देर आये दुरुस्त आये की कहावत को चरितार्थ किया विवेचनाधिकारी कोतवाली नगर प्रतापगढ़ के दरोगा कबीर दास...
कोतवाली नगर में दर्ज अपराध संख्या-0005/2019 की विवेचनाधिकारी जब सब इंस्पेक्टर कबीर दास को मिली तो वह भी बिना आरोपी का पक्ष जाने एक तरफा कार्रवाई करते हुए CJM प्रतापगढ़ की अदालत से सीआरपीसी की धारा- 82 की कार्रवाई कर डाला और डेली सुबह और शाम दबिश देना शुरू किया। तब जाकर आरोपी इमरान हाशमी को मुकदमें की वर्तमान स्थिति की जानकारी हुई। आरोपी इमरान हाशमी भागकर जिला जज की अदालत में अग्रिम जमानत के लिए अपना प्रार्थना पत्र दिया, जिसकी सुनवाई ADJ कोर्ट संख्या पांच की अदालत में हुई और अदालत ने अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया। आरोपी इमरान हाशमी हाईकोर्ट खंडपीठ लखनऊ में अग्रिम जमानत के लिए रिट याचिका संख्या- 9172/2021 दाखिल किया। हाईकोर्ट खंडपीठ लखनऊ ने आरोपी इमरान हाशमी के विद्वान अधिवक्ता दुर्गा प्रसाद शुक्ल के पक्ष को सुना और उक्त मुकदमें में अग्रिम जमानत दे दी। चूँकि उक्त मुकदमा का आधार मृत्यु प्रमाण पत्र रहा और जिस आधार पर मुकदमा लिखा गया था, वह आधार ही ध्वस्त हो गया था। जिस मृत्यु प्रमाण पत्र को पुलिस सही मान रही थे, वही कूटरचित दस्तावेज पर तैयार कराया गया था, जिसे जाँच में नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी द्वारा निरस्त कर दिया गया।
मृतका इसरातुल निशा की मौत का दो बार नगरपालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। पहला मृत्यु प्रमाण पत्र वर्ष-2012 में मृतका इसरातुल निशा की बेटी हसीना बेगम ने बनवाया था। जबकि मृतका इसरातुल निशा के पौत्र अकबर अली और उनके संरक्षक जावेद अहमद ने नगरपालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ से कूट रचित दस्तावेज पेश करके दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र वर्ष-2019 में बनवाया गया। मजेदार बात यह है कि षड्यंत्रकारी भूमाफिया जावेद अहमद के इशारे पर पुलिस महकमें के दरोगाओं ने घर बैठे विवेचना कर डाला। यह भी नहीं ध्यान दिया कि मृतका इसरातुल निशा का पहला मृत्यु प्रमाण पत्र वर्ष-2012 वाला सही है अथवा दूसरा मृत्यु पत्र वर्ष-2019 वाला सही है। जबकि विवेचनाधिकारी महोदय चाहते तो पल्टन बाजार की कब्रिस्तान जाकर वहाँ का अभिलेख देख लिए होते कि मृतका इसरातुल निशा कब सुपुर्दे ख़ाक हुई थी ? परन्तु विवेचनाधिकारी को इतनी फुर्सत कहाँ कि वह कब्रिस्तान जाकर सच्चाई का पता लगाते ? इमरान हाशमी की शिकायत पर नगरपालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ ने मृतका इसरातुल निशा के दोनों मृत्यु प्रमाण पत्र की जाँच की तो जाँच में पाया गया कि दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र वर्ष-2019 वाला कूट रचित दस्तावेज के आधार पर नगरपालिका के अधिकारियों को गुमराह करके बनवाया गया था।
जाँच रिपोर्ट आते ही अधिशासी अधिकारी मुदित सिंह दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र वर्ष-2019 निरस्त कर दिया और कोतवाली नगर में एक तहरीर आवेदक अकबर अली के खिलाफ मुकदमा दराज करने हेतु दिनांक- 24/09/2021 को दिया है। फिलहाल अभी कोतवाली नगर में मुकदमा तो नहीं दर्ज हो सका है, परन्तु एक दिन नगर कोतवाल को मुकदमा तो लिखना ही पड़ेगा। इस कूट रचना में अकबर अली का संरक्षक जावेद अहमद भी अभियुक्त बनेगा। क्योंकि अकबर अली से उसकी दादी का मकान का एग्रीमेंट जावेद अहमद अपने नाम ले लिया है और उस मकान को पाने के लिए जावेद अहमद ही अकबर को अपना मोहरा बनाकर कूट रचित कागजात तैयार कराकर यह सब धंधा करता है। यह सब देखकर वर्तमान विवेचाधिकारी कबीर दास किं कर्तब्य विमूढ़ की स्थिति में पहुँच गए। विवेचनाधिकारी कबीर दास सबसे पहले CJM प्रतापगढ़ की अदालत से सीआरपीसी की धारा- 82 की कार्रवाई को निरस्त कराया और विवेचना की गहनता से छानबीन करके उक्त मुकदमें में फाइनल रिपोर्ट संख्या-212 दिनांक- 21/12/2021 को लगाकर अदालत में 23/12/2021 को दाखिल कर दिया। इस कार्रवाई से आरोपी इमरान हाशमी सहित अन्य आरोपियों को बड़ी राहत मिली और वह पुलिस की कलम से उक्त मुकदमें में बरी हो गया।
पुलिस की दलील और आरोपी इमरान हाशमी के मजबूत साक्ष्य को देखते हुए जल्द ही CJM प्रतापगढ़ की अदालत भी इमरान हाशमी को बरी कर सकता है। इस सफलता से षड्यंत्रकारी भूमाफिया जावेद अहमद और अकबर अली के होश फाख्ता हो गए। सारे किये कराये पर पानी फिर गया और पुलिस वालों के ऊपर खर्च किया गया धन ब्यर्थ हो गया। यही नहीं नगरपालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ में षड्यंत्रकारी भूमाफिया जावेद अहमद के हाथ कट गए। जन्म-मृत्यु पटल प्रभारी सहित नगरपालिका के समूचे स्टाफ की नजर में षड्यंत्रकारी भूमाफिया जावेद अहमद गिर गए। बेल्हाघाट के बहुचर्चित हल्का लेखपाल सुशील कुमार मिश्र के कुंडा तवादले के बाद मानों भूमाफिया जावेद अहमद के पैर ही कट गए हों ! अब ले देकर सहोदरपुर शहर के हल्का लेखपाल रामसिंह का दरबार बचा है, परन्तु वहाँ से भी भूमाफिया जावेद अहमद के पत्ते कट चुके हैं। अब असहाय सा दिखने लगा है। बात-बात में अपने मामू को फोनकर बुलाने वाला भूमाफिया जावेद अहमद असहज दिखने लगा। देखते-देखते उसके दलित-महिला और गुंडों के गठबंधन का नेटवर्क ध्वस्त हो गया। षड्यंत्रकारी भूमाफिया जावेद अहमद अपने कूटरचित कागजात के दम पर दूसरे का मकान और जमीन कब्जा करना चाहता था, जिसमें उसे मुंह की खानी पड़ी।
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