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राजस्व तालाब की मिट्टी पर दिनदहाड़े डकैती, विभाग की आँख बन्द.... |
प्रतापगढ़। राजस्व तालाब की मिट्टी पर दिन दहाड़े डकैती डालकर तीन सौ से चार सौ रुपये प्रति ट्राली बेचा जा रहा है। जेसीबी संचालक राजस्व विभाग समेत स्थानीय पुलिस से सांठ गाँठ करके राजस्व विभाग को विधिवत चूना लगा रहे हैं। राजस्व तालाब की मिट्टी को बेचकर अर्जित धन से अवैध कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है। जेसीबी संचालक अवैध कारोबार से अर्जित धन के बल पर आमजन मे दहसत पैदा करते है। तहसील कुण्डा अंतर्गत राजस्व ग्राम नरई मे सोमवार को तालाब की मिट्टी दिन दहाड़े जेसीबी से खोदकर पांच से छः ट्रैक्टर ट्राली पर लादकर बेचा जा रहा है। उक्त तालाब नीलामी मे नरई गाँव के एक व्यक्ति ने पट्टा लिया हुआ है। इसी तरह तहसील लालगंज अंतर्गत ग्राम नौढ़िया के शुकुलपुर मे स्थित तालाब की मिट्टी दिनदहाड़े जेसीबी से खोदकर ट्रैक्टर ट्राली पर लादकर बेचा जा रहा है। राजस्व विभाग के तालाब से हजारों ट्राली मिट्टी बेची जा चुकी है।
थाना संग्रामगढ़ पुलिस की मिलीभगत से जेसीबी संचालक राजस्व संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का कार्कीय कर रहे हैं। सच बात तो यह है कि अवैध खनन का कार्य तभी संभव होता है जब स्थानीय थाना में हफ्ता दिया जाता है। साथ ही राजस्व विभाग के लेखपाल और कानून-गो के माध्यम से राजस्व विभाग के उच्चाधिकारियों तक खनन माफियाओं के द्वारा दी गई पोटली से धन न पहुँच जाये। ग्रामीणों ने बताया कि तालाब की मिट्टी खोदकर बेचे जाने की सूचना लेखपाल को दिया गया, लेकिन लेखपाल कोई कार्यवाही नहीं करते है। ग्रामीणों मे व्यापक रोष दिखायी दिया। ग्राम नौढ़िया के हल्का लेखपाल सत्येंद्र प्रताप सरोज से फोन जरिये अवगत कराया गया कि राजस्व विभाग के तालाब की मिट्टी खोदकर बेची जा रही है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा मेरी जानकारी में नहीं है। जबकि हल्का लेखपाल का ये दायित्बिव होता है कि वह हल्के में होने वाली सभी गतिविधियों पर नजर रखे और जो नियम और कानून के विरोध में कार्य करे, उस पर उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए कार्यवाही करे। ये तो तभी संभव होता है जब लेखपाल की भूमिका साफ सुथरी रहे। वह किसी भी रूप में गलत कार्यों में लिप्त न रहे।
मजेदार बात यह रही कि उक्त सूचना को जब लालगंज तहसीलदार के सीयूजी नम्बर पर अवगत कराया गया तो उन्होंने मौके पर राजस्वकर्मी को भेजने की बात कही गयी। इसी तरह कुण्डा उपजिलाधिकारी व तहसीलदार के सीयूजी नम्बर पर सम्पर्क किया गया, दोनों के फोन की घण्टी बजती रही, लेकिन फोन नहीं उठा। यही नहीं तीन घण्टा बीत जाने के बाद भी तहसील मुख्यालय के ये दोनों अहम् अधिकारियों ने कोई कालबैक करना भी उचित नहीं समझा। इससे इनकी भूमिका संदिग्ध हो जाती है और खनन माफियाओं से इनकी संलिप्तता से भी इंकार नहीं किया जा सकता। योगी सरकार के आदेशों की धज्जियाँ ये अधिकारी विधिवत उड़ा रहे हैं। कुंडा तहसील के राजस्व निरीक्षक सतीश चंद्र श्रीवास्तव सोमवार समय लगभग एक बजे नरई के पास मिले, इनको अवगत कराया गया कि राजस्व तालाब की मिट्टी जेसीबी से खोदी जा रही है, उसके बावजूद इन्होंने मौके पर जाकर देखना उचित नहीं समझा, बल्कि दुर्घटना में घायल लेखपाल सर्वजीत यादव को फोन के जरिये देखने को कहा गया, जबकि वे छुट्टी पर हैं।
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