अब पायलट गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित होने का खतरा नहीं। सचिन पायलट के साथ जाने वाले 21 विधायक दिल्ली में उत्साहित...
बसपा और बीटीपी के विधायकों की विधायकी छिनेगी तो पायलट गुट के 19 विधायक भी इस्तीफा दे देंगे। तभी गिर सकती है,राजस्थान में गहलोत सरकार...
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी... |
27जुलाई को सुनवाई शुरू होने से पहले ही राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट से विशेष अनुमति याचिका वापस ले ली। जोशी के वकील और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि अब हम इस मामले में सुनवाई नहीं चाहते हैं। जरुरत होने पर नए तथ्यों के साथ आएंगे। सिब्बल के आग्रह पर कोर्ट से याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी। मालूम हो कि अध्यक्ष जोशी ने सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का नोटिस जारी किया था, इस नोटिस पर राजस्थान हाईकोर्ट ने स्थायी रोक लगा दी है। हाईकोर्ट की रोक से पहले ही सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। चूंकि अब सुप्रीम कोर्ट से भी याचिका वापस ले ली गई है, तो पायलट के 19 कांग्रेसी विधायकों को अयोग्य घोषित करने का खतरा टल गया है, लेकिन वहीं बहुजन समाज पार्टी और भारतीय ट्राइबल पार्टी के व्हिप ने राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के लिए मुसीबत खड़ कर दी है।
सीएम गहलोत और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का दावा है कि बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, जबकि बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने विधायकों के मर्जर को गैर कानूनी बताते हुए अपने विधायकों को निर्देश दिए हैं कि विधानसभा में किसी भी प्रस्ताव पर कांग्रेस के खिलाफ वोट दिया जाए। इसके लिए व्हिप भी जारी किया है। इतना ही नहीं इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में चल रहे प्रकरण में बसपा ने पक्षकार बनने के लिए प्रार्थना पत्र भी दाखिल कर दिया है। माना जा रहा है कि बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का मामला अब कानूनी दांव पेच में फंस जाएगा। 6 माह पहले जब बसपा विधायकों को गुपचुप तरीके से कांग्रेस में शामिल किया था, तब प्रदेश कां्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर सचिन पायलट विाजमान थे।
ऐसे में कोर्ट में पायलट के बयान भी महत्व रखेंगे। अब पायलट कांग्रेस के 19 विधायकों के साथ दिल्ली में बैठकर गहलोत के नेतृत्व को चुनौती दे रहे हैं। बसपा की तरह ही भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी अपने दो विधायकों के लिए व्हिप जारी कर दिया है। दोनों विधायक रामकुमार और रामप्रसाद को निर्देश दिए गए हैं कि विधानसभा में कांग्रेस के खिलाफ वोट किया जाए। बसपा के 6 और बीटीपी के दो विधायकों का पेच फंसने से अब गहलोत सरकार के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। पायलट के साथ 19 विधायकों के अलग हो जाने के बाद गहलोत के पास कुल मिलाकर 102 विधायकों का समर्थन है, लेकिन अब यदि बसपा के 6 और बीटीपी के दो विधायक व्हिप के दायरे में आ जाएंगे तो गहलोत के पास 94 विधायकों का ही बहुमत रह जाएगा। ऐसे में पायलट गुट के 19 विधायक इस्तीफा देकर गहलोत की सरकार गिरा देंगे। जानकार सूत्रों के अनुसार दिल्ली में बैठे कांग्रेस के 19 विधायक इस्तीफा देने को तैयार है।
सीएम गहलोत इन विधायकों को लेकर चाहे कितना भी दावा कर लें, लेकिन पायलट सहित सभी 19 विधायक एकजुट हैं। इतना ही नहीं तीन निर्दलीय विधायक सुरेश टाक, ओम प्रकाश हूडला और खुशवीर सिंह पूरी तरह पायलट के साथ हैं। हालांकि दिल्ली में तीनों निर्दलीय विधायक अलग ठहरे हुए हैं। सूत्रों की माने तो 26 जुलाई को पायलट ने पहली बार दिल्लली में इन निर्दलीय विधायकों से भी मुलाकात की। भारी दबाव के बाद भी दिल्ली में 15 दिनों से डटे रहने पर पायलट ने विधायकों को शाबाशी दी। पायलट का कहना रहा कि अब लड़ाई अंतिम दौर में है। मौजूदा राजनीतिक हालातों में दिल्ली में बैठ पायलट गुट बेहद उत्साहित है। यही वजह है कि अब गहलोत गुट के केन्द्र की मोदी सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। स्वयं गहलोत का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमितशाह मिल कर कांग्रेस की निर्वाचित सरकार को गिरवा रहे हैं। सचिन पायलट की बगावत के पीछे भी मोदी शाह की भूमिका बताई जा रही है।
सीएम अशोक गहलोत ने पीएम नरेन्द्र मोदी से किया संवाद...
प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालात और राज्यपाल मिश्र की कार्यशैली को लेकर 26 जुलाई को सीएम गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर संवाद किया है। यह जानकारी सीएम गहलोत ने स्वयं होटल फेयरमोंट में विधायकों को दी है। सीएम ने मोदी से कहा कि सरकार के बारबार आग्रह के बाद भी राज्यपाल विधानसभा का सत्र आहूत नहीं कर रहे हैं। सीएम ने प्रधानमंत्री को कोरोना काल में राज्य सरकार की गतिविधियों से भी अवगत कराया। गहलोत ने प्रधानामंत्री से आग्रह किया कि विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए मामले में दखल दिया जाए।
भाजपा विधायक दोबारा से पेश करेंगे याचिका...
बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों की विधायकी रद्द करवाने को लेकर भाजपा के विधायक मदन दिलावर अब दोबारा से हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत करेंगे। पूर्व में प्रस्तुत याचिका का 27 जुलाई को कोर्ट में निस्तारण कर दिया। इस याचिका में दिलावर की ओर से कहा गया कि उन्होंने बसपा विधायकों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका प्रस्तुत की है,लेकिन चार माह गुजर जाने के बाद भी अध्यक्ष ने याचिका पर निर्णय नहीं लिया है। इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता मेजर आरपी सिंह ने कोर्ट को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने गत 24 जुलाई को दिलावर की याचिका खारिज कर दी है, इसलिए अब हाईकोर्ट में सुनावई की कोई आवश्यकता नहीं है। इस पर दिलावर के वकील ने कहा कि अब अध्यक्ष के फैसले का अध्ययन करने के बाद दोबारा से याचिका प्रस्तुत की जाएगी।
इससे पहले दिलावर स्वयं विधानसभा पहुंचे और अध्यक्ष के फैसले की प्रति लेने का प्रयास किया। लेकिन जब फैसले की प्रति नहीं मिली तो दिलावर को विधानसभा के सचिव प्रमिल कुमार माथुर के कक्ष में धरना देना पड़ा। जद्दोजहद के बाद दिलावर को अध्यक्ष के फैसले की प्रति दी गई। दिलावर का आरोप है कि दल बदल कानून का उल्लंघन कर बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल किया गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष स्वतंत्र रूप से विधायकों के दल बदल को निर्धारित नहीं कर सकते हैं। बिना दल बदल याचिका के पुष्टि कर निर्णय नहीं ले सकते हैं। जनमत को स्पीकर के ऑफिस में बदला नहीं जा सकता है। यह उल्लेखनीय है कि बसपा ने भी अब इस मामले को कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
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