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शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

माफिया अतीक अहमद से लेकर राजा भ‌इया तक का दरबार सज चुका है, जानें बांदा जेल में कौन-कौन है, बंद

सूबे की बांदा जेल कई बाहुबलियों की ठिकाना रह चुकी है, इनदिनों पुलिस के रडार पर है...

बांदा जेल मतलब कालापानी की सजा,परन्तु इनदिनों पुलिस के रडार पर है, बांदा जेल...

लखनऊ। योगी सरकार ने बांदा जिला जेल, प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल और बरेली सेंट्रल जेल के अधीक्षकों को निलंबित कर दिया है।इन सभी जेल अधीक्षकों पर हाई प्रोफाइल मुजरिमों को स्पेशल ट्रीटमेंट देने का आरोप लगा है। कुछ दिन पहले ही चित्रकूट जेल के जेल अधीक्षक अशोक सागर, जेलर संतोष कुमार, डिप्टी जेलर पीयूष पांडे समेत 8 जेलकर्मियों को निलंबित किया था। इन सभी पर भी हाई प्रोफाइल मुजरिमों को स्पेशल ट्रीटमेंट देने का आरोप था। स्पेशल ट्रीटमेंट लेने की लिस्ट में कई बड़े कुख्यात अपराधियों के नाम सामने आए हैं। इस लिस्ट में माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ से लेकर पूर्व विधायक माफिया मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी का नाम शामिल है।

बांदा जेल में अभी भी गोपनीय जांच चल रही है। डीआईजी जेल की रिपोर्ट के आधार पर बांदा के जेल अधीक्षक अविनाश गौतम निलंबित कर दिए गए हैं। यह कार्रवाई जेल के अंदर काम न करने, लापरवाही और अनुशासनहीनता के मामले में हुई है। बांदा जेल में माफिया मुख्तार अंसारी इस समय बंद है। मुख्तार के खिलाफ भी अभी कार्रवाई जारी है। रिपोर्ट्स ये दावा करती हैं कि मुख्तार की बैरक से कांटे जैसी प्रतिबंधित चीज भी बरामद हुई है। 
बांदा जेल कई खतरनाक अपराधियों का ठिकाना रही है। अतीक अहमद, दाऊद इब्राहिम गैंग से जुड़े महाराष्ट्र का सुक्का पाचा, सिंहराज भाटी, अनिल दुजाना, वाराणसी का शार्प शूटर आलम सिंह, गाजीपुर का गोरा राय, झांसी का शिशुपाल यादव, प्रयागराज का कौशलेंद्र त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा का जयराज भाटी। बांदा जेल के बारे में एक पुरानी कहावत कही जाती है कि बांदा जेल में आने के बाद बड़े-बड़े बाहुबली भी गुंडई करना भूल जाते हैं। 
 
जानें किन बड़े बाहुबलियों को है,बांदा जेल से नफरत...

बांदा जेल में कैद रहने के दौरान बड़े-बड़े बाहुबली दूसरी जेल में स्थानांतरित होने के लिए खुद को अस्पताल में भर्ती कराने या बीमार होने की तरकीब अपना चुके हैं। माफिया मुख्तार अंसारी ने साल 2018 में सीने में दर्द की शिकायत की थी और खुद को राजधानी लखनऊ के एसजीपीजीआई में भर्ती कराने की बात कही थी। सिर्फ मुख्तार अंसारी ही नहीं, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भ‌इया, अनिल दुजाना, पुरुषोत्तम नरेश देवेदी, अतीक अहमद और सुंदर भाटी जैसे लोग बांदा जेल से नफरत करते हैं।

जानें क्यों खौफ खाते हैं, बांदा जेल से कुख्यात अपराधी...

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार जेल के अधिकारियों की मानें तो जेल में कई कुख्यात डकैतों से सबसे अधिक बाहुबलियों को खौफ रहता है। जेल में राधे यादव, गोप्पा यादव, तोहिनी उर्फ तहसीलदार, दीपक पटेल, नरेश पटेल और ज्ञान सिंह जैसे खतरनाक डकैत बंद हैं। ये डकैत इन बाहुबलियों को हावी नहीं देते और अक्सर उन पर हमला करते हैं। सुविधाओं में सुधार किए बिना ही जेल को डिवीजनल जेल स्तर पर अपग्रेड किया गया है। जेल में कैदियों को पानी पीने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है। जेल की क्षमता 600 है, लेकिन इसमें लगभग 1,400 कैदी बंद हैं।

मुलायम सिंह यादव ने किया था, बांदा जेल से राजा भ‌इया की रिहाई की ऐलान...

