क्या प्रियंका वाड्रा और कांग्रेसी फौज, देश को यह बताएगी कि उत्तर प्रदेश सरकार का वह कैबिनेट मंत्री, राजीव गांधी सरकार के वो दो कैबिनेट मंत्री कौन थे, जिनके यहाँ 17 मई, 1984 को दिल्ली से सीबीआई की एक टीम लखनऊ पहुंची थी...???
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी जी का खास सिपहसलार नाजिर अली... |
आइए जानते हैं कि वर्ष-1962 में देश जब चीन के साथ युद्ध की विभीषिका से जूझ रहा था तो उसी दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस ने नाजिर अली नाम के एक युवक को 200 किलो अफीम के साथ पकड़ा था। उस युवक के खिलाफ क्या और कैसी कार्रवाई हुई थी ? इसका अनुमान इस तथ्य से लगाइए कि 17 मई, 1984 को दिल्ली से सीबीआई की एक टीम लखनऊ पहुंची थी। स्थानीय पुलिस के साथ उसने एक विधायक के सरकारी आवास पर छापा मारा था। विधायक महोदय अपने बेडरूम में 20 किलो हेरोइन के साथ पकड़े गए थे। विधायक महोदय के कमरे से केवल हेरोइन ही नहीं बल्कि हेरोइन समेत सभी मादक पदार्थों की क्वालिटी (गुणवत्ता) जांचने परखने वाली मशीन भी मिली थी। यह विधायक कोई और नहीं बल्कि वर्ष-1962 में 200 किलो अफीम के साथ गिरफ्तार हुआ वही युवक नाजिर अली था जो वर्ष-1984 तक तत्कालीन सत्ताधारी दल कांग्रेस का सम्मानित विधायक बन चुका था।
अपनी गिरफ्तारी के समय अपने पास से बरामद हुई 20 किलो हेरोइन के विषय में नाजिर अली ने उस समय बताया था कि उसे यह 20 किलो हेरोइन उत्तर प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के भाई ने दी है। नाजिर अली के उस कबूलनामे के बाद और बावजूद उस कैबिनेट मंत्री या उसके भाई के खिलाफ तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा किसी कार्रवाई करने की तो बात छोड़िए। उस कैबिनेट मंत्री का नाम तक कभी सार्वजनिक नहीं किया गया। एक और तथ्य जान लीजिए कि नाजिर अली वर्ष-1980 में शाहजहांपुर की ददरौल सीट से तत्कालीन जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आया था। लेकिन कांग्रेस के लिए वो इतना महत्वपूर्ण था कि तत्कालीन विधानसभा में तीन चौथाई (330 सीटों) बहुमत के साथ अपनी सरकार होने के बावजूद नाजिर अली को वर्ष- 1981 में कांग्रेस में शामिल किया गया था।
नाजिर अली के यहां छापेमारी और उसकी गिरफ्तारी के बाद उसे पार्टी से निष्कासित करने का पाखंड किया गया था। कानूनी कार्रवाई के नाम कैसा पाखंड हुआ था इसका अनुमान इस बात से लगाइए कि नाजिर अली वर्ष- 1987 में कांग्रेस छोड़कर जनमोर्चा बनाने वाले वीपी सिंह के जनमोर्चा में शामिल होकर उनके साथ राजनीतिक और चुनावी रैलियों में जमकर नेतागिरी करने में जुट गया था। जबकि उस समय उसे जेल में होना चाहिए था। शर्मनाक हास्यास्पद तथ्य यह भी है कि 85 वर्ष की आयु में नाजिर अली की जब मृत्यु हुई तो उसके जिले की जिला कांग्रेस कमेटी ने कार्यालय में उसकी स्मृति में जिला कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर उसे भावभीनी श्रद्धांजलि भी अर्पित की थी। लेकिन कांग्रेसी सरकार में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण का यह अकेला उदाहरण नहीं है।
अपनी गिरफ्तारी के समय अपने पास से बरामद हुई 20 किलो हेरोइन के विषय में नाजिर अली ने उस समय बताया था कि उसे यह 20 किलो हेरोइन उत्तर प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के भाई ने दी है। नाजिर अली के उस कबूलनामे के बाद और बावजूद उस कैबिनेट मंत्री या उसके भाई के खिलाफ तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा किसी कार्रवाई करने की तो बात छोड़िए। उस कैबिनेट मंत्री का नाम तक कभी सार्वजनिक नहीं किया गया। एक और तथ्य जान लीजिए कि नाजिर अली वर्ष-1980 में शाहजहांपुर की ददरौल सीट से तत्कालीन जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आया था। लेकिन कांग्रेस के लिए वो इतना महत्वपूर्ण था कि तत्कालीन विधानसभा में तीन चौथाई (330 सीटों) बहुमत के साथ अपनी सरकार होने के बावजूद नाजिर अली को वर्ष- 1981 में कांग्रेस में शामिल किया गया था।
