण को हत्या में शामिल किया था। शूटर सनी सिंह ने कहा था कि वो किसी के लिए काम नहीं करता, वो खुद एक डॉन है और उसने पैसे और शोहरत की चाहत में अतीक-अशरफ की हत्या की है। शूटर लवलेश तिवारी ने बताया कि वो कट्टर हिंदूवादी है और मशहूर होने के लिए उसने अतीक-अशरफ की हत्या कर दी। शूटर अरुण ने कहा था कि अतीक और अशरफ की हत्या करके वो ढेर सारा पैसा और पब्लिसिटी पाना चाहता था। पूछताछ में तीनों शूटरों ने कहा था कि अतीक अहमद की हत्या के लिए 14 अप्रैल को भी कोशिश की थी। पुलिस रिमांड के लिए सुनवाई में अदालत जाते समय आसपास मौजूद थे, लेकिन बेहद सख्त सुरक्षा घेरा देखकर हमले का प्लान टाल दिया था।

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