दिल्ली के दंगाई हत्यारे के रूप में ठोस सुबूतों के साथ नामजद और गिरफ्तार आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ आम आदमी पार्टी के नेताओं को ही पुलिस का वकील बना कर उन अपराधियों को बचाने का जो शातिर और खतरनाक खेल केजरीवाल ने खेलना शुरू किया था उस खेल को शुरू होने से पहले ही केन्द्र सरकार ने कठोरता के साथ खत्म कर दिया है। दिल्ली दंगों के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकीलों का पैनल नियुक्त करने के मंगलवार को लिए गए दिल्ली की केजरीवाल सरकार के कैबिनेट के निर्णय को उप राज्यपाल अनिल बैजल ने आज आधिकारिक तौर पर खारिज कर दिया है। संविधान से मिले विशेष अधिकार का इस्तेमाल कर एलजी ने यह फैसला लिया है। साथ ही उन्होंने दिल्ली सरकार के गृह विभाग को आदेश दिया है कि वो दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को तत्काल मंजूरी दे। अब संविधान के तहत एलजी का यह आदेश दिल्ली सरकार पर बाध्य होगा और दिल्ली सरकार को यह आदेश हर हाल में लागू करना होगा।
इसी के साथ गृहमंत्री अमित शाह की सक्रियता से दिल्ली में कोरोना संक्रमण पर तेजी से हुए नियन्त्रण से भीतर ही भीतर बहुत बुरी तरह तिलमिलाए केजरीवाल ने साप्ताहिक बाजारों और होटलों को खोलने का आदेश देकर स्थिति को पुनः बिगाड़ने की कुटिल कोशिश की थी। लेकिन केजरीवाल सरकार के कैबिनेट के इस निर्णय को भी उप राज्यपाल अनिल बैजल ने आज आधिकारिक तौर पर खारिज कर दिया है। हम सब जानते हैं कि किसी भी शहर में लगने वाली साप्ताहिक बाजारों में इतनी भयंकर भीड़ होती है कि पैदल चलना मुश्किल होता है। अतः कोरोना संक्रमण के खतरनाक दौर में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाने वाले साप्ताहिक बाजारों को क्यों खोलना चाहता था केजरीवाल ? शायद इसलिए क्योंकि इन बाजारों में 70-80% दुकानदार आसमानी किताब, उड़ते घोड़े, 72 हूरों और चपटी धरती के दीवाने होते हैं. राजधानी लखनऊ का मेरा अनुभव तो यही कहता है।
प्रस्तुति :- सतीश मिश्र...
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