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नगरीय निकाय चुनाव में प्रयागराज का मतदान प्रतिशत सबसे कम रहा... |
प्रयागराज। नगर निगम का चुनाव स्थानीय मुददोंपर लड़ा गया हो, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं की पसंद में बदलाव के भी साफ संकेत दिखाई दिए। खासतौर पर माफिया अतीक अहमद के गढ़ वाले छेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं का रुझान अप्रत्याशित तौर पर कांग्रेस की तरफ होता दिखाई दिया। कांग्रेस इनको इनके मतों से कितनी संजीवनी मिल पाती है, यह तो 13 मई को मतगणनाके बाद ही पता चल पायेगा। पहली बार इस वर्ग में सपा के प्रति नाराजगी भी दिखाई दी। कारण यह कि अतीक से लेकर आजम खां तक के मामलों में सपा ने सतही रवैया अपनाया। एआईएमआईएम के प्रति भी मुस्लिम मतदाताओं का आकर्षण देखने को मिला।
प्रयागराज नगर निगम में 15.69 लाख से अधिक मतदाता है। इनमे मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब पौने तीन लाख है। विगत चुनाओं के आधार पर मुस्लिम को सपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता रहा है इसी गणित के आधार पर सपा ने 20 फीसदी मतों की हिस्दासेदारी वाले कर्यास्थ समाज के अजय श्रीवास्तव को टिकट दिया था। उम्मीद थी कि सपा का परंपरागत यादव-मुस्लिम और पिछड़ा वोट के साथ कर्यास्थ समाज भी साथ आ गया तो चुनावी नैया पार हो जाएगी। मुस्लिमों के बीच गोटियाँ बिछाने में बसपा भी पीछे नही रही। उमेश पाल हत्याकांड से पहले बसपा ने अतीक की पत्नी शाइस्ता को मेयर का प्रत्याशी घोषित किया था।
हत्याकांड में नामजदगी के बाद सवाल उठे तो उनका टिकट काटना पड़ा। पार्टी ने सईद अहमद को मेयर प्रत्याशी बनाकर दलित-मुस्लिम गठजोड़ से ही कुर्सी साधने की कोशिश की। हालांकि आम आदमी पार्टी के मोहम्मद कादिरऔर एआईएमआईएम के मोहम्मद नकीखानने कई जगह रोड़ा अटकाया। तीन मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच सपा के सामने मुस्लिम मतों के बिखराव को रोकने की चुनौती थी।निकाय चुनाव को लेकर इस बार प्रयागराज दो मुददों से खासों चर्चा में माना गया था। इनमे से एक हाल ही में हुआ अतीक-अशरफ हत्याकांड भी रहा।
माना जा रहा था कि कम सेसे अतीक के गढ़ में तो यह घटनाक्रम चुनाव को जरुर प्रभावित करेगा। वोटिंग के दौरान बृहस्पतिवार को जब मतदाताओं से इस सम्बन्ध में बात की गये तो वह अतीक के नाम पर कुछ बोलने से कतराते रहे। हालांकि उनके चेहरों की तल्खी ने बता दिया कि घटना को लेकर कहीं न कहीं नाराजगी जरुर है। अतीक के चकिया स्थित पैतृकमकान के ठीक सामने अलहमरा फारुखी गर्ल्स इंटरकॉलेज स्थित है। यह वार्ड नंबर 44 के लिए मतदान केंद्र बनाया गया था । वोटिंग के लिए आने वाले हर शख्स की नजर ठीक सामने स्थित माफिया के मकान के मलबे पर जरुर पड़ रही थी। चकिया निवासी सरवर अली यहाँ वोट डालकर निकले तो हमने उनसे पूछा कि किस मुद्दे पर वोट डाला। इस पर उनका जवाब था कि पार्षदी का चुनाव संबंधो का भी चुनाव होता है, ऐसे में कई बार प्रत्याशी इसी सोच के साथ चुना जाता है।
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