राजा भईया इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ सरकार से पूर्व मंत्री तथा कुंडा के बाहुबली निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने का कारण पूछा है...
हाईकोर्ट ने कहा- जवाब संतोषजनक नहीं मिला तो करेंगे कार्यवाही शिव प्रकाश मिश्र "सेनानी" की याचिका पर सुनवाई के दौरान HCका आदेश...
![]() |
HC ने UP सरकार से पूछा "राजा भईया" के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस क्यों लिया...??? |
प्रदेश में अपराध तथा अपराधी पर शिकंजा कसने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार को अब इलाहाबाद हाईकोर्ट कठघरे में खड़ा कर रही है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ सरकार से पूर्व मंत्री तथा दबंग निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने का कारण पूछा है। इससे निर्दलीय विधायक राजा भईया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमें वापस ले लिए है। जिसको लेकर यूपी की सियासत में अब कई तरह के सवालों के घेरे में आ गई है।"योगी सरकार दरअसल रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" पर योगी सरकार इतनी मेहरबान कैसे हो गई कि उन्होंने उनके खिलाफ दर्ज मुकदमें ही जड़ से खत्म कर दिए ? क्या यह चुनाव से पहले की तैयारी तो नहीं ? चूंकि वर्ष- 2022 में विधान सभा के चुनाव होने हैं। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी से बेहतर सम्बन्ध हैं। योगी जी की चली होती तो आज राजा भईया उनके मंत्रिमंडल का हिस्स्सा होते और सांसद संगम लाल गुप्ता की जगह अक्षय प्रताप सिंह "गोपाल जी " आज प्रतापगढ़ के सांसद होते। बात बिगड़ गई सिर्फ कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र की सीट को लेकर ! नहीं तो आज जनसत्ता दल लोकतांत्रिक राजग का घटक दल होता ! ऐसा कहा जा रहा है कि "राजा भईया" के खिलाफ दर्ज मुकदमों को सरकार ने चुनाव से पहले वापस ले लिए हैं। ताकि उत्तर प्रदेश में आगामी विधान सभा-2022 की चुनावी बिसात बिछाई जा सके..."
![]() |
उच्च न्यायालय इलाहाबाद, खण्डपीठ लखनऊ... |
![]() |
कुंडा के बाहुबली निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया"... |
"यह पहली बार नहीं हुआ कि रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" के ऊपर दर्ज मुकदमा जब सरकार वापस ली हो ! सामाजवादी पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने माया सरकार में "राजा भईया" पर दर्ज "पोटा कानून" को वापस लिया था, तब भी न्यायालय ने आपत्ति उठाई थी और "राजा भईया " को मंत्री पद से त्यागपत्र तक देना पड़ा था। बाद में कांग्रेस की सरकार जब केंद्र में आई तो "पोटा कानून" को खत्म कर दिया था और बाद में न्यायालय से ट्रायल के दौरान राजा भईया भी "पोटा कानून" से दोष मुक्त हुए थे..."
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को आईना दिखाते हुए यह भी कहा कि जिस अभियुक्त के खिलाफ कई मुदकमें दर्ज हों, उसके खिलाफ उदारतापूर्ण रवैया नहीं अपनाया जा सकता है। यह आदेश जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी एवं जस्टिस मनीष कुमार की पीठ ने शिव प्रकाश मिश्रा सेनानी की ओर से दायर रिट याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवायी करते हुए पारित किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया के खिलाफ प्रतापगढ़ के कुंडा से चुनाव लडने वाले शिव प्रकाश मिश्र "सेनानी" की याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से 21 जुलाई तक यह जानकारी मांगी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने का कारण उत्तर प्रदेश की सरकार से पूछा है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर संतोषजनक कारण सामने नहीं आए, तो वो खुद संज्ञान लेकर मामले का परीक्षण करेगा। जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस मनीष कुमार की पीठ ने शिव प्रकाश मिश्र "सेनानी" पर आदेश देते हुए कहा कि सरकारी अधिवक्ता सक्षम अधिकारियों से निर्देश प्राप्त करके यह बताएं कि निर्धारित अवधि में याची के प्रत्यावेदन पर निर्णय क्यों नहीं लिया गया ? जवाब असंतोषजनक होने पर अदालत अवमानना का संज्ञान लेगी। याचिकाकर्ता के वकील एसएन सिंह रैक्वार ने बताया कि मेरे मुवक्किल शिव प्रकाश मिश्र "सेनानी" राजा भईया के खिलाफ कुंडा से कई बार विधान सभा चुनाव लड़ चुके हैं। उनको जान का खतरा है। उन्हें सुरक्षा मिली हुई थी, जिसकी मियाद खत्म हो रही थी और याचिकाकर्ता ने इसे जारी रखे जाने के लिए प्रत्यावेदन भी दिया हुआ था, पर उस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा था।
![]() |
योगी आदित्यनाथ,मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश... |
याचिकाकर्ता शिव प्रकाश मिश्र "सेनानी" ने अपनी याचिका में सुरक्षा बरकरार रखने के साथ राजा भईया के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लिए जाने का मुद्दा उठाया। इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी रघुराज प्रताप सिंह राजा भईया के खिलाफ दर्ज मुकदमें सरकार के इशारे पर वापस लिए गए हैं तो इसका कारण स्पष्ट किया जाए। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि अगर संतोषजनक कारण नहीं बताया जाता है तो अदालत इसका भी स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रकरण का परीक्षण करेगी। हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों को नरमी के साथ वापस लिए जाने के मामले का परीक्षण किए जाने की जरूरत है। देश में गजब का शासन है, जब चाहा जिसके खिलाफ तो मुकदमा दर्ज कर लिया और जब चाहा तो वापस कर लिया ! खाला का घर हो गया है। जब मर्जी आईये और जब मर्जी चले जाईये। मुकदमा नहीं मानों मौर्य के खेत की सब्जी है जो जब चाहा बोया और जब चाहा काट लिया।
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें