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रमेश राज़दार-एक खोज़ी पत्रकार

बदलते ज़माने ने पत्रकारिता के बदल दिए भाव...

      रमेश तिवारी से रमेश "राज़दार" तक का सफर जो पत्रकारिता जगत में वर्ष- 2000 में सक्रिय हुआ। एक लोकप्रिय हिंदी दैनिक समाचार पत्र से इसकी शुरुआत की, परन्तु अख़बार में कार्य करने में लेखनी पर कुछ प्रतिबंध जो एक दायरे में सीमित रखता था, वह नागवार गुजरा और अख़बार को अलविदा कर पाक्षिक और मासिक पत्रिकाओं का दामन थामा। पूर्ण आज़ादी न मिल पाने से वहां भी मानसिक संतुष्टि नहीं मिली। हलांकि इस दौरान देश की भ्रष्ट नौकरशाही और छोटे से लेकर बड़े नेताओ के चेहरे से उनका नक़ाब उतारने में पीछे नहीं रहा। 

        सिस्टम के विरुद्ध तमाम विभागों के घोटालों को उजागर किया। इस ज़ोखिम कार्य को अंजाम तक पहुंचाने में एक बार प्राण घातक हमला भी हुआ। फिर भी हर राज़ के फ़ास की जिद और ज़ुनून कम नही हुआ, बल्कि लेखनी की धार और तेज़ हुई। अपनी हर लड़ाई को पूरे ज़ोश के साथ अदालतों से लेकर अदालतों के बाहर भी लड़ता रहा। तमाम झंझावातों को झेलते हुए आज खुद के स्वामित्व में "खुलासा इंडिया डॉट कॉम" नाम का वेब न्यूज़ पोर्टल की भी शुरुआत की है। जिसमें शासन-प्रशासन से लेकर नेताओं के कारनामों को लगातार बिना किसी लाग लपेट के खुलासा करने में पीछे नहीं रहा। पत्र और पत्रिकाओं के माध्यम से खोज़ी पत्रकारिता से अपनी अलग पहचान कायम की और आज "राज़दार" बन चुका हूँ। 

        मैं, वर्ष- 2009 में 39 - संसदीय क्षेत्र, प्रतापगढ़ से सामाजिक संस्था "आप और हम" के बैनर तले लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुका हूँ। चुनाव लड़ने के पीछे का उद्देश्य सिर्फ समाज में ब्याप्त गुण्डा और माफियाराज को सन्देश देना था कि पत्रकारिता से ही नहीं, मुंह पर और मौके पर भी गलत बात का विरोध करने का माद्दा भी जिगर में है। लोक हितकारी कार्यों के प्रति समर्पित पंजीकृत संस्था "आप और हम" जिसके संस्थापक स्व. लालजी रावत जी रहे। उन्ही के प्रेरणा से सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी कदम रखा। उनके जाने के बाद उनकी कमी आज भी बहुत अखरती है। उनके साथ बीते पल आज भी भूले नहीं। पिताजी और संरक्षक रहे रावत जी की  असामयिक मौत ने जीवन ही असामान्य कर दिया। 
 
        वर्ष-2006 में देश में सूचना अधिकार अधिनियम- 2005 लागू हुआ। तभी से विभिन्न तरह की सूचनाओं को संग्रह करने का ज़ुनून सवार हुआ, जो आज भी कायम है। सूचना अधिकार अधिनियम- 2005 से खोज़ी पत्रकारिता को संबल मिला। सोशल मीडिया के दौर ने मीडिया को उसकी असल औकात दिखा दी बड़े बैनर के जिग्गज पत्रकारों को कल तक यूट्यूब से घृणा होती थी, आज वही यूट्यूब चैनल उनके जीविकोपार्जन का साधन बन चुका है इस पोर्टल के माध्यम से ये बताते हुए गर्व हो रहा है कि कई जनपदों से लोग सूचना माँगने की जानकारी के लिए सम्पर्क करते हैं और उन्हें सम्पूर्ण जानकारी निःशुल्क प्रदान करता हूँ। सभी कार्यों का संपादन अपने प्रतिष्ठान "अभिनव मीडिया सेंटर'' से संपन्न करता हूँ। 

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www.rameshrajdar.in


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