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मंगलवार, 25 जून 2019

प्रतापगढ़ में जब रक्षा विभाग का कैम्पिंग ग्राउंड रामलीला मैदान ही सुरक्षित नहीं तो अन्य भूमि ब्यवस्था भगवान भरोसे

प्रयागराज-अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग-330के किनारे रामलीला मैदान में हो रहा अबैध कारोबार, जिला प्रशासन की नहीं टूट रही कुम्भकर्णी नींद...!!!


" सिस्टम से सवाल है कि जब खुले में  मांस को बेंचने पर प्रतिबन्ध सरकार द्वारा लगाया गया है तो जिला प्रशासन शासन के आदेश का क्रियान्वयन क्यों नहीं करा रहा है ? जिला प्रशासन की इस लापरवाही से राहगीरों एवं मुहल्लेवालों का जीना दुश्वार हो गया है l दूसरा बड़ा मुद्दा ये है कि रामलीला मैदान यदि सेना की भूमि है तो डग्गामार वाहनों, मोरंग-गिट्टी सहित बांस बिक्रेताओं द्वारा रामलीला मैदान पर कब्जा किस अधिकार से कर लिया गया है  ? क्या रक्षा विभाग के भी कार्य धुप्पल में होते हैं ? जबकि रामलीला कमेटी उसे रामलीला कराने के लिए उक्त भूमि को पट्टे पर आवंटित कराया था और वर्तमान में रक्षा विभाग उक्त लीज का रेन्युवल रामलीला कमेटी को नहीं कर रहा है l सारे कार्य धुप्पल में हो रहे हैं l सबसे मजेदार बात ये है कि उक्त भूमि पर जिसका स्वामित्व है वह सर्किल ऑफिस इलाहाबाद मंडल, इलाहाबाद है l उस दफ्तर के रक्षा संपदा अधिकारी के अनुसार रामलीला कमेटी प्रतापगढ़ को लीज कब दी गई, इसकी जानकारी उनके कार्यालय को नहीं है..."
रामलीला मैदान में खुले में शासन-प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैये से मांस बिक्रेताओं की बल्ले-बल्ले... 
जब शिक्षा विभाग की जमीन को कन्वर्ट कर कांशीराम कालोनी बन सकती है,100बेड के का अस्पताल बन सकता है तो सेना की भूमि रामलीला मैदान जो कैम्पिंग ग्राउंड बेल्हाघाट के नाम से राजस्व अभिलेखों में दर्ज है जो नजूल सरकार/नॉन जेड ए की जमीन थी, जिसे रक्षा विभाग को दी गई थी और रक्षा विभाग ने रामलीला कमेटी को रामलीला मंचन करने एवं उसकी देखभाल करने के लिए लीज पर दिया था। उस भूमि को कन्वर्ट कर उस पर ही मेडिकल कालेज बना दिया जाए अथवा शहर के बीचोंबीच होने के कारण उस भूमि पर रोडबेज बस अड्डा भी बनाया जा सकता है। 


सिस्टम में बैठे जिम्मेदार लोग सिर्फ एक ही दिन रामलीला मैदान में होते हैं एकत्र...
जिला अस्पताल पुरुष और जिला अस्पताल महिला के स्थान पर मेडिकल कालेज स्थापित करने का प्रस्ताव पास होकर उस पर निर्माण कार्य कराये जाने का टेंडर निर्माण निगम रायबरेली इकाई को मिला है। यदि मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल पुरुष और जिला अस्पताल महिला के स्थान पर बना तो जिला अस्पताल पुरुष को सुखपाल नगर और जिला अस्पताल महिला को खीरबीर पुल के आगे शिवशत में ले जाने की बात महकमें में चल रही रही है  इतने आउट एरिया में जिला अस्पताल (पुरुष और महिला) ले जाने से बेहतर होगा कि जिला पुरूष और जिला महिला अस्पताल को जनहित में सेना की भूमि गाटा संख्या-1065 व 1066 को देकर जनकल्याण के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है। बदले में सेना को उतनी भूमि या उससे बढ़ाकर और अधिक भूमि नदी के किनारे सेना के उपयोग हेतु शासन-प्रशासन को देकर जिले का विकास करने के लिए पहल करनी चाहिए। सेना को रामलीला मैदान की भूमि का उपयोग आबादी के बीचोंबीच करने में अड़चन ही अड़चन आयेगी। क्योंकि सेना इस जमीन को पहले कैम्प हेतु प्रयोग में लेती थी और प्रशिक्षण का कार्य करती थी। 


प्रतापगढ़ जनपद का रामलीला मैदान...
लगातार शहर की बढ़ती आबादी के बाद कई वर्षों से सेना का ये कार्य बंद पड़ा है। पहले कभी-कभी सेना के जवान इलाहाबाद के सर्किल ऑफिस से प्रतापगढ़ आकर रामलीला मैदान में धमा चौकड़ी करते थे,परन्तु इधर कुछ वर्षों से सेना के जवान भी प्रतापगढ़ के रामलीला मैदान में आना बन्द कर दिए हैं  ऐसे में जनहित के लिए रामलीला मैदान की भूमि को कन्वर्ट कर जनकल्याणकारी योजनाओं हेतु देने की पहल केंद्र व राज्य की सरकार को करना चाहिये। साथ ही सेना को उसके प्रयोग हेतु दूसरी जमीन देने की ब्यवस्था भी करनी चाहिये। इस कार्य को सम्पन्न करने में जिले के सभी जनप्रतिनधियों को निःसंकोच आगे आकर अपना सहयोग देना चाहिए। साथ ही जिले के सभी प्रवुद्ध वर्ग को भी आगे कर इसके लिए अपने स्तर से प्रयास करना चाहिए । इस मुद्दे को जनांदोलन का रूप बनाकर सरकार को इस पर निर्णय लेने के लिए विवश करना चाहिए। इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए शासन-प्रशासन में इसका कार्य देख रहे अधिकारियों से सम्पर्क पर उन्हें यथास्थिति से अवगत कराते हुए उनका विजिट रामलीला मैदान में कराना चाहिए। वर्तमान में अवसर बेहतर है क्योंकि प्रतापगढ़ के भौगोलिक स्थिति का ज्ञान रखने वाले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह रामलीला मैदान में आये हैं और अपनी जनसभा को संबोधित भी किये हैं।जिले के कई नेताओं से उनके बेहतर रिश्ते भी हैं। ऐसे में पहल की गई तो कार्य बन सकता है। चूँकि जनहित से बड़ा कोई कार्य नहीं होता

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