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शुक्रवार, 22 मई 2020

वो सत्य जिस पर से आज तक नहीं उठ सका पर्दा

आज से ठीक 29वर्ष पूर्व 21मई, 1991को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर की एक चुनावी सभा में बम विस्फोट करके कर दी गयी थी इतिहास ने अपनी आंखें न बंद की हैं,न फोड़ ली हैं 
 सौम्य व शालीन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी...
देश में ऐसे भी मामले हुए जिनकी गुत्थी आजतक नहीं सुलझ सकी देश की स्वतंत्रता के असल नायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मौत,पंडित दीन दयाल उपाध्याय की मौत, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत, संजय गांधी की मौत, फिरोज गांधी की मौत, पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की मौत और पूर्व पीएम राजीव गांधी की मौत आज भी एक पहेली ही बनी हुई है जबकि ये सारी मौतें दुर्घटना और घटना के बीच ऐसी कहानी बनकर रह गई जिसे आज की पीढ़ी बड़ी उत्सुकता के साथ जानना चाहती है 

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी अपने बेटे व बहू के साथ... 

पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या का पूरा सच कभी सामने नहीं आ सका, उनकी हत्या से सम्बंधित एक नहीं अनेक सवाल आज तक अनुत्तरित ही रहे हैं राजीव गांधी मात्र एक समान्य नागरिक या राजनेता नहीं थेइसके बजाय अभूतपूर्व ऐतिहासिक बहुमत के साथ वो 5 वर्ष तक इस देश के प्रधानमंत्री रहे थे ऐसे व्यक्ति की जघन्य हत्या तथा उस हत्या से जुड़े अनेकानेक अनुत्तरित तथ्यात्मक प्रश्नों की लम्बी श्रृंखला कई सन्देहों को जन्म देती हैं 

 चुनावी जनसभा में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी...

आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर उन प्रश्नों तथ्यों की चर्चा प्रासंगिक भी है और आवश्यक भी है आपको यह तथ्य चौंकाएगा कि एयरपोर्ट से सभास्थल तक की लगभग 50 किमी लम्बी यात्रा में राजीव गांधी के साथ उनकी कार में बैठकर उनको सभा स्थल तक लेकर गया जी.के. मूपनार नाम का तमिलनाडु का सबसे बड़ा कांग्रेस नेता सभा स्थल पर कार के पहुंचने के बाद कार से उतर कर राजीव गांधी के साथ मंच पर नहीं गया था इसके बजाय सिगरेट पीने मंच से दूर चला गया था राजनीति की थोड़ी बहुत समझ रखने वाला व्यक्ति यह समझ सकता है कि राजनीतिक रूप से यह कितना अस्वाभाविक और असम्भव घटनाक्रम थाइसे एक उदाहरण से पूरी तरह स्पष्ट किए देता हूं 

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गाँधी 

प्रधानमंत्री पद को थोड़ी देर के लिए अपने दिमाग से निकाल दीजिये और सोचिए कि क्या यह सम्भव है कि राजनेता नरेन्द्र मोदी को किसी चुनावी सभा स्थल तक लेकर जाने वाला उस प्रदेश का सबसे बड़ा भाजपाई नेता कार से उतर कर उन्हें मंच पर ले जाने के बजाय सिगरेट पीने के लिए मंच से दूर चला जाए ? ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता लेकिन आश्चर्यजनक रूप से जी. के. मूपनार ने ऐसा ही किया था और जी के मूपनार की सिगरेट खत्म होने से पहले ही मंच पर हुए बम विस्फोट ने जब राजीव को मौत के घाट उतार दिया था, उस समय जी के मूपनार मंच से बहुत दूर, सुरक्षित दूरी पर था

एक दूसरी कार में एयरपोर्ट से राजीव गांधी के साथ ही चुनावी सभा स्थल तक पहुंची तमिलनाडु कांग्रेस की दूसरी सबसे बड़ी नेता जयंती नटराजन भी राजीव गांधी के साथ मंच पर नहीं गई थीजिस समय बम विस्फोट हुआ, उस समय वो मंच से सुरक्षित दूरी पर खड़ी उस कार में ही बैठी हुई थी उस चुनावी सभा की मुख्य कर्ताधर्ता कांग्रेसी सांसद मार्गथम चन्द्रशेखर और उसके पूरे परिवार को भी इस बम विस्फोट में खरोंच तक नहीं लगी थी बम विस्फोट के समय यह सब मंच से सुरक्षित दूरी पर रहे थे क्या यह पूरा घटनाक्रम संयोग मात्र था ? इनमें से किसी के विरुद्ध कोई कार्रवाई कोई जांच कभी नहीं की गई 

जी. के. मूपनार...

कम लोगों को यह ज्ञात होगा कि आज का पी चिदंबरम उसी जीके मूपनार का राजनीतिक चेला था पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंह राव द्वारा की जा रही कार्रवाइयों से तिलमिला कर जी. के. मूपनार जब कांग्रेस छोड़कर भागा था तो चिदंबरम भी उसी की उंगली पकड़ कर उसके साथ चला गया था जी. के. मूपनार तो वर्ष-2001 में मर गया था, लेकिन वर्ष-2004 में सोनिया गांधी की यूपीए की सरकार बनने के बाद उपरोक्त सभी लोगों की जांच होने के बजाय उनकी किस्मत कैसे चमकी, राजनीति में, विशेषकर कांग्रेसी राजनीति में उनका सिक्का कैसे चला, वह कहानी और चौंकाने वाली है उपरोक्त सभी तथ्य जांच एजेंसियों की रिपोर्टों में दर्ज हैं आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर आंसू बहाने वाले चमचों और चाटुकारों ने भले ही अपनी आंखें बंद कर ली हों, या यूं कहूं कि फोड़ ली हों ! लेकिन इतिहास ने अपनी आंखें न बंद की हैं न फोड़ ली हैं... भविष्य में भी इतिहास की आंखें न बंद होंगी ना फूटेगीं 

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