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गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

राजकीय इंटर कालेज प्रतापगढ़ के प्राचार्य सत्ताधारी दल के नेताओं के आगे जीआईसी ग्राउंड को नियम विरुद्ध तरीका अपनाकर चुनावी जनसभा के लिए दे देते हैं, एनओसी

राजकीय इंटर कालेज प्रतापगढ़ को सत्तापक्ष के नेता मानते हैं,अपने बाप की सम्पत्ति...

प्रतापगढ़ का राजकीय इंटर कालेज सताधारी दल के नेताओं की चुनावी जनसभा स्थली बन चुकी है। लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता के पक्ष स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रतापगढ़ के राजकीय इंटर कालेज के ग्राउंड में चुनावी जनसभा में भाग लिए थे, उस समय जीआईसी ग्राउंड की बाउंड्रीवाल को चार स्थानों पर तोड़कर प्रवेश के लिए द्वार बनाया गया था। नियम विरुद्ध ढंग से प्राचार्य को दबाव में लेकर ग्राउंड में चुनावी जनसभा के लिए NOC ली गई थी बाउंड्रीवाल जो तोड़े गए उसे उम्मीदवार द्वारा बनाया जाना था, परन्तु उम्मीदवार द्वारा नहीं बनाया गया। बाद में उसे जीआईसी के प्राचार्य द्वारा बनाया गया। 


अब निकाय चुनाव में चुनाव प्रचार के लिए भाजपा उम्मीदवार हरि प्रताप सिंह के पक्ष में सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ 1 मई को प्रतापगढ़ में आ सकते हैं। भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह के समर्थन में चुनावी जनसभा के लिए प्रतापगढ़ के जीआईसी मैदान में होने की सुगबुगाहट हो रही है। सीएम योगी के आगमन को लेकर  तैयारियां तेज हो गयी हैं। राजकीय इंटर कालेज प्रतापगढ़ के प्राचार्य सत्ताधारी दल के नेताओं के आगे इस बार भी जीआईसी ग्राउंड को नियम विरुद्ध तरीका अपनाकर चुनावी जनसभा के लिए एनओसी देने की रणनीति बनाई जा रही है। चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित गाइड लाइन को दर किनार करके जनपद प्रतापगढ़ में सरकारी संस्थाओं को भी चुनावी जनसभाओं के लिए एनओसी जारी कर दी जाती है।  


कहने के लिए लोकतंत्र में सभी को समान अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त है। फिर भी नियम कानून का पालन कराने के लिए ब्यवस्था में बैठे हुक्मरानों द्वारा दोहरी नीति अपनाई जाती है। निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को स्वतंत्र बॉडी के रूप में स्थापित किया गया है। परन्तु चुनाव आयोग भी सत्ताधारी दल की चौखट पर दम तोड़ता नजर आता है। लोकसभा चुनाव-2019 में 39-संसदीय क्षेत्र प्रतापगढ़ में रामलीला मैदान में सपा और बसपा के संयुक्त उम्मीदवार अशोक तिवारी के पक्ष में चुनावी जनसभा को संबोधित करने के लिए बसपा सुप्रीमों मायावती को आना था, एक बार अनुमति देने के बाद सत्तापक्ष के दबाव में तत्कालीन SDM सदर विनीत उपाध्याय ने जारी की गई अनुमति को ये कहते हुये रद्द कर दिया था कि रामलीला मैदान की जमीन सेना की है, जिसकी NOC रामलीला कमेटी द्वारा जारी की है, जो पर्याप्त नहीं। 


सेना की NOC को आधार बनाकर ऐन वक्त पर लोकसभा चुनाव- 2019 में चुनावी सभा स्थल को रद्द करना लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा था। जबकि विधानसभा चुनाव साल- 2017 में अपनादल एस और भाजपा के संयुक्त उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता की चुनावी जनसभा को संबोधित करने के लिए तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उसी रामलीला मैदान में जनता को सम्बोधित किया था। उस समय भी जो एसडीएम सदर ने अनुमति दी थी, उसमें भी रामलीला कमेटी के अध्यक्ष ने ही NOC दी थी। सेना की तरफ से उसमें भी NOC जारी नहीं की गई थी। इससे सिद्ध होता है कि सत्ता का दबाव पर भ्रष्ट नौकरशाही कैसे एक पाँव पर खड़ी होकर नाचती है। एक ही मामले में अलग-अलग ब्यवस्था कैसे प्रदान की जा सकती है ? क्या ऐसा करना लोकतंत्र का अपमान करना नहीं है ? इसे हरहाल में बंद होना चाहिए।  


लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता के चुनावी जनसभा में पीएम मोदी आये थे। जीआईसी के प्राचार्य ने नियम कानून को ताख पर रखकर जीआईसी ग्राउंड को चुनावी जनसभा के लिए दे दिया था, जो आदर्श आचार संहिता का उलंघन था लोकतंत्र में सबको बराबर का अधिकार है। सरकार भूमि व इमारत में चुनावी जनसभा करने की अनुमति किसी भी दल को नहीं दे सकती। ऐसे में निकाय चुनाव में पुनः जीआईसी ग्राउंड में भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में जनसभा का आयोजन करना सत्तापक्ष की दादागीरी करने जैसा है। किसके दबाव में प्राचार्य राजकीय इंटर कॉलेज, प्रतापगढ़ में चुनावी जनसभा करने के लिए जीआईसी ग्राउंड की NOC दे देते हैं। ये तो लोकतंत्र की हत्या के समान है। ब्यवस्था में बैठे हुक्मरानों द्वारा बनाये गए नीति निर्धारण को लागू करने में दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जाता है...???


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