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बुधवार, 6 मार्च 2019

खुद करो तो राशि लीला दूसरा करे तो करेक्टर ढीला

कांग्रेसी नेताओं की औलादों दामादों और सालों की जान 166 निर्दोष नागरिकों के प्राणों से ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों...???
पुलवामा हमले के बाद जवाबी कार्रवाई तथा विंग कमांडर अभिनंदन की केवल 58 घण्टे में वापसी की मोदी सरकार की सफलता से तिलमिलाई कांग्रेस ने अब एक पुराना राग अलापना शुरू किया है। कांग्रेस ने केन्द्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया है उसका कहना है कि, कांधार में जिन 3 आतंकवादियों को छोड़ा गया था उनमें आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का चीफ मौलाना मसूद अज़हर भी था इसलिए भाजपा जैश-ए-मोहम्मद को जन्म देने की गुनाहगार है। यदि कांधार में मसूद अज़हर को ना छोड़ा गया होता तो देश में पुलवामा या कोई और आतंकवादी हमले ना हो रहे होते। इससे पहले भी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह समेत कांग्रेसी प्रवक्ताओं की फौज भी कांधार में छोड़े गए तीन आतंकवादियों को लेकर इसी तरह के आरोप लगाती रही है। अतः कांग्रेस और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह, कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ताओं की पूरी फौज को देश को यह जवाब देना चाहिए कि कांग्रेसी नेताओं की औलादों दामादों और सालों की जान कांधार में तीन आतंकवादियों के बदले रिहा कराये गए 166 निर्दोष नागरिकों के प्राणों से ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों थी...?
कांग्रेस और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पूरी कांग्रेसी फौज को यदि उपरोक्त सवाल समझ में नहीं आया हो तो उन्हें केवल कुछ प्रकरण याद दिलाना चाहूंगा। हालांकि आतंकवादियों के साथ ऐसी कांग्रेसी सौदेबाजी की सूची बहुत लम्बी है लेकिन कांधार काण्ड को लेकर विधवा विलाप करनेवाली कांग्रेसी फौज को दर्पण दिखाने के लिए फिलहाल यह कुछ प्रकरण ही पर्याप्त हैं। 22 सितम्बर 1991 को देश के तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री गुलाम नबी आज़ाद के साले तस्सदुक देव का अपहरण आतंकियों ने किया। तस्सदुक देव की रिहाई के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जेल में बंद अल उमर आतंकी संगठन के तीन आतंकियों को बिना शर्त रिहा कर के तस्सदुक देव को छुड़वाया था। अगस्त 1991 में NC के तब के सांसद और आज के वरिष्ठ कांग्रेस नेता तथा मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सैफुद्दीन सोज़ की बेटी नाहिदा सोज़ का अपहरण आतंकियों ने किया था। नाहिदा सोज़ की रिहाई के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जेल में बंद दुर्दांत पाकिस्तानी आतंकी मुश्ताक़ अहमद और उसके तीन आतंकी साथियों को छोड़कर नाहिदा सोज़ को छुड़वाया था। 24 फ़रवरी 1991 को तब के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम रसूल कार के दामाद मुस्तफा असलम का अपहरण आतंकियों ने किया था। मुस्तफा असलम की रिहाई के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जेल में बंद 4 दुर्दांत पाकिस्तानी आतंकीयों को छोड़कर मुस्तफा असलम को छुड़वाया था। 21 अगस्त 1991 को दुर्दांत पाकिस्तानी आतंकी जावेद शल्ला और उसके 5 आतंकी साथियों को छोड़कर IOC के तत्कालीन डायरेक्टर केजी दोरईस्वामी को छुड़वाया गया था। इसके अलावा 15 दिनों तक मुर्ग बिरयानी खिलाने के बाद हज़रत बल से 1993 में 40 पाकिस्तानी आतंकियों को सेफ पैसेज देकर पाकिस्तान भाग जाने की खुली छूट जिस कांग्रेस की सरकार ने दी थी वो कांग्रेस आज एक बार फिर यह सवाल पूछ रही है कि, 1999 में कंधार में 3 आतंकियों को क्यों छोड़ा गया.? जबकि उन आतंकियों को 166 भारतीयों के प्राण बचाने के लिए छोड़ा गया था। उपरोक्त तथ्यों की पुष्टि करती खबर द ट्रिब्यून अख़बार में 8 जनवरी 2000 को छपी थी। 
उस खबर का लिंक पहले कमेंट में देखिए-https://www.tribuneindia.com/2000/20000108/nation.htm#5

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