प्रतिवादी सुनील कुमार गोयल का दिमागी संतुलन बिगड़ा, इसके पहले पेशी में कचेहरी में ब्राम्हणों को खुलेआम अपने अधिवक्ता के चैम्बर में गाली दिए, अब मुसन्ना में ओवरडेटिंग किये...
प्रतापगढ़। भाजपा का कथित नेता सुनील कुमार गोयल मुकदमा लड़ने का माहिर खिलाड़ी हो चुका है, उसके ऊपर दर्केजनों आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। दूसरे की जमीन हथियाने का फार्मूला सुनील कुमार गोयल और उनकी टीम तैयार करती है और सिविल वाद को उलझा कर जिसकी जमीन हथियाना होता है, उसे क्रिमिनल मुकदमें में फंसाने का षड्यंत्र किया जाता है। ऐसा ही एक मामला कोतवाली नगर के कचेहरी रोड पल्टन बाजार है। अनिल कुमार की जमीन को सुनील कुमार गोयल हथियाना चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने अनिल कुमार के बड़े पिता हीरालाल से एक किता मकानियत का बैनामा उन्हें शराब पिलाकर उनसे क्रय कर लिया। जबकि अनिल कुमार ने उक्त गाटा संख्या-715 बेल्हाघाट का बैनामा भूस्वामी राजा अभय प्रताप सिंह से पहले ही मकानियत और भूमि की गाटा संख्या-715 डालकर करा चुका था। सबकुछ जानते हुए धरती पकड़ सुनील कुमार गोयल ने यह बैनामा कूट रचना करके हासिल किया।
उक्त पंजीकृत विक्रय पत्र को शून्य व अवैध उद्घोषित एवं स्थाई निषेधाज्ञा का वाद अनिल कुमार विश्वकर्मा द्वारा अनिल कुमार बनाम सुनील कुमार गोयल जो न्यायालय श्रीमान् सिविल कोर्ट FTC सेकण्ड (सीनियर डिवीजन) के यहाँ विचाराधीन है, जिसकी वाद संख्या- 171/2020 है, जिसमें अग्रिम तारीख 19/10/2023 रही। जिसमें प्रतिवादी सुनील कुमार गोयल और उनका नौकर जीतू भी अदालत पहुँच कर हर बार की तरह अगली तारीख लेकर भागना चाहा, परन्तु पहले से ही वादी मुकदमा अनिल कुमार और उनके पिता रामपाल पेशकार के पास डटे रहे, जिससे इस बार तारीख लेकर प्रतिवादी मुकदमा सुनील कुमार गोयल भाग न सका और मजबूर होकर अपना लिखित पक्ष अदालत के रखना पड़ा। लंच बाद केश की सुनवाई हुई तो प्रतिवादी सुनील कुमार गोयल के विद्वान अधिवक्ता ने वादी मुकदमा अनिल कुमार के अधिवक्ता अरविंद पांडेय को मुसन्ना दिया।
मुसन्ना पढ़कर तय हो गया कि प्रतिवादी मुकदमा सुनील कुमार गोयल कितने होशियार और काबिल हैं ? चूँकि तारीख 19/10/2023 को जो पक्ष सुनील कुमार गोयल द्वारा अदालत के समक्ष रखा गया उसमें एक दिन बाद की तारीख डालकर दी गई। अभी तक तो ब्यवसायिक लेनदेन में बैंक के चेक पर ओवर डेट डालकर पार्टी को देने की बात तो समझ में आती रही, परन्तु अदालत के समक्ष ओवर डेट डालकर देने वाली समझ में नहीं आयी। प्रतिवादी सुनील कुमार गोयल का दिमाग खिसक चुका है और उसे अपना मानसिक ईलाज कराना चाहिए। जब भी कोई कागजात पर ब्यक्ति अपना हस्ताक्षर करता है तो उसे एकबार अवश्य पढ़ता है। इतनी बड़ी चूक नहीं करता। प्रतिवादी सुनील कुमार गोयल ने अपने पूरे कथन में वादी मुकदमा अनिल कुमार को चालाक, फितरती, धोखेबाज आपराधिक किस्म का जालसाज ब्यक्ति करार दिया है और भूस्वामी स्व राजा अभय प्रताप सिंह को तथाकथित जमींदार बताया है। जबकि सच्चाई यह है कि सुनील कुमार गोयल स्वयं आपराधिक किस्म का ब्यक्ति है और दर्जनों आपराधिक मुकदमें में पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल कर न्यायालय में उस पर ट्रायल चलाया रहा है।
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