आजमगढ़ ,रामपुर ,मैनपूरी ,और अब गाजीपुर उपचुनाव पर टिकी निगाहे ... |
लखनऊ।उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां यूपी निकाय चुनाव की धूम मची है तो वहीं दूसरी ओर निकाय चुनाव खत्म होते ही यूपी में एक और लोकसभा सीट पर उपचनुाव की गूंज सुनाई देगी। रामपुर-आजमगढ़ और मैनपुरी के बाद अब गाजीपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान कभी भी हो सकता है। 2024 के चुनावी रण में उतरने से पहले एक बार फिर विपक्ष और सरकार आमने सामने होंगे।दोनों को अपने आपको आजमाने का एक मौका मिल सकता है।
2019 लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के बीच था गठबंधन....
2019 में लोकसभा का चुनाव हुआ था तब गाजीपुर का सियासी समीकरण पूरी तरह से बदला हुआ था। इस लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। सपा-बसपा के गठबंधन के बाद गाजीपुर लोकसभा सीट बसपा से माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में दलित-मुस्लिम-यादव का ऐसा चुनावी संगम बना कि तत्कालीन कैबिनेट मंत्री मनोज सिन्हा को हार का मुंह देखना पड़ा था।
2014 में मनोज सिन्हा ने मोदी लहर में जीता था चुनाव....
2019 से पहले 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी के नाम की सुनामी थी। 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने मनोज सिन्हा को टिकट दिया था। इस चुनाव में सपा और बसपा में गठबंधन नहीं था, जिससे मनोज सिन्हा गाजीपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी।राजनीति के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब भाजपा की सरकार केंद्र में थी और गाजीपुर में भाजपा का सांसद जीता था नहीं तो सामान्य तौर पर इस सीट का एक इतिहास रहा है कि यहां के लोग हमेशा से ही सत्ता विरोधी सांसदों को जिताते रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद मनोज सिन्हा ने गाजीपुर और बनारस समेत पूरे पूर्वांचल में विकास कराने का काम किया। विकास के दम पर उनको विश्वास था कि अगले चुनाव में वह आसानी से चुनाव जीत जाएंगे, लेकिन 2019 का चुनाव उनके लिए एक बड़ा सबक लेकर आया और वह चुनाव हार गए।
मैनपुरी-आजमगढ़-रामपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव....
दरअसल यूपी में 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं। अफजाल की तरह ही रामपुर में एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद आजम खां की लोकसभा की सदस्ता चली गई थी, जिसके बाद उपचुनाव में यह सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की। वहीं आजमगढ़ सीट पर उपचुनाव इसलिए कराना पड़ा क्योंकि विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की करहल से विधानसभा चुनाव लड़कर अखिलेश ने विधानसभा में रहने का फैसला किया था। करहल से जीतने के बाद अखिलेश यादव ने आजमगढ़ सीट छोड़ दी थी। यहां हुए उपचुनाव में भाजपा ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को टिकट दिया था। निरहुआ आजमगढ़ जीत दर्ज की। तीसरा उपचुनाव मैनपुरी में अखिलेश यादव के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी सीट पर हुआ। इस सीट पर सपा ने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को टिकट दिया जो बड़े अंतर से जीत दर्ज की।
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