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गुरुवार, 2 सितंबर 2021

विधानसभा चुनाव-2022 : प्रतापगढ़ में अपना दल एस की दो सीट सदर-प्रतापगढ़ व विश्वनाथगंज में से एक सीट पर हो सकता है,बदलाव

अपना दल एस के खाते में जा सकती है,पट्टी विधान सभा की सीट पिछड़ी जाति का होगा कोई उम्मीदवार 


मंत्री मोती सिंह के विधानसभा पट्टी में होगा इस बार बदलाव,विश्वनाथगंज अथवा सदर विधानसभा हो सकता है,मंत्री मोती सिंह का नया कार्य क्षेत्र 


भाजपा व अपना दल एस के सीटों में होगा इस बार बदलाव...

प्रतापगढ़ की 7 विधानसभाओं में पट्टी, रानीगंज पर भाजपा और दो सीट सदर प्रतापगढ़ और विश्वनाथगंज पर सहयोगी दल अपना दल एस वर्ष-2017 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। सबसे कम मतों से जीत का परिणाम पट्टी विधानसभा का रहा। जबकि वहाँ से भाजपा के कद्दावर नेता राजेन्द्र प्रताप सिंह "मोती" चुनाव लड़ते आये हैं। भाजपा लहर में भी जीत के लिए बहुत मशक्कत का सामना करना पड़ा था। यह वर्ष-2017 ही नहीं बल्कि 2002 से 2017 के सभी चुनावी परिणाम देखें तो जीत हारकर का अंतर बहुत कम रहा है। वर्ष-2007 और 2012 की बात करें तो दोनों बार का चुनावी परिणाम में जीत 500 के अंदर सिमट कर रह गई थी। सो इस बार भाजपा शीर्ष नेतृत्व पट्टी विधानसभा में रिस्क नहीं लेना चाहती। क्योंकि वहाँ मंत्री मोती सिंह के खिलाफ बैकवर्ड लॉबी बहुत तेजी से लामबंद हो रही है। 


247-विश्वनाथगंज विधानसभा क्षेत्र...

 सारे बैकवर्ड एकजुट होकर मंत्री मोती सिंह को हराने का मानो संकल्प ले लिए हों। उन्हें इंतजार है तो समाजवादी पार्टी से पूर्व विधायक रामसिंह पटेल के टिकट पाने का, यदि समाजवादी पार्टी रामसिंह पटेल को पट्टी से टिकट देती है तो आसपुर देवसरा के सारे बैकवर्ड विशेष रूप से यादव, कुर्मी/पटेल और मौर्य झूमकर रामसिंह के नाम पर मतदान करेंगे। समाजवादी पार्टी के मूल मतदाता यादव और मुसलमान सहित भाजपा और मंत्री मोती सिंह से नाराज मतदाता भी समय की ताक में बैठा है। पट्टी विधान सभा में पटेल/कुर्मी मतदाता अनुप्रिया पटेल को अपना नेता नहीं मानते। बल्कि पूर्व विधायक रामसिंह पटेल को ही अपना नेता मानते हैं। याद दिला दूं वर्ष-2017 में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान स्टार प्रचारक के तौर पर अपना दल एस की नेत्री अनुप्रिया पटेल का हेलीकॉप्टर पट्टी विधानसभा क्षेत्र में एक जनसभा के पंडाल के ऊपर से मंडरा कर ऊपर ही ऊपर निकल लिया। उस समय बहुत टीका टिप्पणी हुई थी। 


248-प्रतापगढ़ विधानसभा क्षेत्र...

पूरे कार्यकाल मंत्री मोती सिंह और अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल से संबंध बहाल न हो सके। वह टीस बनी रही। आसपुर देवसरा में कुर्मी/पटेल के साथ मारपीट की घटना के बाद अनुप्रिया पटेल पहुँची थी और मंत्री मोती सिंह पर जमकर निशाना साधा था। आरोप तो यहाँ तक लगाए थे कि चुनाव में जो लोग मंत्री मोती सिंह को वोट नहीं दिये थे, उन्हें टारगेट किया जा रहा है। ऐसे में भाजपा शीर्ष नेतृत्व अनुप्रिया पटेल के सामने यह प्रस्ताव रख सकता है कि वह विश्वनाथगंज विधानसभा अथवा सदर विधानसभा की सीट में से एक सीट भाजपा के लिए छोड़ दे और बदले में पट्टी विधानसभा की सीट लेकर वहाँ के कुर्मी/पटेल मतदाता को रिझाने का काम करें। ताकि कुर्मी/पटेल मतदाता सहित पिछड़ी जाति के मतदाता समाजवादी पार्टी की तरफ रुख न कर सकें।


249-पट्टी विधानसभा क्षेत्र...

