दोस्त नहीं दगाबाज निकला जय, विकास दुबे को खत्म कर हड़पना चाहता था,आर्थिक साम्राज्य...
उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली अधिकारी अवनीश अवस्थी से जोड़ा जा रहा है,गैंगेस्टर अपराधी विकास दुबे के खजांची जय वाजपेयी का कनेक्शन...
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गैंगेस्टर विकास दुबे और उसका खजांची जय वाजपेयी... |
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पिछले 20 दिनों से कानपुर के गैंगेस्टर विकास दुबे के कारनामें और उसके एनकाउंटर की घटना सुर्खियों में है। अब धीरे-धीरे यह बात उभरकर सामने आ रही है कि विकास दुबे का खत्मा कराने की साजिश उसके ही खजांची जय वाजपेयी ने की थी। जय वाजपेयी का प्रभाव इतना था कि उसे उत्तर प्रदेश की विधानसभा में प्रवेश के लिए वीआईपी पास जारी किया गया था। उसके फार्च्युनर गाडी पर विधायक के नाम जारी होने वाला पास लगा रहता था, जिसे विधानसभा सचिवालय से जारी किया गया था। अब यह मामला सुर्खियों में आया तो विधानसभा सचिवालय से जय वाजपेयी को जारी किये गये वीआईपी पास की फाइल गायब कर दी गयी। निश्चित रुप से यह कार्य तभी संभव हो सका होगा, जब जय वाजपेयी को किसी प्रभावशाली अधिकारी का संरक्षण रहा होगा। छिपे तौर पर यह संरक्षण उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली अधिकारी अवनीश अवस्थी का होना बताया जा रहा है।
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जय वाजपेयी और गैंगेस्टर अपराधी विकास दुबे से इतने खास सम्बन्ध उजागर होने के बाद भी योगी सरकार में अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी जी अपने पद पर बने हुए हैं... |
"जय शुरू से ही अलग-अलग पार्टियों के नेताओं के संपर्क में रहा है। जिसकी सत्ता होती थी, वह उसका खास बन जाता था। पुलिस-प्रशासन के अफसरों तक पैठ बनाता, फिर अपने काम करवाता था। पुलिस के मुताबिक बिकरू से तीन चार किमी दूरी पर जय का गांव दिलीप नगर है। इसके चलते स्थानीय स्तर पर भी वह अपना दबदबा कायम करना चाहता था। इसके चलते ही वह पहले विकास से जुड़ा। अब विकास को ही रास्ते से हटाने की तैयारी में जुट गया था। विकास के खजांची रहते हुए जय वाजपेयी ने इतना धन संचय कर लिया कि उसके पाँव धरातल पर रुकते ही नहीं थे। जिसके सम्बन्ध STF के DIG अनंत देव और अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी से रहे हों उसके तो जलवे सातवें आसमान पर ही होंगे। जय वाजपेयी भी बहुत बड़ा खिलाड़ी निकला। अभी इस खेल में बहुत बड़े-बड़े लोगों के नाम आयेंगे,परन्तु अभी ये कह पाना कठिन होगा कि उन बड़े और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ कार्यवाही योगी सरकार कर पाती है या उन्हें बिकरू गाँव की तरह फिर नया खेल खेलने की छूट दे देती है,ये तो वक्त ही तय करेगा..."
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दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के खजांची जय वाजपेयी के कनेक्शन की फेहरिस्त बड़ी लम्बी है... |
रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह द्वारा वर्तमान अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी और जय वाजपेयी के संबंधों को लेकर कई बार आवाज उठा या जा चुका है। यह भी बात सामने आ रही है कि जय वाजपेयी, गैंगेस्टर अपराधी विकास दुबे की काली कमाई को हजम करना चाह रहा था। इसलिए उसने पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से मिलकर विकास दुबे का एनकाउंटर कराने की योजना बनायी थी। 2/3 जुलाई 2020 की रात पुलिस अफसरों के दबाव में ही पुलिस टीम ने आनन-फानन में विकास दुबे के यहां दबिश दी थी, जिसमें विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस टीम को घेरकर हमला बोला था और डीएसपी देवेन्द्र मिश्र समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। इसके आठ दिन बाद पुलिस ने विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था। विकास दुबे के साथ ही उसके पांच और साथियों का पुलिस अब तक एनकाउंटर कर चुकी है।
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जय वाजपेयी का रसूख बहुत ऊँचा है, तभी तो भाजपा सत्ताधारी दल के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के साथ तन के खड़ा है,जय... |
FIR दर्ज होने के 35मिनट के बाद ही पुलिस ने डाल दी थी,दबिश...
