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गुरुवार, 6 अगस्त 2020

रेल महकमें की नाकामी : रामलीला मैदान के पूर्वी छोर पर शहर प्रतापगढ़ के अचलपुर वार्ड जाने वाले मार्ग पर बने रेलवे अंडर पास में भरा पानी,डूब जा रहे वाहन

 ➤पिछले वर्ष अपनी नाकामी छिपाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर अंडर पास पुल के दोनों तरफ सेड बनाकर बरसात का पानी रोकने का किया गया था,उपाय ! परन्तु रेल महकमें का ये उपाय भी हो गया बेकार और बरसात में भर गया अंडर पास में पानी...!!! 
 शहर प्रतापगढ़ के अचलपुर वार्ड जाने वाले मार्ग पर बने रेलवे अंडर पास में भरा पानी,डूब जा रहे वाहन... 

कभी-कभी लगता है कि सिस्टम में बैठे लोग गांधी के तीन बन्दर सरीखे ही हैं। क्योंकि उनके द्वारा लिए गए निर्णय इतने मूर्खतापूर्ण होते हैं कि उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। रेल महकमा द्वारा क्रासिंग को खत्म कर कई स्थानों पर अंडर पास पुल का निर्माण किया गया। निर्माण के दौरान ये तय हो गया था कि बरसात में निश्चित तौर पर इस अंडर पास मार्ग पर इतनी पानी भर जाएगा कि आने-जाने वाले वाहन डूब जायेंगे। परन्तु सिस्टम में बैठे हुक्मरानों को कौन समझाए कि तुम्हारा निर्णय गलत है और जनहित का निर्णय न होकर जेब भरने वाला निर्णय रहा। 

रामलीला मैदान के पूर्वी छोर पर शहर प्रतापगढ़ के अचलपुर वार्ड जाने वाले मार्ग पर बने रेलवे अंडर पास में पानी भर जाने से शहर के रामलीला मैदान की तरफ से बनी रेलवे क्रॉसिंग से शहर के मुहल्ले तो जोड़ती ही है। साथ ही ये रेल अंडर पास कई गांव को भी जोड़ने का काम करती है। रेलवे फाटक को खत्म करके वहां पर अंडर पास की व्यवस्था की गई, लेकिन पानी निकलने की कोई व्यवस्था अभी तक नहीं की गई। अचलपुर वार्ड के साथ प्रमुख रूप से जिरियामऊ और पटखौली वार्ड को जोड़ने का कार्य करती है। 

पिछले कई दिनों से अंडर पास में लबालब बरसात का पानी भरा हुआ है। जिससे आम जनमानस को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि पिछले वर्ष भारी भरकम बजट आवंटित करके अंडर पास के दोनों तरफ सेड बनाकर बरसात के पानी को अंडर पास में जाने से रोकने का दावा किया गया था। परन्तु बरसात होते ही रेल महकमें के निकम्मे अधिकारियों के दावे की हवा निकल गई। 

वैसे तो केंद्र और राज्य की रकारें वाटर हार्वेस्टिंग की जोरदार वकालत करती है, परन्तु अपने विभागों द्वारा बनाये गए कार्य योजना में उसे अमल में नहीं लिया जाता। अंडर पास के दोनों तरफ सेड बनाने से बेहतर होता कि वहाँ वाटर हार्वेस्टिंग बना कर पानी भरने की समस्या को खत्म किया जा सकता था, परन्तु ऐसा कार्य रेल महकमें के नकारा अफसरों द्वारा नहीं किया गया।

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