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शनिवार, 20 जून 2020

चीन की ताकत का डंका देश में पीटकर वामपंथियों और कांग्रेसियों ने भारतीयों पर चीन की ताकत का जो मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया है,उसकी साजिश बहुत गहरी है

राहुल गांधी 30 नवम्बर 2008 की रात रईसजादों की रंगीन रातों के पंचतारा अड्डे की पहचान वाले एक शानदार फार्महाउस में अपने दोस्त समीर शर्मा की शादी से पहले की रस्म "संगीत" के जश्न में मध्यरात्रि से लेकर सवेरे 5 बजे तक नाचगाने और बेहतरीन खाने-"पीने" का जमकर लुत्फ ले रहा था गलवान घाटी में 20 जवानों के बलिदान पर उस राहुल गांधी द्वारा गम और गुस्से से छाती कूटी जा रही है जो जेएनयू के उन देश विरोधी, सेना विरोधी लफंगों का समर्थन करने रात को जेएनयू पहुंच गया था जो लफंगे भारतीय सेना को खुलेआम चिल्ला-चिल्ला कर हत्यारी बलात्कारी अत्याचारी कह रहे थे..."
1 दिसम्बर, 2008 को यह खबर प्रकाशित हुई थी...

गलवान घाटी में 20 जवानों के बलिदान पर उस राहुल गांधी द्वारा छाती कूटी जा रही है जो राहुल गांधी 30 नवम्बर, 2008 की रात रईसजादों की रंगीन रातों के पंचतारा अड्डे की पहचान वाले, दिल्ली के छतरपुर इलाके के एक शानदार फार्महाउस में अपने दोस्त समीर शर्मा की शादी से पहले की रस्म "संगीत" के जश्न में मध्य रात्रि से लेकर सवेरे 5 बजे तक नाच गाने और बेहतरीन "खाने-पीने" का जमकर लुत्फ जब ले रहा था, उस समय 26 नवम्बर से 28 नवम्बर तक मुम्बई में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा खेली गयी खून की होली में शहीद सेना के दो कमांडों और मुम्बई पुलिस के 15 जवानों समेत मारे गए 138 हिंदुस्तानियों तथा 28 विदेशी नागरिकों में से 90% की लाशों का अंतिम संस्कार भी सम्पन्न नहीं हो पाया था। कांग्रेसी नेता द्वारा भारतीय सेनाध्यक्ष को सड़क का गुंडा कहे जाने पर यही राहुल गांधी मौन रहा था, आजतक उस बयान की ना उस नेता की निंदा की ना उस नेता के विरुद्ध कोई कार्रवाई की।     

यह तीन उदाहरण पर्याप्त हैं यह बताने के लिए कि भारतीय सेना और देश के लिए बलिदान होने वाले भारतीय सैनिकों के प्रति राहुल गांधी के मन मस्तिष्क में क्या कैसा और कितना सम्मान है। इसलिए आज वही राहुल गांधी जब गलवान घाटी में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले बलिदानी जवानों के बलिदान पर गम और गुस्से का तमाशा तो कर रहा है, लेकिन उन 20 बलिदानी जवानों और उनके परमवीर साथियों द्वारा चीन के 40 से अधिक जवानों को मौत के घाट उतार दिए जाने पर जबर्दस्त शातिर चुप्पी साधे हुए है। दरअसल यह संयोग नहीं है यह देश की सेना उसके वीर जवानों का मनोबल ध्वस्त कर देने की चीन की साजिश का ही एक महत्वपूर्ण अंग है देश की जनता को यह सन्देश देने की साजिश है कि चीन बहुत बलवान है और हमारी सेना कायर और कमजोर है ऐसा करके देश की जनता का भी मनोबल ध्वस्त कर देने की चीन की साजिश है। क्या राहुल गांधी का अबतक का आचरण चीन की उसी साजिश के शत प्रतिशत अनुरूप नहीं दिख रहा है...???

दुनिया का कोई मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी यह जानता है कि युद्ध हो या सैन्य टकराव ! दोनों पक्षों के लोगों की जान जाती है महत्त्वपूर्ण यह होता है कि कौन पक्ष भारी पड़ा गलवान में 20 भारतीय जवानों के बलिदान की क़ीमत चीन को अपने 40 से अधिक सैनिकों की जान गंवा कर चुकानी पड़ी है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने भी इसकी पुष्टि की है लेकिन भारतीय सैनिकों के इस अदम्य साहस, शौर्य और प्रचंड पराक्रम को पूरी तरह नकार कर राहुल गांधी हंगामा हुड़दंग तो कर रहा है, लेकिन उसके मुंह से आजतक उन बलिदानी सैनिकों और उनके परमवीर साथियों के अदम्य साहस, शौर्य और प्रचंड पराक्रम की प्रशंसा में एक शब्द नहीं फूटा है कि हमारे सैनिकों ने चीन को उसकी औकात बतायी है। हमें गर्व है अपने सैनिकों पर ! दरअसल राहुल गांधी अगर यह कह देगा तो चीन की बहुत बेइज्जती हो जाएगी वर्ष-1962 से चीन की ताकत का डंका देश में पीटकर वामपंथियों और कांग्रेसियों ने भारतीयों पर चीन की ताकत का जो मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया है, उस दबाव की धज्जियां उड़ जाएंगी और यदि ऐसा हुआ तो वो शी जिनपिंग बहुत नाराज हो जाएगा जिसके साथ मां बेटे ने 12 साल पहले बीजिंग जाकर वो सीक्रेट डील की थी जो देश के समक्ष अब उजागर हुई है इसीलिए मैंने कहा कि इस साजिश को समझिए...

प्रस्तुति : - सतीश मिश्र  

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