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गुरुवार, 19 अक्तूबर 2023

नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह के आगे प्रतापगढ़ विधायक राजेन्द्र कुमार मौर्य को अधिकारियों द्वारा नहीं मिल रही है, तवज्जों

विधायक प्रतापगढ़ राजेन्द्र कुमार मौर्य को अधिकारियों द्वारा तवज्जों न देना और नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह को भाव देना क्षेत्र में बना चर्चा का विषय,अधिकारियों द्वारा नपाध्यक्ष की हैसियत के आगे विधायक की हैसियत को कमतर आँकने की हो रही कोशिश...

विधायक प्रतापगढ़ राजेन्द्र कुमार मौर्य के पात्र को नहीं मिली तवज्जो...
भाजपा विधायक और भाजपा से प्रतापगढ़ नगरपालिका परिषद बेला प्रतापगढ़ के अध्यक्ष के बीच चल रहा मनमुटाव हुआ सार्वजनिक। नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह निकाय चुनाव में चिलबिला व महुली से दो चुनाव से शिकस्त खा रहे हैं और उन्हें शिकस्त निर्दल उम्मीदवार महिमा गुप्ता देती आ रही हैं। महिमा गुप्ता सपा नेत्री रही और दोनों बार जब ऐन चुनाव के वक्त उनका अध्यक्ष पद का टिकट काटा गया तो वह बगावती तेवर अख्तियार करके निकाय चुनाव के मैदान में कूद पड़ी। भाजपा से हरी प्रताप सिंह अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार हुए और पांचवीं बार सभी को शिकस्त देकर निकाय चुनाव जीत लिया। परन्तु ईर्ष्या के वशीभूत हरी प्रताप सिंह चुनाव बाद जब नपाध्यक्ष पद की शपथ लिए तब उन्होंने जो शपथ लिया उसके विपरीत जाकर सारे कार्य करने शुरू किये। एक तरह से चुनाव बाद शपथ लेना भी सिर्फ औपचारिकता है। स्वस्थ लोकतंत्र में चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार से ये अपेक्षा होती है कि वह राग द्वेष को भुलाकर सभी के साथ भेदभाव रहित ब्यवहार करेगा। परन्तु नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह उसके विपरीत कर रहे हैं।
राजनीतिक दबाव में रानू मेडिकल स्टोर को किया गया निलंबित...

एक तरह से स्वस्थ लोकतंत्र में एक उम्मीदवार चुनाव में सफल होता है। शेष उम्मीदवार चुनाव हार जाते हैं। पर चुनाव बाद जीतने वाला उम्मीदवार सबकुछ भूलकर जो मतदाता उसे मतदान नहीं किया रहता उसे अपना विरोधी नहीं मानता। परन्तु प्रतापगढ़ में नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह ऐसा नहीं करते। वह बकायदा 25 वार्डों में मिले प्रत्येक बूथ पर प्राप्त मत को अपने टेबल पर रखते हैं। जहाँ से उन्हें चुनाव में हार मिली होती है अथवा जहाँ अपेक्षा से कम वोट मिला होता है, उस क्षेत्र में विकास कार्य को अवरुद्ध कर देते हैं। उस क्षेत्र में साफ सफाई से लेकर कोई भी नियमित कार्य भी नहीं होने देते हैं। 25 वार्डों में चिलबिला और महुली वार्ड में नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह इस कदर खिसियाये हैं कि वे ईर्ष्या व द्वेष से दोनों वार्डों के मतदाताओं को अपने ढंग से हैरान व परेशान कर रहे हैं। महुली के विकास जायसवाल को पम्प ऑपरेटर पद से हटा दिया गया। वजह विकास के बड़े भाई निर्दलीय उम्मीदवार महिमा गुप्ता के साथ चुनाव में उनका प्रचार किया था। महुली सभासद दीपक उमरवैश्य के बेटे को सुपरवाइजर पद से हटा दिया गया।