साल 2002 में जब प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भ‌इया को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने बांदा जेल में डाल दिया था, तब राजा भ‌इया के समर्थकों ने उन्हें दूसरी जेल में स्थानांतरित करने के लिए राज्य सरकार के समक्ष एक याचिका दायर की थी। साल 2003 में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने बांदा जाकर एक जनसभा में राजा भ‌इया की रिहाई का ऐलान किया। साल 2012 में जब राजा भ‌इया को अखिलेश यादव सरकार में जेल मंत्री बनाया गया तो उन्होंने विधानसभा में बहस के दौरान बांदा जेल में अपने कठिन दिनों को याद किया था।

अनिल दुजाना और सुंदर भाटी भी खुद को बांदा जेल से दूसरे जेल करा चुके हैं, स्थानांतरित...

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना और सुंदर भाटी ने भी अपने राजनीतिक कनेक्शन का इस्तेमाल कर खुद को बांदा जेल से सेंट्रल यूपी की दूसरी जेल में स्थानांतरित कराया था। बसपा के पूर्व विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी बांदा के रहने वाले थे, लेकिन बलात्कार के एक मामले में गिरफ्तार होने के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने उन्हें दूसरी जेल में स्थानांतरित करने के लिए याचिका दायर की।

अतीक को भी बांदा जेल से लगता है,डर...

गुजरात की साबरमती जेल में बंद माफिया अतीक अहमद भी बांदा जेल से स्थानांतरण की मांग कर चुका है। अतीक ने पांच बार लगातार प्रयागराज पश्चिम विधानसभा सीट से जीत का परचम लहराया है। 
बता दें कि बांदा जेल साल 1860 में ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी थी। बांदा जेल को अक्सर काला पानी (ब्रिटिश शासन के दौरान अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सेलुलर जेल का दूसरा नाम) के रूप में जाना जाता है। चंबल घाटी के कई खूंखार अपराधियों, डॉन और डकैतों को इस जेल में रखा गया है। बांदा जेल में सात लाख रुपए का इनामी डकैत ददुआ और बलखड़िया भी बंद हुए थे। ये दोनों उन अपराधियों में से थे जो चंबल और पाठा के वन क्षेत्रों में आतंक मचाने वाले गिरोह में शामिल थे। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र का बांदा एक हिस्सा है। विकास के मानकों पर बुंदेलखंड पिछड़े क्षेत्रों में से एक है। बांदा जेल में क्षमता से कहीं ज्यादा कैदियों के होने की वजह से अधिकारियों के लिए हाई प्रोफाइल कैदियों का प्रबंधन करना मुश्किल हो जाता है।

नैनी, बरेली और जेल के आला अधिकारी भी निलंबित... 

नैनी जेल के वरिष्ठ जेल निरीक्षक शशिकांत सिंह, बरेली सेंट्रल जेल के जेल अधीक्षक राजीव शुक्ला को निलंबित किया जा चुका है।नैनी जेल के वरिष्ठ जेल निरीक्षक शशिकांत सिंह पर माफिया अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ को मदद पहुंचाने का आरोप है। 
28 मार्च को माफिया अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा होने के बाद नैनी जेल लाया गया। उस समय नैनी जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने माफिया अतीक को सलाखों के पीछे डालने में जानबूझ कर देरी की।अब जेल निरीक्षक शशिकांत सिंह के निलंबन का ये भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। 

वहीं जेल निरीक्षक शशिकांत सिंह जेल में बंद अशरफ की सारी डिमांड पूरी कर रहे थे। साथ ही अशरफ के पसंद के खाने से लेकर उसकी पालतू बिल्ली तक को रखने की इजाजत दे दी गयी थी। अशरफ के कहने पर बिल्ली के लिए दूध, ब्रेड भी मंगाया जाता था। जेल कैंटीन में अशरफ की पसंद का खाना ही बनाया जाता था। बरेली सेंट्रल जेल के जेल अधीक्षक राजीव शुक्ला पर ये आरोप है कि वो अशरफ की मुलाकात अतीक गैंग से करवा रहे थे। वहीं डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप समेत 5 अधिकारी को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। अशरफ फिलहाल बरेली जेल में बंद है। उमेश पाल की हत्या का पूरा प्लान बरेली सेंट्रल जेल में ही बना था।

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