नाजिर अली के यहां छापेमारी और उसकी गिरफ्तारी के बाद उसे पार्टी से निष्कासित करने का पाखंड किया गया था। कानूनी कार्रवाई के नाम कैसा पाखंड हुआ था इसका अनुमान इस बात से लगाइए कि नाजिर अली वर्ष- 1987 में कांग्रेस छोड़कर जनमोर्चा बनाने वाले वीपी सिंह के जनमोर्चा में शामिल होकर उनके साथ राजनीतिक और चुनावी रैलियों में जमकर नेतागिरी करने में जुट गया था। जबकि उस समय उसे जेल में होना चाहिए था। शर्मनाक हास्यास्पद तथ्य यह भी है कि 85 वर्ष की आयु में नाजिर अली की जब मृत्यु हुई तो उसके जिले की जिला कांग्रेस कमेटी ने कार्यालय में उसकी स्मृति में जिला कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर उसे भावभीनी श्रद्धांजलि भी अर्पित की थी। लेकिन कांग्रेसी सरकार में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण का यह अकेला उदाहरण नहीं है।
27 मई, 1988 को नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर देवेन्द्र दत्त ने मुम्बई के पंचतारा होटल सेंटूर से अन्तरराष्ट्रीय ड्रग माफिया सरगना सैम बिरियानी को गिरफ्तार किया था। देवेन्द्र दत्त ने बाकायदा मीडिया में बयान देकर तब बताया था कि अपनी गिरफ्तारी के समय ड्रग माफिया सरगना सैम बिरियानी ने देवेन्द्र दत्त पर दबाव डलवाने के लिए तत्कालीन केन्द्र सरकार के दो कैबिनेट मंत्रियों समेत राष्ट्रीय स्तर के कुछ भारी भरकम नेताओं को फोन कर के उनसे बात करवाने की जिद्द की थी। कौन थे वो दोनों कैबिनेट मंत्री और राजनेता, जिस सवाल का जवाब देश की जनता को आज तक नहीं मिला ? अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण का वह शर्मनाक खतरनाक सच देश को कभी नहीं बताया गया। अतः उन कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई या जांच की तो बात ही छोड़ दीजिये। यहां उल्लेख करना आवश्यक है कि केन्द्र की वह तत्कालीन सरकार कांग्रेस की थी और उस सरकार के प्रधानमंत्री माननीय आदरणीय मिस्टर क्लीन श्री राजीव गांधी जी थे।
प्रियंका वाड्रा को इस बात को याद रखना चाहिए कि जो आरोप उनके द्वारा वर्तमान शासन सत्ता पर आरोपित किया जा रहा है उससे भी घिनौना आरोप तो उनके कार्यकाल में लगे रहे होंगे। इसलिए आरोप लागने से पहले उस आरोप की मापतौल अवश्य कर लेनी चाहिए ताकि उन पर अंगुली न उठ सके। ये कथन इसलिए प्रासंगिक और आवश्यक हो गया, क्योंकि 8 पुलिसकर्मियों के हत्यारे विकास दुबे के उज्जैन तक पहुंच जाने और वहां उसकी गिरफ्तारी होने को लेकर प्रियंका वाड्रा ने आज योगी सरकार पर तीखा हमला किया है। विकास दुबे की गिरफ्तारी को लेकर प्रियंका वाड्रा ने हत्यारे विकास दुबे को मिल रहे उच्च स्तरीय संरक्षण तथा मिलीभगत का आरोप लगाया है। पिछले 3-4 दिनों से पूरी कांग्रेसी फौज यही राग जोर शोर से अलाप रही है। अतः प्रियंका वाड्रा समेत कांग्रेसी फौज को यह याद दिलाना आवश्यक है कि अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण क्या और कैसा होता है ? इसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कांग्रेस दशकों पूर्व से ही करती रही है। चमचों चाटुकारों के सूचनार्थ उल्लेख कर दूं कि उपरोक्त सारे तथ्यों से सम्बन्धित ठोस साक्ष्यों की सूची बहुत लम्बी है।
प्रस्तुति :- सतीश मिश्र
प्रस्तुति :- सतीश मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें