पुलिस की विवेचना में पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ के कार्यालय के सामने लूट की घटना निकली झूठी, चार अज्ञात बदमाशों की जगह चार अधिवक्ताओं के नाम आये सामने
SP दफ्तर के सामने कथित लूट के बाद का नजारा (साभार:-पब्लिक ऐप)
प्रतापगढ़ एसपी दफ्तर के सामने 4 सितम्बर, 2021 को दिन में सवा एक बजे चार अज्ञात बदमाशों द्वारा लूट की घटना को अंजाम दिया गया था, 3 दिन बाद कोतवाली नगर में 4 अज्ञात बदमाशों के खिलाफ लूट का मुकदमा दर्ज हुआ। वादी मुकदमा डॉ छवि नारायण पाण्डेय के मुताविक लूट की वारदात पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ के कार्यालय के ठीक सामने हुई थी। डॉ छवि नारायण पाण्डेय और उनकी शिक्षिका पत्नी प्राची पाण्डेय अपने चार पहिया वाहन से अपने घर कटरा रोड़ स्थित शिवजीपुरम जा रहे थे। उनकी गाड़ी जैसे ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने पहुँची तो चार अज्ञात लोग उनकी गाड़ी के सामने आ गए। कार उन चारों आरोपियों में से अधिवक्ता प्रमोद शुक्ला के पैर से टकराई तो दोनों पक्षों में टकरार हो गई। ऐसा चारों आरोपियों का आरोप है। जबकि शिक्षिका प्राची पाण्डेय और उसके पति डॉ छवि नारायण पांडेय अपने आरोप पर कायम हैं।
कथित लूट की शिकार प्राची पाण्डेय और उनसे माफी मांगते चारों अधिवक्ता... |
मुकदमा अपराध संख्या-0732/2021 की विवेचना कर रहे सिविल लाइन चौकी प्रभारी राधे बाबू से पूछने पर उन्होंने बताया कि लूट की घटना असत्य है। गाड़ी से टक्कर लगने के बाद आपस में विवाद का मामला प्रकाश में आया है। विवेचना जारी है जो सही होगा वही कार्रवाई पुलिस करेगी। वहीं चारों आरोपियों में अधिवक्ता प्रमोद शुक्ला ने बताया कि प्राची पांडेय की कार से उन्हें टक्कर लग गयी थी। जब हमने ठीक से गाड़ी चलाने को कहा तो कार चला रहे है डॉ छवि नारायण पांडेय से पहले शिक्षिका प्राची पाण्डेय नीचे उतर कर उल्टे अधिवक्ता प्रमोद शुक्ला से बद्तमीजी करने लगी। ऐसा प्रमोद शुक्ला और उनके साथ रहे अन्य अधिवक्ता साथी का आरोप है। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि पुलिस अपनी विवेचना में वांछित अपराधियों के नाम प्रकाश में लाये,इसके पहले ही वांछित अभियुक्त स्वयं प्रकट हो जाएं और वादी मुकदमा व पीड़िता से माफी माँगते उनका वीडियों वायरल हो जाए और इसकी भी भनक पुलिस को न चल सके।
उस समय शिक्षिका प्राची पांडेय और उनके पति डॉ छवि नारायण पांडेय एवं अधिवक्ता प्रमोद शुक्ला के बीच सुलह समझौता हो गया। लेकिन प्राची पांडेय एक शिक्षिका होकर भी अपने पति डॉ छवि नारायण पांडेय से एक तहरीर कोतवाली नगर में दिला दी। जिसमें उन्होंने गाड़ी से टक्कर लगने के बाद हुए विवाद को लूट की घटना करार देते हुए मामले में मोड़ ला दिया। अधिवक्ता प्रमोद शुक्ला और उनके साथ रहे अन्य साथी अधिवक्ताओं ने यह समझ लिया कि मामला कार से टक्कर के बाद उपजे हाथापाई का रहा, सो इतना बड़ा विवाद का रूप नहीं लेगा। मामले में जब मौके पर ही सुलह समझौता हो गया था तो लूट की झूठी घटना नहीं बनानी चाहिए थी। इससे आपसी सौहार्द और प्रेम में गिरावट आती है। साथ ही एक दूसरे पर विश्वास खत्म हो जाता है। घटना जो घटित हुई तहरीर वही देनी चाहिए। उसमें मिलावट नहीं करनी चाहिए थी।
