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शनिवार, 20 जून 2020

अपने देश की सेना के बजाए चीन की हौंसला अफजाई में लगे हैं भारत के कुछ नेता और मीडिया घराने

विरासत में मिली खानदानी राजनीति को भी नहीं समझ पाए राहुल गांधी...

 आखिर चाहते क्या हैं,राहुल गांधी...???
लोकतंत्र का यह कतई मतलब नहीं कि नाजुक मौकों पर अपने ही देश की सेना की खामियां निकाली जाए, और दुश्मन देश की हौंसला अफजाई की जाए। 15 जून की रात को लद्दाख सीमा पर गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ जो कुछ भी हुआ उसे लेकर भारत के कुछ नेता और मीडिया घराने वो सब कुछ कर रहे हैं, जिससे चीन की हौंसला अफजाई होती है। 

चीन की ओर से 15 जून की घटना पर अभी तक भी कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन भारत में कुछ नेता और पत्रकार ऐसा प्रदर्शित कर रहे हैं, जिससे लगे कि भारत कमजोर स्थिति में है। कहा जा रहा है कि गत वर्ष जब भारत ने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक की थी, तब सेना के अधिकारियों ने कई बार मीडिया के समाने आकर अपनी कामयाबी की जानकारी दी। यहां तक कि पाकिस्तान के इस एफ-16 विमान के टुकड़े भी दिखाए गए, जिसे भारत की सेना ने मार गिराया था। लेकिन इस बार चीन के साथ जो कुछ हुआ, उसके बारे में सेना की ओर से कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। यानि अब हमारे नेता  और एक खास विचारधारा वाले पत्रकार सीधे सेना को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। 

सब जानते हैं कि सेना का कोई भी एक्शन देश की सुरक्षा से जुड़ा होता है। सीमा पर हुई किस घटना की जानकारी देशवासियों को दी जाए यह सैन्य अधिकारियों पर निर्भर करता है। किसी नेता और पत्रकार के चाहने पर देश की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती। देश के हर नागरिक को अपनी सेना पर भरोसा होना चाहिए। जो नेता और पत्रकार दिल्ली में बैठकर अपनी जुबान चला रहे हैं, उनका शरीर हमारी सेना की वजह से ही सुरक्षित है। सेना ने हमें न केवल पाकिस्तान के आतंकवादियों से बचा रखा है, बल्कि चीन जैसे धोखेबाज देश से भी हमारी सुरक्षा कर रखी है। यदि हमारी सेना सीमा पर मुस्तैद न हो तो दिल्ली में बैठकर जुबान नहीं चलाई जा सकती। 15 जून रात की घटना को लेकर भारत में अनेक सवाल खड़े किए जा रहे है,जबकि चीन में इस घटना का जिक्र तक नहीं है। 

चीन में सरकार और सेना से सवाल जवाब करने वाला भी कोई नहीं है। यह माना कि लोकतंत्र में सवाल जवाब किए जा सकते हैं। लेकिन जब मुद्दा देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ हो तब सवाल भी देशहित में करने चाहिए। चीन में तानाशाही व्यवस्था है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जो कहा उसे ही मानना अनिवार्य है। चीन में विरोध की कोई गुंजाइश नहीं है। सेना से कोई चीनी नागरिक सवाल जवाब नहीं कर सकता है। हमें यह भी समझना होगा कि लद्दाख की 15 हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर विपरीत परिस्थितियों में हमारे सैनिक देश की सुरक्षा कर रहे हैं। लोकतंत्र में यदि कोई सरकार गलत निर्णय लेती है तो उसे विरोध के माध्यम से हटाने का अधिकार है। लेकिन सेना को लेकर सवाल जवाब करना उचित नहीं माना जा सकता। चीन के मद्दे पर देशवासियों को एकजुटता दिखाने की जरुरत है।

प्रस्तुति:- एस.पी.मित्तल

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