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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी को भी नहीं पता कि उनके कैम्प और बंगले में कितने बाबू और कर्मचारी कार्यरत हैं

एक तहसील में उतने बाबू यानि लिपिक नहीं हैं जितने जिलाधिकारी महोदय के बंगले और कैम्प पर हैं,तैनात...
कलेक्ट्रेट में अंगरेजी दफ्तर से लेकर सहायक भुलेख और मुआफिसखाना एवं तहसील मुख्यालयों पर पटल प्रभारियों का है घोर अकाल...

जिलाधिकारी आवास प्रतापगढ़...
प्रदेश में राज्य सरकार एक जिले के संचालन हेतु एक आईएएस अधिकारी को जिले की कमान सौंप कर पूरे जिले का प्रभार और दायित्व उसके कन्धों पर दे दिया जाता है और यह भी ध्यान नहीं रहता कि प्रत्येक वर्ष हर जिले में सेवा समाप्ति के बाद पटल प्रभारियों की नियुक्ति यदि नहीं की जाती है तो किस हैंड्स से जिलाधिकारी महोदय सरकारी कार्य लेंगे ? इस बात से न तो राज्य सरकार की तरफ से कोई पहल की जाती है और न ही जिले के विधायक,सांसद और मंत्री ही इस समस्या से निजात दिलाने की पहल करने हेतु आगे आते हैं अब अकेले जिलाधिकारी ही कितना दर्द उठायें...???

जिलाधिकारी के रूप में तैनात डॉ नितिन बंसल जी को प्रतापगढ़ जनपद को सुधारने में अभी और वक्त लगेगा। क्योंकि कैम्प कार्यालय से लेकर कलेक्ट्रेट में तैनात सब-ऑर्डिनेट दिन भर पिचाल करते हैं। एक दूसरे की नस काटने में ब्यस्त रहते हैं। कामचोरी उनके ब्लड के साथ संचार होता रहता है। जिलाधिकारी के अधीनस्थ कर्मचारीगण हाकिम का कान भरने में माहिर हैं। सबसे अधिक खुरापात स्टेनो पद पाने के लिए जिलाधिकारी कैम्प कार्यालय से लेकर कलेक्ट्रेट परिसर तक कसरत होती रहती है कलेक्ट्रेट परिसर एवं कैम्प कार्यालय पर बने दर्जनों पटल पर पटल प्रभारियों का अकाल पड़ चुका है। प्रत्येक माह और साल में कई पटल प्रभारी अर्थात बाबू यानि लिपिक रिटायर्ड हो जाते हैं। तहसील मुख्यालयों पर भी अधीनस्थ कर्मचारियों की तादात में भारी कमी है। एक पटल प्रभारी के पास 3 से 4 पटल का ओवरडोज वर्क रहता है। निजी स्रोतों से कर्मचारी रखकर कार्य कराया जा रहा है। सवाल उठता है कि एक अधीनस्थ कर्मचारी 3 से 4 पटल का प्रभार कैसे संभालेगा ? साथ ही प्राईवेट कर्मचारी जिनसे अधीनस्थों द्वारा कार्य लिया जा रहा है, उनके कार्य में गड़बड़ी होने पर उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा...???

जिलाधिकारी आवास प्रतापगढ़ जाने के लिए लगा बोर्ड...

डीएम कैम्प से लेकर बंगले तक कार्यरत कर्मचारियों पर नजर दौडाएं तो डीएम साहेब के एसटी गंगा यादव, लालमणि पाण्डेय और वशिष्ठ सिंह, मोहम्मद नासिर, गंगा तिवारी, प्रभात सिंह, देवी दयाल पाण्डेय और अशोक मिश्र सहित सफाईकर्मी एवं सुरक्षा से जुड़े दर्जनों स्टाफ जमें हुए हैं और एक दूसरे की नस काटने के लिए दिन रात परेशान रहते हैं। इस फ़िराक में रहते हैं कि हाकिम से कनफुसकी करने का मौका मिले तो स्वयं आम व खास बनाकर अन्य की गर्दन काटने में परहेज न करें। यह तो जिले का दुर्भाग्य कहें या सौभाग्य की जिलाधिकारी कान के कच्चे नहीं हैं, नहीं तो अभी तक कईयों की गर्दन पर तलवार चल गई होती। इन सबके अतिरिक्त जिलाधिकारी महोदय को अपने बंगले और कैम्प के नाम पर कामचोरी कर रहे कर्मचारियों की क्लास लेनी होगी। तभी जिले को बेहतर ढंग से संचालित किया जा सकेगा 

जिलाधिकारी प्रतापगढ़ डॉ नितिन बंसल...

नवागन्तुक जिलाधिकारी प्रतापगढ़ डॉ नितिन बंसल की कार्य प्रणाली से जनता में आत्म संतोष देखने को मिल रहा है। अन्य जिलाधिकारियों की तरह वर्तमान जिलाधिकारी डॉ नितिन बंसल जी कैम्प कार्यालय को तवज्जों न देते कलेक्ट्रेट कार्यालय को अधिक तवज्जों देने से कलेक्ट्रेट की गरिमा बढ़ गई है। प्रतापगढ़ में ऐसे जिलाधिकारी आये जो कलेक्ट्रेट में बैठने से भागते रहे। बैठे भी तो अपने साथ ADM और CRO सहित मुख्य प्रशानिक अफसर सहित अतिरिक्त एसडीएम को अगल बगल बैठाकर ही कलक्ट्रेट स्थित जिलाधिकारी कार्यालय में जनता सुनवाई में DM साहेब बैठते थे। परन्तु वर्तमान जिलाधिकारी प्रतापगढ़ डॉ नितिन बंसल जी कलक्ट्रेट में आते ही जनता दर्शन और कोर्ट की सुनवाई एवं मीटिंग आदि का कार्यक्रम रखकर पुरानी ब्यवस्था बहाल करके नेक कार्य किया। पूरे कलेक्ट्रेट परिसर की गरिमा बढ़ा दी है। आते ही कलेक्ट्रेट परिसर का भ्रमण किया और साफ सफाई की ब्यवस्था को चाक चौबंद रखने का कड़ा निर्देश नाजिर को दिया था। उसी समय लग गया था कि हाकिम का ब्यवहार अन्य हाकिम से भिन्न होगा। परन्तु अपने बंगले और कैम्प कार्यालय पर तैनात बाबू और स्टेनो सहित अन्य कर्मचारियों की संख्या कितनी है ? जबकि जिलाधिकारी महोदय कैम्प से जिला का संचालन पर प्रतिबन्ध लगाते हुए स्वयं कलेक्ट्रेट में बैठकर उसका खो चुका मान व सम्मान वापस दिलाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं

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