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शुक्रवार, 12 जून 2020

अपना दल-एस की राष्ट्रीय अध्यक्षा को योगी सरकार के लॉ एंड आर्डर पर नहीं रहा भरोसा


प्रतापगढ़ पहुँची सांसद अनुप्रिया पटेल का हाथ उपद्रवियों के साथ...

BJPकी घटक दल होने के बावजूद योगी सरकार पर जमकर बरसी अपना दल-Sकी  नेता अनुप्रिया पटेल...
प्रतापगढ़ के पट्टी के धुई-गोविंदपुर में सियासी पारा गर्म है। अभी कल दिन में जिस जोश और खरोस के साथ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह जातीय हिंसा फैलाने के मास्टरमाइंड हरिकेश पटेल को पकड़ कर प्रेस वार्ता में अपनी पीठ स्वयं थपथपा रहे थे वो आज अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्षा अनुप्रिया पटेल के प्रतापगढ़ आगमन के बाद से उस पानी फिर गया। साथ ही ये भी बता दिया कि प्रतापगढ़ जिला प्रशासन के पास दोहरी न्याय ब्यवस्था है। आम जनता और विपक्ष के नेताओं के लिए अलग न्याय ब्यवस्था और सत्ताधारी दल के नेताओं के साथ अलग न्याय ब्यवस्था। प्रतापगढ़ जिला और पुलिस प्रशासन की आज हेकड़ी अनुप्रिया पटेल के द्वारा तोड़े गए नियमों और कानूनों पर निकल गई। प्रदेश में जातीय हिंसा को लगातार हवा देने में राजनेता जुटे हैं। विपक्ष यदि हवा दे तो एक बार समझा भी जा सकता है,परन्तु सत्ताधारी दल के नेता यदि ऐसा घटिया कार्य करें तो सवाल उठना लाजिमी है जब सत्ताधारी दल के नेता ही सियासी रोटियां सेक रहे हों तो विपक्ष की बात ही करना ब्यर्थ है। 

आज जनपद में जिस अंदाज में भाजपा के साथ केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश में योगी की सरकार में अपना दल एस घटक दल के रूप में सहयोगी है और उसके बाद भी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद में दर्जनों गाड़ियों के काफिले के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल जिस अंदाज में धुई-गोविंदपुर पहुँची वो सत्ताधारी दल पर कालिख पोतने जैसा रहा। सैकडों लोगों की भीड़ में धारा-144 की धज्जियां उड़ाते हुए अनुप्रिया पटेल के साथ सूबे के मंत्री जयकुमार जैकी व सदर विधायक राजकुमार ने कोरोना के खौफ को धता बताते हुए शोशल डिस्टेंसिंग की घण्टो तक धज्जियां उड़ाते रहे। बता दें कि बीते 22 मई को दो पक्षों में मारपीट और छप्पर में आग की तपिस बढ़ाने में विपक्ष के नेताओं को मात देते हुए सत्ताधारी दल के नेता जुटे हैं। गठबंधन में अधिक सीट की चाहत ने वोटबैंक साधने की सियासत शुरू हो चुकी है। आज से पहले पहुँचे तमाम विपक्ष के नेतओं को पुलिस ने बैरंग लौटा चुकी है। दो पूर्व मंत्रियों, अनुप्रिया पटेल की मां समेत दर्जन भर से अधिक नेताओं पर मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। अनुप्रिया पटेल समेत दो लोगों की अनुमति पर धुई-गोविंदपुर गाँव सैकड़ों कार्यकर्ताओं के संग कैसे पहुँच गई ? पुलिस प्रशासन क्या कर रहा था ? अनुप्रिया पटेल के दौरे के बाद इलाके में जातीय हिंसा यदि भड़कती है तो इसका जिम्मेवार कौन होगा...???