वैसे तो आम आदमी की शिकायत पर पुलिस के कान में कई दिनों तक जूं नहीं रेंगती,परन्तु जहाँ मामला लेनदेन का होता है अथवा ऊपर से रसूख के हिसाब से सेटिंग का रहता है तो FIRबाद में दर्ज होती है और कार्यवाही पहले हो जाया करती है। विकास दुबे के प्रकरण में तो 35मिनट पहले कम से कम FIR तो उत्तर प्रदेश की ईमानदार पुलिस दर्ज कर लेती है और उसके बाद अगली रणनीति तय करते हुए दबिश के लिए निकलती है।कानपुर नगर के विकरू गांव निवासी गैंगेस्टर विकास दुबे के विरुद्ध राहुल तिवारी की तहरीर पर 2 जुलाई 2020 की रात 11.52 बजे एफआईआर दर्ज की गयी। इसी रात 12.27 बजे पुलिस की टीम विकरू गांव में विकास दुबे के घर दबिश देने पहुंच गयी। यानि एफआईआर दर्ज होने के महज 35 मिनट बाद ही पुलिस ने दबिश डालने जैसी कार्रवाई कर दी और आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गये। यानि सबकुछ प्री-प्लान जैसा नजर आ रहा है। यह किसके इशारे पर किस मकसद से किया गया यह जांच का विषय है।
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जय वाजपेयी के हावभाव देखने से ही लगता है कि पैसा बोलता है... |
जय और विकास के बीच हुआ था, 75करोड़ का लेनदेन...
एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त जांच में यह बात सामने आयी है कि जय वाजपेयी और विकास दुबे के बीच एक साल के भीतर 75 करोड़ रुपये का लेनदेन छह बैंकों के एकाउंटर नंबर से की गयी थी। बताते हैं कि विकास दुबे की काली कमाई को जय वाजपेयी ही आईपीएल और सट्टों में लगाता था और उसका हिस्सा विकास दुबे को देता था। इतनी बड़ी रकम को वापस न करना पड़े इसके लिए जय वाजपेयी ने विकास दुबे के ही खात्मे का प्लान बना डाला और पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर घटना को अंजाम दे डाला। सच कहा गया है कि जार,जोरू और जमीन क्या न करा दे...???
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राजाओं सरीखे हाव भाव रखता है,खजांची जय वाजपेयी.... |
जय वाजपेयी पुलिस की गिरफ्त में, अब होगा पूरा खुलासा...
पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक जय वाजपेयी के मामले की जांच ईडी द्वारा की जा रही है। जय वाजपेयी पुलिस की गिरफ्त में है। विकास दुबे और जय वाजपेयी के संबंधों के साथ ही जय की संपत्तियों और उसके अफसरों से मिलीभगत मामले पर भी नजर रखी जा रही है और पूरे मामले का जल्द खुलासा किया जाएगा। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी की इमानदारी और स्वच्छ छवि का दर्शन प्रदेश की जनता इसी जय वाजपेयी और उसके जुड़े सत्ताधारी नेताओं और नौकरशाहों के सम्बन्धों के मामले में खुलकर दिख जाएगा कि इमानदारी की कितनी कद्र सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी करते हैं...???
वैसे विकास दुबे का खजांची जय बाजपेई ने दोहरा खेल खेला है। एक तरफ बिकरू गांव में हुई मुठभेड़ से ठीक पहले विकास दुबे को असलहे और रकम पहुंचाई तो दूसरी तरफ राहुल तिवारी की मदद की। एक अफसर से दबाव बनवाकर उसने विकास दुबे के खिलाफ राहुल की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कराई। विकास के रुपये न देने पड़ें, इसलिए उसने ऐसा किया। साथ ही विकास के साम्राज्य पर कब्जा भी जमाना चाहता था। पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ है। हालांकि पुलिस ने इसे सार्वजनिक नहीं किया है।
जय कई सालों से विकास दुबे से जुड़ा था। उसने विकास की करोड़ों की रकम अलग-अलग कारोबार में लगा रखी थी। सात-आठ करोड़ रुपये ब्याज पर उठा रखे थे। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक जय यह पूरी रकम हड़पना चाहता था। जिन कामों में विकास की रकम लगाई गई थी, उसे भी कब्जाना चाहता था। इसी वजह से उसने राहुल की मदद की। उसे यकीन था कि इस मामले के बाद विकास या तो जेल जाएगा या एनकाउंटर में मारा जाएगा। इसके बाद वह विकास की रकम हजम कर जाएगा। हालांकि अब खुद जय भी मामले में फंस गया है।
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