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रविवार, 19 मार्च 2023

सपा का स्वामी प्रसाद के एजेंडे से यू टर्न: नुकसान अधिक, फायदा कम, स्वामी को मंच पर भी नहीं मिली जगह

सपा की बैठक में आजम-बर्क रहे दूर, शिवपाल ने रखा 50सीटें जीतने का लक्ष्य...

स्वामी को मंच पर नहीं मिली जगह...

लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने श्रीरामचरितमानस की चौपाई के बहाने 85-15 के फॉर्मूले के हिसाब से बंटवारा कर पिछड़ों को पक्ष में करने की मुहिम से अपना पैर पीछे खींच लिया हैं। सपा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में धार्मिक पुस्तकों और धर्म से जुड़े संतों पर टिप्पणी से बचने का संदेश देकर समाज में किसी को भी छोड़ने की जगह सभी वर्गाें को साधने की रणनीति पर बढ़ने का संदेश दिया गया है।

कार्यकारिणी बैठक में सबसे ज्यादा नजर इसी बात पर थी कि श्रीरामचरितमानस को लेकर की गई स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी पर पार्टी क्या स्टैंड लेती है। स्वामी प्रसाद ने‌ बीते दिनों लगातार धार्मिक टिप्पणी की। श्रीरामचरितमानस की चौपाई ढोल, गंवार, सूद्र, पशु, नारी को लेकर इस तरह सवाल उठाया कि सपा को आलोचना का शिकार होना पड़ा। इतना ही नहीं सपा के अंदर भी विरोध शुरू हो गया। मगर स्वामी प्रसाद की पूर्व मुख्यमंत्री सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद यह मुद्दा ज्यादा चर्चा का विषय बना। स्वामी प्रसाद ने मुलाकात के बाद बात तो जातीय जनगणना को मुद्दा बनाने को लेकर की, लेकिन बयानबाजी श्रीरामचरितमानस पर बढ़ती गई। हालत ये हो गई कि सपा दो फाड़ में नजर आने लगी।


सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय और पवन पांडेय ने श्रीरामचरितमानस पर की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताई तो सपा के विधायक तूफानी सरोज सहित कई नेता स्वामी प्रसाद के समर्थन में आ गए। सपा ने मानस की तरफदारी करने पर आगरा से पार्टी उम्मीदवार रहीं रोली तिवारी और प्रयागराज पश्चिम की उम्मीदवार रही रिचा सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता तक दिखा दिया। इस बीच राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने स्वामी प्रसाद के बयान को उनका निजी बयान बताया, लेकिन बयानबाजी थमी नहीं। सपा में दो ध्रुव बन गए। एक स्वामी प्रसाद के बयान का समर्थन करता, तो दूसरा विरोध। इस बीच स्वामी प्रसाद लगातार किसी न किसी बहाने टिप्पणी करते रहे। विधानमंडल के भी दोनों सदनों में यह मुद्दा उठा। इस बीच सपा के वरिष्ठ नेताओं ने विवादित बयान की समीक्षा की, जिसमें नफा कम, नुकसान ज्यादा होने की आशंका नजर आई। इसे देखते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी में किसी तरह के धार्मिक और विवादित बयान से बचने का संदेश दे दिया है।


सपा राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को मंच पर जगह नहीं मिली। इसे राष्ट्रीय कार्यकारिणी जैसे मंच का किसी विवादित मुद्दे पर केंद्रित होने से बचने के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, स्वामी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मौजूद रहे। राष्ट्रीय महासचिव आजम खां कोलकाता नहीं पहुंचे। इतना ही नहीं पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की तारीफ करने वाले सफीकुर्र रहमान बर्क भी बैठक में नहीं दिखे। बरहाल मंच पर सपा महाराष्ट्र इकाई के प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी मौजूद रहे। इसके अलावा सांसद जावेद अली, एसटी हसन सहित अन्य नेता मौजूद रहे। आजम और बर्क की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में गैर मौजूदगी को उनकी नाराजगी से जोड़ कर देखा जा रहा है। बैठक के बाद शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी 50 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर कार्य कर रही है। बरहाल शिवपाल कोलकाता से लखनऊ के लिए रवाना हो गए। इसके पीछे सहकारिता चुनाव बताया जा रहा है।

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