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सोमवार, 15 मई 2023

महान सूफी संत मलिक मोहम्मद जायसी ने अमेठी को दिलाई थी खास पहचान

महान सूफी संत मलिक मोहम्मद जायसी ने अमेठी को दिलाई थी खास पहचान....

अमेठी। उत्तर प्रदेश का अमेठी जिला सियासत के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी यूपी का बहुत अहम जिला है। एक सूफी संत,जिसने अमेठी के साथ पूरे देश में एक पहचान बनाई। आज भी हर धर्म के लोग इस सूफी संत की चर्चा करते हैं। कई काव्य ग्रन्थ और कविता रचने वाले इस सूफी संत का नाम मलिक मोहम्मद जायसी था। उनकी कविताएं आज कई बड़े शैक्षिक संस्थानों में पढ़ी जाती हैं।

अमेठी जिले के जायस के तांबाना इलाके में महान सूफी संत मलिक मोहम्मद जायसी का जन्म 1477 में हुआ था। उनका शोध संस्थान भी स्थापित है। मलिक मोहम्मद जायसी महान सूफी संत के साथ-साथ महात्मा भी थे। उन्होंने कई सदी पहले आम जनमानस को समर्पित करने वाली अवधी भाषा में अपनी लेखनी चलानी शुरू की और 16वीं सदी में पद्मावत की रचना की। उस समय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जानकारी के लिए पद्मावत महत्वपूर्ण श्रोत था।इसके अलावा कई अन्य रचनाओं भी लोगों के बीच पहुंचाई।जबकि पद्मावत, अखरावट, आख़िरी कलाम, चित्ररेखा, मसलानामा, कहरानामा और अवधि की पद्मावत रचनाएं खास हैं।

इतिहास के प्रवक्ता मोहम्मद जुबेर अहमद ने बताया कि मलिक मोहम्मद जायसी राज परिवार के दरबारी कवि भी थे और यह अमेठी राज परिवार के निजी सलाहकार के रूप में भी महाराज के साथ रहते थे। जुबेर ने बताया कि एक समय वह जंगल में घूम रहे थे। इसी बीच घुसपैठी समझ कर राज परिवार के सैनिकों ने गोली चला दी और उसमें जायसी की मौत हो गई। इसके बाद पूरे सम्मान के साथ रामनगर में उनको दफनाया गया। यहीं पर जायसी का मकबरा आज भी है, जहां पर लोग दूर-दराज से घूमने आते हैं। मलिक मोहम्मद जायसी के पिता अशरफ एक मामूली जमींदार थे और खेती कर अपने परिवार का जीवन यापन करते थे।

जुबेर ने बताया कि मलिक मोहम्मद जायसी हम सब के लिए आदर्श हैं। इनमें से पद्मावत, अखरावट और आखिरी कलाम विश्व में प्रसिद्ध हैं। आज मलिक मोहम्मद जायसी की वजह से अमेठी जिले का नाम पूरे विश्व में विख्यात है। इसके अलावा उनकी कई किताबें बड़े-बड़े शैक्षिक संस्थानों में पढ़ाई जाती हैं।

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