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बुधवार, 19 जनवरी 2022

कुछ को छोड़कर भाजपा इस बार विधानसभा के चुनावों में नहीं देगी बड़े नेताओं के बेटों और परिवारीजनों को टिकट

उत्तर प्रदेश के दो चरणों के चुनाव में 20 सीटिंग विधायकों का काट दिया गया टिकट और लगभग 12 विधायक टिकट की कबाहट की आहट से दल बदल हो गए हैं, अभी पाँच चरणों की सूची में 70 सीटिंग विधायकों के कट सकते हैं, टिकट...

भाजपा नहीं देगी बड़े नेताओं के बेटों को टिकट...

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दंगल की  तैयारियां पूरे चरम पर हैं। प्रत्याशियों के चुनावी अखाड़े में उतरने का ऐलान भी हो रहा हैं किसी को चुनावी अखाड़े में उतारा जा रहा है तो किसी को हटाया जा रहा है।भाजपा सूत्रों के अनुसार आलाकमान ने तय किया है कि पार्टी उत्तर प्रदेश में किसी सांसद को या एक ही परिवार के कई लोगों को टिकट नहीं देगी। बैरहाल पार्टी का मानना है कि वो योग्यता और प्रदर्शन के अपने आधार पर टिकट देने के फार्मूले पर ही कायम रहेगी। वैसे भाजपा में ऐसे नेताओं की लंबी लाइन है जो अपने बेटों के लिए टिकट मांग कर रहे हैं। यह ऐलान उन खबरों के बीच हुआ है, जिनमें सांसद और विधायक सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने उत्तर प्रदेश समेत मणिपुर, गोवा, उत्तराखंड और पंजाब में अगले माह होने वाले विधानसभा चुनाव में अपने बच्चों के लिए टिकट मांगा है। 


उत्तर प्रदेश में सांसद कौशल किशोर, सांसद रीता बहुगुणा जोशी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत कई बड़े नाम शामिल हैं। ये अपनों के लिए टिकट की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन पार्टी ने साफ तौर पर कहा है कि एक ही परिवार के कई लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 10 से 14 फरवरी के बीच होने वाले विधानसभा चुनाव के दो चरणों के लिए 107 प्रत्याशियों की अपनी पहली लिस्ट पहले ही जारी कर दी है। इस लिस्ट में 20 मौजूदा विधायकों का पत्ता साफ हो गया है। लिस्ट में कई नए चेहरे भी शामिल हैं, जिनको विजिबिलिटी के लिहाज से टिकट दिया गया है। निर्वाचन क्षेत्र सहित किसी भी उम्मीदवार की उम्मीदवारी पर निर्णय पार्टी नेतृत्व का विशेषाधिकार होता है। टिकट पार्टी तय करेगी कि उन्हें कहां से लड़ना है। पहले से यदि कोई ये दावा लेकर आएगा कि हमें इसी सीट से टिकट चाहिए तो ऐसा संभव नहीं है।


भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी इस बार भी 403 सदस्यीय यूपी विधानसभा में 300 सीटों को पार कर जाएगी। पार्टी का प्रदर्शन हालिया दलबदल से प्रभावित नहीं होगा। तीन ओबीसी नेताओं और विधायकों के एक समूह ने हाल ही में यह आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी कि भाजपा ने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की बेहतरी के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है। भाजपा नेता ने कहा कि इन नेताओं के दावों के विपरीत भाजपा इन समुदायों में पैर जमाने में कामयाब रही है और उनके बाहर निकलने से पार्टी के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बैरहाल भाजपा के कई नेताओं ने यूपी में बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी के साथ गठबंधन से भी इनकार किया है। यह तो अधिसूचना जारी होने से पहले ही पता था कि इस बार सिर्फ दो दलों में टिकट की मारामारी होगी। पहले नम्बर पर भाजपा होगी और दूसरे नम्बर समाजवादी पार्टी है, जहाँ टिकट के लिए एक दल से दूसरे दल में भगदड़ भी होगी। हुआ भी वही  


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