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शनिवार, 17 जून 2023

मुख्यमंत्री हेल्पलाइन और आईजीआरएस की बैंड बजाने में लगे हैं, प्रतापगढ़ के काबिल अफसर, गलत तथ्यों को आधार बनाकर कर हैं, निस्तारण

कहने के लिए जनता के सेवक हैं,सही मायने में जनता का असली शोषण नौकरशाही ही करती है,ठीक उसी तरह जैसे गोरे अंग्रेज गुलामी के समय भारतीयों का करते थे...

ब्लॉक पर सुशील सिंह पर दुकान कब्जाने का लग रहा आरोप...

यह सही है कि जब बात खुद पर आती है तब समझ में आता है कि सिस्टम में कितनी खामिया हैं और कितनी अच्छाइयां ? ब्यवस्था में बैठे लोग कितने मदान्ध हो चुके हैं कि उन्हें सही और गलत से वास्ता व सरोकार नहीं रह गया है। तभी तो जो मन में आता है वही जाँच अंख्या तैयार करके प्रकरण को निस्तारित कर दिया जाता है। ये अक्सर उसी के साथ होता है जो नियम कानून की दुहाई देता है और सारी उम्र कानून का पालन करना चाहता है। भले ही सामने वाला यानि उसका विपक्षी चाहे सौ प्रतिशत गलत हो, परन्तु धनबल और बाहुबल सहित राजनीतिक रसूख वाला हो तो उसके आगे जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की सारी हेकड़ी निकल आती है और भीगी बिल्ली बनकर दुबक कर अपनी इज्जत बचाने के सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं होता। 

ये दुकान विनोद पाण्डेय की है, जिसे बनवाते ही पट्टी के भूमाफियाओं की नजर गड़ गई... 

जी हाँ, हम बात कर रहे हैं पट्टी के रायपुर रोड पर पूर्व प्रधान बहुता की वेशकीमती भूमि व दुकान की, जिसे पट्टी क्षेत्र के भूमाफियाओं द्वारा कब्जा किये जाने का प्रयास लगातार जारी है और जिला प्रशासन, विभीषण की भूमिका में कार्य कर रहा है। एक नजर प्रतापगढ़ में तैनात काबिल अफसरों की कार्य प्रणाली पर अपनी नजर दौड़ा लिया जाये तो मन के सारे भ्रम स्वतः खत्म हो जायेंगे जरा दिखिए एक सरीफ इंसान अपनी कानूनी लड़ाई कैसे लड़े ? प्रतापगढ़ के अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी को इतना भी नहीं पता कि विजेंद्र पुत्र ब्रम्हदेव अपने गाटा संख्या- 709 आबादी की भूमि में सिर्फ 1.05 विस्वा का बिना कब्जा इकरारनामा हुआ है, जिस पर कब्जा बैनामा न होने तक इकरारनामा करने वाले विजेंद्र पुत्र ब्रम्हदेव का ही रहेगा। 

सत्ताधारी दल भाजपा का बैनर व पोस्टर लगाकर पट्टी में किया जा रहा है,जबरन कब्जा...

अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी महोदय अपने काबिल और होशियार पट्टी इंस्पेक्टर नन्दलाल की जाँच आख्या रिपोर्ट को यथावत विश्वास करते हुए पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ को प्रेषित कर दी, जिसे पुलिस अधीक्षक महोदय ने भी जिलाधिकारी प्रतापगढ़ को कार्यवाही हेतु अपनी जाँच प्रेषित कर IGRS में मुख्यमंत्री जी के यहाँ से अग्रसारित प्रकरण को निस्तारित करने की संस्तुति कर दी है। सबसे मजेदार बात यह है कि अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी अपनी जाँच आख्या में 1.05 को 105 विस्वा जमीन मान बैठे और लगभग एक वर्ष पहले अजय सिंह व सन्तोष सिंह को एग्रीमेंट करने की रिपोर्ट जाँच आख्या में दर्शाते हुए लिखा है। जबकि हकीकत यह है कि मौके पर 105 विस्वा जमीन नहीं है। सिर्फ 1.05 विस्वा जमीन का एग्रीमेंट 2वर्ष, 11 माह के लिए बिना कब्जा का कराया गया है।

सत्ता की हनक ऐसी कि किसी की आबादी अथवा भूमिधरी की जमीन भी नहीं बच रही है...