यह आरोप शिक्षिका प्राची पाण्डेय और उनके पति द्वारा डॉ छवि नारायण पाण्डेय लगाया जा रहा है कि अधिवक्ता प्रमोद शुक्ला, अधिवक्ता विनोद मिश्रा, अधिवक्ता शरद तिवारी, अधिवक्ता अंकित दूबे ने उनके साथ लूट की घटना को अंजाम दिया। जबकि चारों अधिवाक्ताओं का कहना है कि उन पर लगाये गये आरोप असत्य, झूठ एवं बेबुनियाद है। शिक्षिका प्राची पाण्डेय के पति डॉ छवि नारायण पाण्डेय ने लूट की झूठी तहरीर देकर जो मुकदमा कोतवाली नगर में लिखवाया था, वह विवेचनाधिकारी राधेबाबू सब-इंस्पेक्टर की विवेचना में असत्य निकला। शिक्षिका प्राची पाण्डेय के पति शहर के सुप्रसिद्ध कालेज एमडीपीजी में प्रोफेसर हैं। हाथापाई की घटना को लूट की घटना दिखाकर जो मुकदमा कोतवाली नगर में लिखाया गया, उसमें कचेहरी के चार युवा अधिवक्ताओं का नाम प्रकाश में आया तो वह लोग परेशान हो गए।
अधिवक्ता अंकित दुबे के यहाँ पुलिस ने जब दबिश दी तो अन्य अधिवक्ताओं ने आपस में बातचीत करके चारों अधिवक्ताओं को लेकर शिक्षिका प्राची पाण्डेय और उनके पति डॉ छवि नारायण पाण्डेय के पास गए। आपसी रजामंदी के बीच चारों अधिवक्ताओं ने प्राची पाण्डेय के पैर छूकर माफी मांग लिया। ऐसा कराने के पीछे की वजह यह रही है कि सारे लोग आपस के थे और मामला आगे न बढ़े, इसके लिए शिक्षिका प्राची पाण्डेय और उनके पति डॉ छवि नारायण पाण्डेय से क्षमा माँगने में चारों अधिवक्ताओं कोई गुरेज नहीं था। परन्तु इस घटनाक्रम का किसी ने वीडियो क्लिप बना लिया और सोशल मीडिया पर उसे वायरल कर दिया गया। जिससे समाज में गलत सन्देश गया। यह एक तरह से उनके साथ धोखा किया गया। उनके मान सम्मान के साथ खिलवाड़ किया गया। अधिवक्ता प्रमोद शुक्ल का कहना है कि मुकदमा तो वह भी लिखा सकते थे। परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया।
इसका मतलब कि शिक्षिका प्राची पाण्डेय और उनके पति डॉ छवि नारायण पाण्डेय की तरफ से क्षमा माँगने के बाद भी उनके मन अभी भी साफ न थे। यदि घटना चार पहिया वाहन से टक्कर मारने की वजह से आपस में विवाद उत्पन्न हुआ था तो मामले को वहीं खत्म कर देना चाहिए था। लूट की घटना का झूठा मुकदमा नहीं लिखाना था। हो सकता हो कि शिक्षिका प्राची पाण्डेय की नाक में पहने हुई सोने की कील हाथापाई में कहीं गिर गई हो ! साथ ही जब उन्हें सोने की कील भी दे दी गई और घटनाक्रम के सम्बन्ध में माफी भी मांग ली गई तो मामला निस्तारित होने योग्य रहा न कि विवाद को आगे बढ़ाना था। समाज में एक शिक्षिका का अहम रोल होता है। बच्चों के अच्छी शिक्षा देना उनका धर्म होता है। झूठ बोलना पाप है, यह सीख बच्चों को शिक्षा के रूप में दी जाती है। फिर शिक्षिका होकर लूट की झूठी कहानी गढ़ना किसी भी दशा में शोभा नहीं देता कि वह लूट की झूठी कहानी गढ़कर अधिवक्ताओं पर फेंक मुकदमा लिखवायें और समूचे अधिवक्ता समाज की इज्जत को धूमिल करने करें।
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