उसकी लाठी में आवाज नहीं होती,लेकिन चोट बहुत गहरी और लाइलाज होती है...
देश का PMबनते ही नरेन्द्र मोदी ने बता दिए थे कि वो पहले हिन्दू धर्मावलम्बी हैं,प्रधानमंत्री बाद में... धर्म और आस्था से समझौता नहीं,उनकी डायरी में नहीं है,इसलिए सारे हिन्दू एक होकर उन्हें दुबारा अपना पीएम बनाया... |
5 अगस्त को अयोध्या हिन्दुओं के आराध्य देव भगवान श्रीराम जी के भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होने जा रहा है। देश के शीर्ष 4 पदों पर विराजमान व्यक्तियों के नामों पर जरा ध्यान दीजिए। देश का राष्ट्रपति रामनाथ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र, लोकसभा अध्यक्ष ओम, उप राष्ट्रपति वेंकैया। जहां प्रभु श्रीराम का अयोध्या धाम स्थित है, उस उत्तर प्रदेश का मुखिया एक महंत, नाम है आदित्यनाथ। अब यह भी ध्यान दीजिये कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में सबसे बड़ा रोड़ा बनने की होड़ में बेसुध होकर दौड़े लालू पिछले कई बरस से जेल में हैं, अपने पुत्र के द्वारा की गयी भयंकर राजनीतिक सामाजिक दुर्गति दुर्दशा के फलस्वरुप मुलायम पूरी तरह राजनीतिक हाशिये पर पड़े हैं।
6वर्ष पूर्व नवम्बर 2014 में देश का प्रधानमंत्री जब काठमांडू में देवाधिदेव महादेव बाबा पशुपतिनाथ का रुद्राभिषेक कर उनके चरणों में ढाई हजार किलो चंदन अर्पित कर बाबा पशुपति नाथ की चरण-रज सगर्व अपने मस्तक पर सुशोभित कर पीतांबरी ओढ़े हुए बाबा पशुपति नाथ के दरबार से बाहर निकला था तो उस दृश्य को देखकर समूचे विश्व का हिन्दू हर्ष और गर्व से रोमांचित हो उठा था। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस परम शिवभक्त मुद्रा ने यह स्पष्ट सन्देश दिया था कि भारत अब उन हिन्दू द्रोही आततायी शासकों के शिकंजे से मुक्त हो चुका है। जिन्हें अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण स्वीकार नहीं था तथा सर्वोच्च न्यायालय में बाकायदा शपथ पत्र देकर जो यह ऐलान करते थे कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम केवल एक कोरी गप्प हैं, कल्पना मात्र हैं। 6 वर्ष पूर्व देवाधिदेव महादेव बाबा पशुपतिनाथ के दरबार में दिखा वह दृश्य ऊपर वाले का लाठीचार्ज, प्रारम्भ होने का एक संकेत संदेश मात्र था...
बाकायदा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर भगवान राम को कोरी कल्पना और गप्प मात्र घोषित करने वाली कांग्रेस राजनीति के कूड़ेदान में पहुंच चुकी है। उत्तर प्रदेश में वो और अधिक नारकीय स्थिति में पहुंच चुकी है। राम मंदिर विरोध का सबसे ऊंचा और अश्लील झंडा लेकर नाचते रहे वामपंथ की जो राजनीतिक हैसियत 30 बरस पहले भारतीय राजनीति के विषधर की थी, आज वह हैसियत घटकर भारतीय राजनीति के कीड़े-मकोड़े सरीखी हो चुकी है। बुजुर्ग इसीलिए कह गए हैं कि... भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं ! उसकी लाठी में आवाज नहीं होती, लेकिन चोट बहुत गहरी और लाइलाज होती है।
प्रस्तुति:-सतीश मिश्र...
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