जब उच्चाधिकारियों की परख और समझ ऐसी रहेगी तो न्याय की परिकल्पना करना ही बेईमानी होगी। पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ और अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी को इतनी जानकारी होनी चाहिए कि बिना कब्जा एग्रीमेंट कराकर कोई भी ब्यक्ति एग्रीमेंट शुदा भूमि अथवा भवन पर कब्जा नहीं प्राप्त कर सकता। फिर अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी महोदय IGRS में जो जाँच रिपोर्ट लगाकर प्रकरण को निस्तारित किये हैं, उसमें वह स्वयं लिख रहे हैं कि शिकायतकर्ता विनोद पांडेय अपनी नौ दुकान का निर्माण कराया है। विपक्षी द्वारा भी निर्माण कार्य करा लिया गया है। परन्तु मौके पर विवाद बना हुआ है। पट्टी कोतवाली पुलिस सिर्फ दोनों पक्षों का 107/116 सीआरपीसी के तहत कार्यवाही कर अपने दायित्वों की इतिश्री कर ली है।  

ASP पूर्वी की विवादित जाँच आख्या रिपोर्ट से बढ़ सकता है, विवाद...

सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी की सीएम हेल्पलाइन की दशा का कबाड़ा करने वाले उनके काबिल अफसरों को यह नहीं दिखता की वह जाँच किस बात की कर रहे हैं और रिपोर्ट क्या सौंप रहे हैं ? आईजीआरएस संख्या- 1517323008823 की जाँच मुख्यमंत्री के यहाँ से करने के लिए निर्देशित किया गया। मजेदार बात यह रही कि उक्त जाँच पट्टी कोतवाल नंदलाल जी द्वारा की गई। उस रिपोर्ट को आधार बनाकर अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी अपनी जाँच आख्या पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ को दिया और पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ ने जिलाधिकारी प्रतापगढ़ को अपनी जाँच आख्या सौंप कर प्रकरण को निस्तारित कर दिए। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन अपनी पद और शक्ति का चाहे जितना दुरपयोग कर ले, परन्तु सत्य को झुठला नहीं सकता। सत्य मुंह फाड़कर उनके सामने खड़ा रहेगा और उन्हें आईना दिखाने का कार्य करता रहेगा।  

गलत तथ्यों को दर्शाकर CM की IGRS जाँच बंद करने का निकाला फार्मूला...

प्रदेश का ये हाल है, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की। ऐसे में पीड़ित को न्याय कौन दिलाएगा ? जाँच आख्या में उभय पक्षों को हिदायत देने की बात भी कही गई है। साथ ही सक्षम न्यायालय में वाद दायर करके अनुतोष प्राप्त करने का सुझाव भी दिया गया है। पीड़ित विनोद पांडेय ने बताया कि उन्होंने सक्षम न्यायालय से अनुतोष प्राप्त किया है। उन्हें 30 मई, 2023 को न्यायालय से स्थगनादेश प्राप्त है। स्थगनादेश में विपक्षीगण को किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से निषेधित किया गया है। फिर भी जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन बिना सिर पैर की बात करके मामले को जानबूझकर उलझा रखा है। अपनी ही जाँच आख्या में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन बुरी तरह फंस चुका है। अभी मामला हाईकोर्ट में जाये तो वहाँ इन अफसरों की घिघ्घी बध जायेगी। पट्टी के भूमाफियाओं की इतनी अच्छी सेटिंग है कि उसके दरबार में पट्टी कोतवाली की पुलिस और तहसील के कई राजस्वकर्मी सुबह शाम दरबार करते हैं और अपरोक्ष रूप से भूमाफियाओं को मदद पहुँचाने का पूरा प्रयास करते हैं।  


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