अवध नगरी में प्रभु श्रीराम जी के मंदिर के भूमि पूजन के साथ उसी शुभ मुहूर्त पर जनपद प्रतापगढ़ के शिवगढ़ ग्राम में स्थित माँ काली जी एवं भगवान भोलेनाथ "महादेव" जी के लगभग चार सौर पुराने शिवलिंग पर मंदिर निर्माण के लिए खुलासा इंडिया के संपादक रमेश तिवारी "राज़दार" द्वारा किया गया भूमि पूजन...!!!
भूमि पूजन के बाद माँ काली जी के मंदिर के सामने सुन्दर काण्ड का पाठ करते भक्तगण... |
अयोध्या से मेरे गृह जनपद प्रतापगढ़ की दूरी महज 112 किमी है और गृह स्थल शिवगढ़ से महज 100 किमी ही है। पहले तो मन में विचार आया कि अयोध्या नगरी पहुँचकर प्रभु श्रीराम जी के दर्शन प्राप्त करूं। चूँकि सैकड़ों वर्षों बाद श्री रामलला के मंदिर का भूमि पूजन देखने का शुभ अवसर हम सबको बड़ी लम्बी लड़ाई के बाद प्राप्त हुआ। हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कर कमलों द्वारा श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन किया गया। मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश की देखरेख में ये आयोजन सम्पन्न हुआ। उक्त आयोजन में प्रधानमंत्री मोदी के साथ आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत भी उपस्थित रहे। उक्त आयोजन में जाने की बड़ी इच्छा थी, परन्तु इसी बीच मन में नया विचार आया कि क्यों न घर से चंद कदम दूर पूर्व दिशा में स्थित माँ काली जी एवं शिवलिंग पर मंदिर निर्माण कराकर उसका जीर्णोद्धार कराया जाए।
युवा गायक रवि मिश्र द्वारा भक्तिमयी गीत से गदगद हुए श्रोतागण... |
शिवगढ़ गाँव स्थित माँ काली जी का मंदिर... |
सुन्दर कांड के सम्पन्न होने के पश्चात युवा गायक रवि मिश्र अपनी टीम के साथ अपनी भक्तिमयी गीतों की प्रस्तुति से मंदिर परिसर में उपस्थित सभी भक्तों का मनमोह लिया। ऐसा कोई दर्शक/श्रर्द्धालु नहीं रहा जिसने भक्तिमयी गीतों पर ताली न बजाई हो। राजू शर्मा जी हारमोनियम पर समा बाँधे रहे तो तबले की धुन पर शेखावत की अंगुलियां थिरकती रही। मुझे ब्यक्तिगत रूप से जो अनुभूति हुई उसको शब्दों में नहीं ब्यक्त कर सकता। इस शुभ कार्य को मेरे द्वारा वर्ष-2012 से लगातार करने का प्रयास किया जाता रहा। परन्तु असफलता ही मिलती रही। फिर भी अपने ब्यक्तिगत संसाधनों से जितना हो सका उतना कार्य कराया। परन्तु अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन के साथ-साथ पैतृक स्थान पर स्थित मंदिर का कायाकल्प हो जाए तो इससे अधिक सौभाग्य का विषय दूसरा कोई नहीं। मेरे विचार से नए धार्मिक स्थल के निर्माण से बेहतर और पुनीत कार्य पुराने धार्मिक स्थल को डेवलप करके उसका जीर्णोद्धार करना है। ये कार्य सर्व समाज के दम पर ही संभव है। जनसहयोग से किया गया धार्मिक कार्य अधिक पावन,पवित्र और फलदायी होता है।
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