ठेकेदार के खिलाफ विधायक प्रतापगढ़ का शिकायती पत्र... |
प्रतापगढ़। माफियागीरी को समाप्त करने के उदेश्य से सरकार ने ई-टेंडरिंग प्रणाली की ब्यवस्था की, परन्तु विधायक और सांसद अपने-अपने क्षेत्र के कार्यों को अपने उन चहेते ठेकेदारों को मैनेज कराकर उन्हें दिलाना चाहते हैं और उसी में यदि कोई ठेकेदार माननीयों के इशारे के विपरीत धारा में बहने का प्रयास किया तो उसका हिसाब किताब इसी तरह लिया जाता है, जैसे अभय प्रताप सिंह "पप्पू" के साथ किया जा रहा है।
अभी भी विभागों में मैनेज ठेका पद्धति संचालित है। जिसका आका यही माननीय लोग और उनके प्रतिनिधिगण होते हैं। ताजा मामला प्रतापगढ़ के ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का है, जहाँ त्वरित योजना के तहत रजिस्टर्ड ठेकेदारों से विभाग ने टेंडर आमंत्रित किया था। परन्तु अपने चहेते ठेकेदारों को ठेका दिलाने के लिए माननीयों ने मैनेज ठेका पद्धति की ब्यवस्था अपनाई तो एक ठेकेदार ने माननीयों की बातों को दरकिनार करते हुए टेंडर प्रक्रिया में भाग लेकर अपना टेंडर डाल दिया। बस सारे माननीयों को ये बातें नागवार लगी और उस ठेकेदार को सबक सिखाने के लिए तरकस से बाण चलाये जाने लगे।
टेंडर डालने वाले ठेकेदार पर चारो तरफ से दबाव डाला गया, परन्तु उसने किसी का दबाव स्वीकार नहीं किया। फिर क्या था ? उस ठेकेदार को जमींदोज करने के लिए प्रतापगढ़ विधायक को आगे किया गया और उनसे पुलिस अधीक्षक, प्रतापगढ़ के लिए पत्र लिखवाया गया और उसमें उसके खिलाफ अपराध का होना दिखाया गया और उसकी दबंगई की बात लिखकर उसकी जाँच की माँग करते हुए उसके चरित्र को निरस्त करने के लिए आग्रह किया गया। चूँकि स्वभावतः ठेकेदार पूर्व मंत्री मोती सिंह के विधानसभा का मूल निवासी है और पूर्व मंत्री मोती सिंह भी उसके चरित्र को बनाने में खलल उत्पन्न किये थे, परन्तु ठेकेदार ने मामला हाईकोर्ट में ले गया और हाईकोर्ट के निर्देश पर उसका चरित्र बनाया गया था।
ठेकेदार के चरित्र प्रमाण पत्र के प्रकरण में जारी किया है,स्थगनादेश... |
इस बार ठेकेदार जानता था कि उसने मधुमख्खी के छत्ते में प्रहार किया है और सारी मधुमख्खियां उसे काट खायेगी। इसलिए ठेकेदार भी सभी तरह की समस्याओं से चौकन्ना था और समय से हाईकोर्ट में रिट दाखिल कर दी थी। इधर बीच नए जिलाधिकारी महोदय का जिले में आगमन हुआ था और उन्हें पता भी नहीं था कि मामला हाईकोर्ट में गया है और वहाँ से ठेकेदार अभय प्रताप सिंह को स्थगनादेश प्राप्त है। दिनांक- 16/10/2023 को जिलाधिकारी प्रतापगढ़ ने विधायक प्रतापगढ़ राजेंद्र कुमार मौर्य के शिकायत को गंभीरता से लिया और पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ की रिपोर्ट और सम्बन्धित थानों की रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए ठेकेदार का चरित्र निरस्त कर दिया।
एक विधायक का एक ठेकेदार के प्रति इस स्तर पर विरोध करने की बात जब जगजाहिर हुआ तो इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। हुआ यह कि ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में त्वरित योजना इस काम को कराने के लिए माननीयों ने चहेते ठेकेदारों की सूची विभाग को दे रखी थी। माननीयों की सूची से इतर एक ठेकेदार ने टेंडर डाल दिया। जानकारी होने पर माननीय ने विभाग पर दबाव बना कर टेंडर खोलने नहीं दिया। काफी दिनों तक इंतज़ार करने के बाद ठेकेदार उच्चन्यायालय पहुँच गया। न्यायालय के आदेश पर टेंडर खोला गया और बागी ठेकेदार को टेंडर मिल गया। ठेकेदार की इस जुर्रत से माननीय का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।
स्टे ऑर्डर के बावजूद DM प्रतापगढ़ ने ठेकेदार का चरित्र प्रमाण पत्र कर दिया,निरस्त... |
माननीय विधायक प्रतापगढ़ ने ठेकेदार के बने करेक्टर को जनहित में निरस्त किये जाने के लिए एसपी को पत्र लिखा। माननीय के शिकायत पत्र पर एसपी ने सम्बंधित थाने से रिपोर्ट मंगाई। इसी रिपोर्ट पर जिलाधिकारी प्रतापगढ़ ने बागी ठेकेदार का करेक्टर निरस्त कर दिया। करेक्टर निरस्त होने की खुशी माननीय मना पाते, इससे पहले उच्च न्यायालय ठेकेदार की याचिका पर स्टे देकर माननीय के अरमानों पर पानी फेर दिया। जबकि माननीय विधायक प्रतापगढ़ की इच्छा थी कि उसकी बातों को नजरंदाज करने वाले ठेकेदार के चरित्र प्रमाण पत्र निरस्त होते ही उसकी फार्म को काली सूची में अंकित करा दिया जाए और इस कार्य के होते ही ठेकेदार का बुखार उतर जायेगा। परन्तु ठेकेदार भी खिलाड़ी निकला और उसने हाईकोर्ट खंडपीठ लखनऊ से स्थगनादेश लाकर सभी के अरमानों पर पानी फेरने का कार्य किया है।
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