मुठभेड़ में जीवैन और मौत का फासला चंद सेकंड का होता है- बृजलाल, उ प्र के पूर्व डीजीपी
लखनऊ। अखिलेश यादव ने कानपुर में आठ पुलिसकर्मियो की शहादत का अपमान किया है। अपने पिता से सियासी मुठभेड़ करनेवाले अखिलेश यादव के लिए पुलिस कर्मियों की शहादत की कोई कीमत नही। होगा भी कैसे- जब इन्होंने हमेशा आतंकवादियों और अपराधियों का साथ दिया। यह कहना है, प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल का। उन्होंने कहा कि सपा शासन में गुंडों ने थाना-चौकी, पुलिस वाहनों में आग लगा दी। पुलिस द्वारा आठ मुक़दमे लिखाये गये, अखिलेश जी ने मुख्यमंत्री बनते ही पुलिस द्वारा लिखाये गये FIR में अंतिम रिपोर्ट लगवाकर समाप्त करवा दिया। डीआईजी के एस्कोर्ट कर्मी उन्हें छोड़कर भाग गये थे। उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
उ प्र के पूर्व डीजीपी बृजलाल... |
पूर्व डीजीपी बृजलाल यही नहीं रुके उन्होंने कहा कि मुठभेड़ों में जिंदगी-मौत में चंद सेकंड का अंतर होता है। मैंने खुद मुठभेड़ों में नेतृत्व किया है और 19 शातिर अपराधियों को जहन्नुम पहुँचाया है। बृजलाल ने कहा कि मेरे सेवाकाल में मेरे निर्देशन में 300 से अधिक दुर्दांत अपराधी और आतंकवादी मारे गये। मैं जानता हूँ कि मुठभेड़ में जीवन को दाँव पर लगाना पड़ता है। बीहड़ के जंगल में दुर्दांत अपराधी ददुआ और उसकी टीम को खत्म करना आसान नहीं था, परन्तु उस समय की पुलिस टीम ने किया और मैं उस टीम को लीड कर रहा था। कहने का आशय सिर्फ इतना है कि पुलिस को सरकार की तरफ से पूरी छूट होनी चाहिए तभी अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सकता है अन्यथा अपराधी निश्चित रूप से बेलगाम और बेख़ौफ होकर घूमेंगे और मौका पाते ही पुलिस को भी नहीं छोड़ेंगे।
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