ताजा मामला महुली वार्ड से देखने को मिला है। रानू मेडिकल स्टोर के खिलाफ नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह मोर्चा खोल दिया है। मुख्यमंत्री के यहाँ से लेकर ड्रग्स विभाग के अधिकारियों को शिकायती पत्र भेजकर रानू मेडिकल स्टोर को निलंबित कराने की मानो सौगन्ध खा ली हो। रानू मेडिकल स्टोर का संचालक रानू उमरवैश्य पर नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह को आशंका है कि वह निकाय चुनाव में महिमा गुप्ता का समर्थन किया था। बस इसी शक को आधार बनाकर हरी प्रताप सिंह रानू मेडिकल स्टोर संचालक को बर्बाद कर डालने का निश्चय किया है। पहले जिले के ड्रग्स विभाग के अधिकारियों को भेजकर जाँच कराई और नोटिस दिलाया। बात न बनी तो प्रयागराज के उच्चाधिकारियों से शिकायत किया। कल की तिथि में रानू मेडिकल स्टोर को निलंबित कर दिया गया। रानू मेडिकल स्टोर के निलंबन में जिन कारणों का उल्लेख किया गया है, उसे देखकर ही लग रहा है कि औषधि विभाग की कार्रवाई राजनीतिक दबाव में की गई है। यदि ऐसा निलंबन किया जाये तो जिले के 75 फीसदी मेडिकल स्टोर के लाइसेंस निलंबित करने पड़ेंगे।

इसबीच रानू उमरवैश्य को भाजपा के एक नेता मिले जो नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह के पुराने लटक बताये जाते हैं। नेताजी ने रानू उमरवैश्य को भरोसा दिलाया कि वह जाए और अपना मेडिकल स्टोर चलाये। नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह की गलतफहमी दूर हो गई। वेचारा रानू उमरवैश्य आश्वस्त होकर मेडिकल स्टोर का संचालन करने लगा। उसे क्या पता था कि 15 दिन तक लगातार नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह का दरबार करने और उनके पुराने लटक की आवभगत करने के बाद उसका मेडिकल स्टोर का लाइसेंस राजनीति का भेंट चढ़ जायेगा। दिनांक-12/10/2023 को रानू उमरवैश्य विधायक राजेन्द्र कुमार मौर्य से आप बीती घटना सुनाई तो विधायक ने औषधि निरीक्षक को पत्र लिखकर रानू उमरवैश्य का बचाव किया। विधायक के पत्र के एक सप्ताह बाद रानू मेडिकल स्टोर का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया। इससे तो यही लगता है कि विधायक प्रतापगढ़ राजेन्द्र कुमार मौर्य का पद और पॉवर नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह से कम है। फिलहाल दोनों नेता भाजपा से हैं। दोनों नेताओं में इतनी खींचतान से लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान होना तय है।

यह कोई पहला मामला नहीं है जब नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह अपने पद और प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करके मुख्यमंत्री जी से शिकायत कर लोगों को हैरान व परेशान करने का काम किया हो। इसके पहले विनय सिंह "भोला" जिला योजना समिति के सदस्य और सिविल लाइन वार्ड के सभासद के ईंट भट्ठे को बन्द कराने के लिए अपनी सारी ताकत लगा डाले थे। क्योंकि भोला सिंह नगरपालिका की बोर्ड की बैठक से लेकर सड़क तक हरी प्रताप सिंह का विरोध करते थे। फिलहाल हरी प्रताप सिंह के अथक प्रयास के बाद भी भोला सिंह का ईंट भट्ठा का संचालन बन्द न हो सका। ऐसी घटनाएं दर्जनों हैं जिन्हें नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह अपना शिकार बनाये, परन्तु अभी तक किसी का कुछ बिगाड़ न सके। इस बार जब से नपाध्यक्ष के पद की हरी प्रताप सिंह शपथ लिए हैं, तब से वह जमीन के भूखे हो गए हैं। महुली, बराछा, पूरे केशवराय सहित दर्जनों वार्डों में हरी प्रताप सिंह नगरपालिका की टीम भेजकर सरकारी जमीन के साथ-साथ अपने प्रतिद्वंदी की जमीनों को कब्जा करने का महायोजना चला रखे हैं। जबकि नपाध्यक्ष स्वयं भी शहर में सबसे अधिक सरकारी भूमि पर अबैध कब्जा कर रखा है। नपाध्यक्ष हरी प्रताप सिंह का अवैध कब्जा जिला प्रशासन को नहीं दिखता और हरी प्रताप सिंह की झूठी शिकायत को ऐसे संज्ञान लेते हैं मानो पहाड़ गिर पड़ा हो

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