प्रतापगढ़ में जातिवादी सियासत को हवा देने के लिए पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्षा अनुप्रिया पटेल आज सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ शहर समेत स्थानीय बाजार में लगाया जाम सोशल डिस्टेंसिंग और धारा-144 सहित देश में कोरोना संक्रमण के लिए प्रभावी महामारी अधिनियम का अपना दल एस के नेताओं ने मजाक बना कर सत्ताधारी दल के सहयोगी होने के नाते पूरी सरकार के मुंह पर कालिख पोतने का कार्य किया है। अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्षा अनुप्रिया पटेल पट्टी सर्किल के धुई-गोविन्दपुर गांव में एक पक्ष के अग्निकांड पीड़ितों से मिलने पहुचीं थीं। कल ही प्रतापगढ़ के पट्टी में पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर, पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, अपना दल कमेरावादी कृष्णा पटेल पर धारा-144 के उल्लंघन और महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। जबकि प्रतापगढ़ का यही पुलिस प्रशासन उन सभी पिछड़ी जाति के दिग्गज नेताओं को गांव में नहीं घुसने नहीं दिया था। सपा के राष्ट्रीय सचिव अखिलेश कटियार और जिलाध्यक्ष छवि नाथ यादव समेत दिग्गज सपाइयों पर भी प्रतापगढ़ की पुलिस एफआईआर दर्ज की है। 

पट्टी सर्किल के धुई-गोविन्दपुर बवाल मामले में गांव पहुँचे पूर्व विधायक राम सिंह पटेल समेत अन्य दलों के नेताओं पर भी महामारी एक्ट और धारा-144 के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज पुलिस ने दर्ज किया है। आज सत्ताधारी दल के घटक दल अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्षा अनुप्रिया पटेल  के साथ गोविन्दपुर गांव पहुँचे योगी सरकार के कारागार राज्यमंत्री जय कुमार जैकी के लिए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने पलक बिछाए बैठी रही। इससे तो यही सिद्ध हुआ कि सारे नियम कानून और कायदे सिर्फ आम जनता और विपक्षी नेताओं के लिए ही हैं। बड़ा सवाल है कि प्रतापगढ़ का पुलिस-प्रशासन अपना दल एस की  सुप्रीमो और मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल के बिना परमिशन काफिले को क्यूं नहीं रोक सका ? गोविन्दपुर-धुई मामले में आज प्रतापगढ़ जिला प्रशासन की जमकर आलोचना हो रही है। आम जनमानस में इस बात की चर्चा है कि क्या कार्यवाई सिर्फ विपक्षी दल के नेताओं के खिलाफ ही करने का ठेका प्रतापगढ़ का जिला और पुलिस प्रशासन ने ले रखा है ? 

बड़ा सवाल है कि क्या अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्षा अनुप्रिया पटेल और उनके सैकड़ों समर्थको पर महामारी एक्ट के तहत होगी कार्यवाही ? क्या धारा-144 के उल्लंघन और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उड़ाने के मामले में सत्ता पक्ष के सहयोगी दल के नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा ? प्रतापगढ़ के पुलिस प्रशासन और अफसरों को नाकारा बताने वाली अनुप्रिया पटेल और उनके दल के नेताओं के खिलाफ क्या दर्ज होगी एफआईआर या फिर सत्ता और रसूख के दबाव में सब कुछ प्रतापगढ़ का जिला और पुलिस प्रशासन अपने चेहरे पर कालिख पोतवाकर फील गुड का एहसास करेगा ! सबसे अहम सवाल है कि अनुप्रिया पटेल की मौजूदगी में सत्ता विरोधी नारे लगते रहे। कैबिनेट मंत्री मोती सिंह का नाम लेकर योगी सरकार पर विरोध में नारे लगते रहे। जब सरकार विरोधी नारे लगे तो अनुप्रिया पटेल ने कहा कि ये जनभावना है इसका सम्मान करना चाहिए। समझ में नही आता कि अनुप्रिया पटेल सरकार के साथ हैं या वह भी ओम प्रकाश राजभर के रास्ते पर चलकर सरकार से अलग राह पकड़ना चाहती हैं और अपने ऊपर आरोप भी लगने देना नहीं चाहती कि हमने भाजपा से समर्थन वापस ले लिया सरकार पर हमलावर हुई अनुप्रिया ने कहा अपरिपक्व व अनुभवहीन पुलिस अधीक्षक को  जिले की कमान योगी सरकार ने सौंप दी है धुई-गोविन्दपुर की घटना उसी का परिणाम है  

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