इलाहाबाद हाईकोर्ट... |
कोर्ट ने कहा कि फैसले पर पुनर्विचार करते समय या अदालत अपीलेट कोर्ट की तरह निर्णय की मेरिट पर विचार नहीं कर सकती है और ना ही मामले की फिर से सुनवाई की इजाजत दी जा सकती है। पूर्वांचल स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन व अन्य की पुनर्विचार अर्जी पर न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने सुनवाई की। स्कूलों की ओर से पुनर्विचार अर्जी दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंडियन स्कूल जोधपुर तथा गांधी सेवा सदन राजसमंद आदि फैसलों में दिए गए निर्णय को आधार बनाते हुए कहा गया था कि इन निर्णय में सुप्रीम कोर्ट में स्कूलों को करोना काल में फीस लेने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने अपना निर्णय देते समय इन सभी पहलुओं पर भलीभांति विचार कर लिया था। कोई ऐसा नया तथ्य सामने नहीं लाया गया है जिसके आधार पर इस मामले पर पुनर्विचार किया जा सके।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जो छात्र विद्यालय में पढ़ रहे हैं। उनकी फीस अगले सत्र की फीस में एडजस्ट की जाए तथा जो छात्र स्कूल छोड़ चुके हैं उनसे ली गई। फीस में से 15 प्रतिशत फीस वापस कर दी जाए। कोरोना काल में स्कूलों द्वारा वसूली जा रही फीस माफ किए जाने को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं और जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सभी स्कूलों को साल 2020-21 में ली गई कुल फीस का 15 प्रतिशत जोड़कर आगे के सेशन में एडजस्ट करना होगा। साथ ही साथ जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं। स्कूलों को उन्हें साल 2020-21 में वसूले गए शुल्क का 15 प्रतिशत मूल्य जोड़कर लौटना होगा। इस पूरी प्रक्रिया को करने के लिए हाईकोर्ट ने सभी सकूलों को 2 महीने का समय दिया है।
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