किसी भी फार्मूले से मंत्री मोती सिंह चुनाव निकालने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं। पट्टी विधानसभा के सभी बाबा बेलखरनाथ धाम, मंगरौरा, पट्टी और आसपुर देवसरा की ब्लॉक प्रमुख पद पर भले ही मंत्री मोती सिंह सत्ता के दबाव से निर्विरोध निर्वाचन करा लिए हैं, परन्तु जनता में इसका अंदर से बड़ा विरोध है। समय आने पर वह विरोध ज्वालामुखी की तरह फटेगा। ये सारी रिपोर्ट संघ सहित भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी है। मंत्री मोती सिंह भी अंदर से चाहते हैं कि उनका चुनावी क्षेत्र पट्टी से बदलकर विश्वनाथगंज क्षत्रिय बाहुल्य क्षेत्र से कर दिया जाए। मंत्री मोती सिंह सदर प्रतापगढ़ विधानसभा को भी पसन्द करते हैं। मंगरौरा ब्लॉक और बाबा बेलखरनाथ धाम का काफी हिस्सा सदर प्रतापगढ़ में आता है। 


भाजपा और अपना दल एस का गठबंधन रहेगा बरकरार...

भाजपा और अपना दल एस के गठबंधन के लिए अभी से गुणा गणित लगाई जाने लगी है। भाजपा पुनः सत्ता की वापसी के लिए एक-एक सीट पर मंथन कर रही है और उसके इस सहयोग में संघ पैनी नजर गड़ाये हुए है। जिस विधानसभा सीटों पर भाजपा और सहयोगी दल के विधायकों की छवि और जनाधार खिसकने की रिपोर्ट मिल रही है, उस विधानसभा में भाजपा उम्मीदवार तक बदलने की  रणनीति बना चुकी है। साथ ही सहयोगी दलों के विधायकों की सही स्थिति का आंकलन उस दल के नेता के सामने रखा जायेगा ताकि सहयोगी दल भी अपने उम्मीदवार को लेकर समय से निर्णय ले सके और जिताऊ उम्मीदवार को टिकट देकर अधिक से अधिक विधायक निर्वाचित कराया जा सके। विधानसभा चुनाव-2022 के चुनाव में सीट और उम्मीदवार का बदलाव हो सकता है


वर्ष-2022 के विधानसभा चुनाव में अपना दल एस से कोई पिछड़ी जाति का उम्मीदवार पट्टी से चुनाव लड़ता है तो वह चुनाव जीत सकता है। नहीं तो भाजपा से मंत्री मोती सिंह के लिए इस बार पट्टी विधानसभा चुनाव जीतना बहुत ही कठिन होगा। प्रतापगढ़ की पट्टी विधानसभा में वर्ष-2007 में दुर्दांत अपराधी ददुआ का भाई बाल कुमार पटेल समाजवादी के टिकट से मंत्री मोती सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा और मंत्री जी के छक्के छुड़ा दिया था। महज 500 मतों के अंतर से कम मतों से मंत्री जी चुनाव जीत सके थे। वर्ष-2012 में सांसद मिर्जापुर बाल कुमार के पुत्र राम सिंह पटेल ने मंत्री मोती सिंह को 156 मतों से हराया था। तभी से पट्टी विधानसभा को कुर्मी/पटेल बाहुल्य क्षेत्र माना जाने लगा। यूपी चुनाव में इस बार भी अपना दल एस और भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन बरकार रहेगा और दोनों दल संयुक्त रूप से विधानसभा चुनाव लड़ेगे।  


राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि प्रतापगढ़ की कुछ सीटों पर विधानसभा चुनाव-2022 में बदलाव हो सकता है। सूत्रों की मानें तो इस बार लोकसभा चुनाव की तरह प्रतापगढ़ में विधानसभा चुनाव-2022 में भी बदलाव होंगे। जिसमें प्रमुख रूप से गठबंधन की दो सीटों में एक सीट पर बदलाव प्रमुख है। विश्वनाथगंज विधानसभा और सदर प्रतापगढ़ विधानसभा सीट में से एक सीट भाजपा अपना दल एस से वापस ले सकती है और उसके बदले में पट्टी विधानसभा की सीट को अपना दल एस के खाते में दी जाने की संभावना अधिक दिख रही है। भारतीय जनता पार्टी इस बार अपना दल एस की सबसे मजबूत सीट विश्वनाथगंज पर चुनाव लड़ सकती है और वही पट्टी विधानसभा की सीट पर अपना दल एस का उम्मीदवार उतर सकता है। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में बदलाव वाली सीट पर मंत्री मोती सिंह चुनाव लड़ाया जा सकता है।   


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