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शनिवार, 15 अप्रैल 2023

प्रधान व पंचायत सेक्रेटरी को बचाने के लिए प्रशासनिक अमले और प्रधानों एवं बीडीसी प्रतिनिधियों को आगे करके जाँच टीम को प्रभावित करने की चली गई चाल- याचिकाकर्ता

मंगरौरा ब्लॉक प्रमुख व पूर्व मंत्री मोती सिंह के पुत्र राजीव प्रताप सिंह उर्फ नंदन सिंह इटवा ग्राम सभा की कान्हा गौशाला में ब्याप्त खामियों को दबाने का कर रहे हैं,प्रयास - रूद्रमणि उपाध्याय "याचिकाकर्ता" 

प्रतापगढ़ के इटवा ग्राम सभा में कान्हा गौशाला में जुटा प्रशासनिक अमला...

प्रतापगढ़। पट्टी तहसील के विकास खण्ड मंगरौरा के इटवा ग्राम सभा में कान्हा गौशाला में गौवंशो के लिये जो बजट शासन द्वारा जारी किया जाता है, उसमें ग्राम प्रधान एवं पंचायत सेक्रेटरी उसे हजम कर लेते हैं। ग्राम प्रधान अपने हिस्से में से कुछ धन गाँव के उन लोगों पर खर्च किया जाता है, जो जरूरत पड़ने पर प्रधान जी के पक्ष में बोले और उनका समर्थन करें। जरुरत पड़ने पर प्रधान जी के जयकारे भी लगाएं। इटवा ग्राम सभा के कान्हा गौशाला में मंगरौरा ब्लॉक प्रमुख व पूर्व मंत्री मोती सिंह के पुत्र राजीव प्रताप सिंह उर्फ नंदन सिंह के दखल के सम्बन्ध में उनसे बातचीत करने का प्रयास किया गया, परन्तु उनसे सम्पर्क नहीं हो सका, लिहाजा उनका पक्ष नहीं लिखा जा सका। पूर्व मंत्री मोती सिंह के मीडिया प्रभारी विनोद पाण्डेय से इस सम्बन्ध में जानकारी की गई तो उन्होंने अनिभिज्ञता जताई और याचिकाकर्ता रुद्रमणि उपाध्याय की तारीफ की।   

बर्चस्व कायम रहे, इसलिये पूर्व मंत्री पुत्र व मंगरौरा ब्लॉक प्रमुख नंदन सिंह ने अधिकारियों के सहारे कान्हा गौशाला इटवा को छावनी में किया,तब्दील। देश के पीएम मोदी और सूबे के मुखिया योगी जी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कहते हैं कि उनकी सरकार में जीरो टॉलरेंस पर कार्य कर रही है। जबकि उनकी ही पार्टी के नेता भ्रष्टारियों को संरक्षित करने का कर रही  है,काम...

इटवा गाँव में स्थापित कान्हा गौशाला की जाँच में जुटे स्थानीय लोग...

इटवा गाँव में स्थापित कान्हा गौशाला की जाँच में सबकुछ लकदक दिखे। इसके लिए खण्ड विकास अधिकारी के साथ-साथ एसडीएम पट्टी और क्षेत्रधिकारी पट्टी लगे रहे। जाँच टीम के आने से पहले सुरक्षा ब्यवस्था चाक चौबंद कर दिया गया। गौशाला के मेन गेट पर ताला जड़ कर पहरा लगा दिया गया। इसकी शिकायत SDM पट्टी से की गई तो उन्होंने कहा कि जाँच टीम आने के बाद अंदर आने दिया जाएगा। थोड़ी देर में क्षेत्राधिकारी पट्टी दिलीप सिंह गौशाला पहुँचे तो उन्होंने अलग ही फरमान सुना दिया कि बिना मेरे आदेश के कोई भी ब्यक्ति गौशाला के अंदर नहीं जाएगा। यहाँ तक कि कवरेज करने गए मीडियाकर्मी  को भी गौशाला के अंदर नहीं जाने दिया गया। सवाल उठता है कि कान्हा गौशाला में सबकुछ सही था तो कवरेज करने गई मीडिया को कवरेज करने से क्यों रोका गया ? क्या स्वस्थ लोकतंत्र में ऐसा करना जायज है ? ऐसी परिपाटी किसी दशा में ठीक नहीं 


आसान नहीं भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचाररियों से लड़ना। भ्रष्टाचार के आकंठ डूबे पंचायत प्रतिनिधि और पंचायत सेक्रेटरी को बचाने के लिए सैकड़ों ग्राम प्रधान और बीडीसी व ब्लॉक प्रमुख के समर्थकों के आगे याचिकाकर्ता की आवाज को कुचलने का किया गया, प्रयास...

 

गौशाला के प्रमुख द्वार पर ही भारी संख्या में पुलिस के जवान तैनात कर दिया गया। गेट पर ताला बंद कर दिया गया। मीडिया कर्मियों को गौशाला में कवरेज न करने देना किसी तुगलकी फरमान से कम नहीं रहा। जिसकी चारो तरफ चर्चा हो रही है। सबसे चौकाने वाली बात यह रही कि कान्हा गौशाला की जाँच को प्रभावित करने के लिए मंगरौरा क्षेत्र के सैकड़ों प्रधान व बीडीसी सहित मंगरौरा ब्लॉक प्रमुख व पूर्व मंत्री मोती सिंह के पुत्र राजीव प्रताप सिंह उर्फ नंदन सिंह के कई समर्थक इस कदर कान्हा गौशाला पहुँचे थे, जैसे कोई चुनावी जनसभा में वो आये हों। इटवा ग्राम प्रधान और पंचायत सेक्रेटरी के भ्रष्टाचार को बचाने का प्रयास बर्चस्व कायम करने जैसा दिखा। फिलहाल पूरे क्षेत्र में मंगरौरा ब्लॉक प्रमुख व पूर्व मंत्री मोती सिंह के पुत्र राजीव प्रताप सिंह उर्फ नंदन सिंह की निन्दा हुई। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी जानवरों का चारा खाया था, उनका हश्र लोगों को नहीं भूलना चाहिए 

इटवा ग्राम सभा में पहली बार जाँच देखने उमड़ी भीड़...

एक ग्राम प्रधान अपनी बचत इस तरह कितनी भी औकात वाला हो, वह इस तरह की ब्यवस्था नहीं कर सकता था। याचिकाकर्ता रुद्रमणि उपाध्याय और ग्राम प्रधान अमर बहादुर की लड़ाई में ब्लॉक प्रमुख मंगरौरा नंदन सिंह की अस्मिता का सवाल आड़े आने लगा था। इसलिये जिला प्रशासन से लेकर पुलिस प्रशासन और क्षेत्रीय लोगों का जमावड़ा कराकर जाँच को प्रभावित करने का प्रयास किया गया। देखना है कि जाँच टीम अपनी रिपोर्ट में असलियत दर्शाती है या वह भी प्रभावित होकर गौशाला में एकत्र हुई भीड़ की बात में आकर असलियत को दफन कर देती है। चूँकि सैकड़ों गौवंशों के शव जहाँ दफ़न किये गए थे, उसे बिना खोदवाए ही उसका सत्यापन करके जाँच टीम वापस चली गई। एक सोची समझी रणनीति के तहत याचिकाकर्ता रूद्रमणि उपाध्याय को प्रधान इटवा के पक्ष में एकत्र टीम से उनकी आवाज को दबाने का भी कार्य किया गया। 


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