उत्तर प्रदेश में लव जिहाद को लेकर योगी सरकार लगातार अपना रही है,सख्त रुख...
लखनऊ। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने बीजेपी शासनकाल में लागू किए गए धर्मांतरण कानून को रद्द करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने गुरुवार को राज्य कैबिनेट में यह प्रस्ताव सर्वसम्मित से पास कर धर्मांतरण कानून को रद्द कर दिया। कर्नाटक में धर्मांतरण का कानून रद्द होने के बाद जबरदस्त सियासत गरम हो गई है। बता दें कि पिछले साल मई में बीजेपी की पूर्व सरकार ने धर्मांतरण कानून के लिए अध्यादेश लाया था। जबरदस्ती, गलत बयानी या प्रलोभन के माध्यम से धर्म परिवर्तन के खिलाफ अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए सितंबर में राज्य विधानसभा में पेश किया गया था।
उत्तर प्रदेश में लव जिहाद को लेकर योगी सरकार लगातार सख्त रुख अपना रही है, जिससे यूपी में साल 2021 से लेकर 30 अप्रैल 2023 तक लव जिहाद से जुड़े 427 मामले दर्ज हुए हैं। धर्मांतरण कानून को लेकर अभी तक 833 से अधिक गिरफ्तारी हुई है। 185 मामलों में पीड़ितों ने कोर्ट के सामने जबरदस्ती धर्म बदलवाने की बात भी कुबूल की है। नाबालिगों के धर्मांतरण के मामले में अभी तक 65 मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें बरेली में अभी तक सबसे अधिक मामले दर्ज हुए हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश में दिव्यांग बच्चों का धर्मांतरण कराने वाले रैकेट का खुलासा हो चुका है। बता दें कि प्रदेश में 27 नवंबर 2020 से गैर कानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध कानून लागू है।
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक का सजा का प्रावधान है।कानून में जुर्माने की राशि 15 हजार से 50 हजार तक रखी गई है।नियमों के अनुसार अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होता है।
जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर न्यूनतम 15 हजार रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांच साल की कैद का प्रावधान रखा गया है। एससी-एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान है। जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए जेल की सजा तीन से 10 साल और जुर्माना 50 हजार है। कानून के मुताबिक अगर विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना था तो ऐसी शादियों को अवैध करार दिया जाएगा।
धर्मांतरण पर कार्रवाई का व्यापक असर...
इस संबंध में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा कि धर्मांतरण का कानून यूपी में 27 नवंबर 2020 से लागू है। सरकार जो एक्ट लेकर आई है, उसका सख्ती से पालन कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले,जिसमें लोग अपने धर्म और पहचान छिपाकर बालिकाओं को बहला फुसलाकर लव जिहाद के दायरे में लाते हैं और धर्मांतरण करने को बाध्य करते हैं, उनमें कार्रवाई करने के लिए सरकार संकल्पित है। अब तक की गई कार्रवाई का व्यापक असर है।
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा कि इसके अलावा कई अलग-अलग तरह के धर्मांतरण के मामले भी सामने आते हैं, जिसमें दिव्यांग बच्चों को शिकार बनाया गया। हाल ही में गाजियाबाद में गेम के जरिए धर्म परिवर्तन का केस सामने आया है। मुख्य अभियुक्तों को दूसरे प्रांत से लाकर कार्रवाई की जा रही है। पूछताछ चल रही है।कानून और संविधान के तहत कोई धर्म पंथ अपनाता है तो कोई बुराई नहीं है, लेकिन कोई लालच, धमकी देकर धर्म परिवर्तन करवाता है तो उस पर पुलिस की कार्रवाई जरूर की जाएगी।
कर्नाटक कैबिनेट ने एक दिन पहले ही धर्मांतरण रोधी कानून को रद्द करने का फैसला किया है। इस कानून को राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने लागू किया था।इस कानून को रद्द करने के लिए सरकार विधानसभा के आगामी सत्र में प्रस्ताव लेकर आएगी। कर्नाटक विधानसभा सत्र तीन जुलाई से शुरू हो रहा है। कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि कैबिनेट में धर्मांतरण विरोधी कानून पर चर्चा हुई। हमने 2022 में बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए इस बिल को रद्द करने का फैसला किया है।
कर्नाटक धर्मांतरण विरोधी कानून 2022 को कांग्रेस के विरोध के बावजूद बीजेपी सरकार ने लागू किया था। इस कानून के तहत एक धर्म से दूसरे धर्म में जबरन किसी के प्रभाव में या बहलाकर धर्म परिवर्तन कराना गैरकानूनी बताया गया है। इसके तहत तीन से पांच साल की कैद और 25000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। इस कानून के तहत धर्म परिवर्तन कराने वाले शख्स पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। सामूहिक तौर पर धर्म परिवर्तन के लिए तीन से दस साल तक की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। यह भी कहा गया कि कोई भी शादी जो धर्म परिवर्तन के इरादे से ही की गई है कि उसे फैमिली कोर्ट द्वारा अवैध मान जाएगा। इसे गैरजमानती अपराध बताया गया है।
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