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गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

प्रतापगढ़ नपाध्यक्ष पद पर भाजपा और सपा के उमीदवार को भीतरघातियों और बागी उम्मीदवारों से सता रहा है डर तो निर्दल उम्मीदवार अपने दम पर चुनाव में बाजी मार लेने का कर हैं,दावा

सत्ताधारी दल भाजपा के उम्मीदवार के प्रति जनता में भारी आक्रोश दिख रहा है, पांचवी बार टिकट देकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को हो रहा अब पछतावा, बाजी पलटने के मिल रहे हैं,संकेत...

प्रतापगढ़ नगर क्षेत्र का चौक घंटाघर...

निकाय चुनाव के प्रथम चरण के मतदान में महज छः दिन शेष रह गया है। 4 मई को मतदान है। प्रतापगढ़ में इस बार गरपालिका चुनाव में कई दिग्गज ताल ठोंक रहे हैं। भाजपा ने पुनः अपने सबसे अधिक भ्रष्टाचार का  उम्मीदवार हरि प्रताप सिंह को टिकट देकर अन्य उम्मीदवारों के दिल को ठेस पहुंचाई तो वहीं सपा ने सामान्य सीट होने के बाद भी पार्टी विशेष जाति संतोष यादव को उम्मीदवार बनाया है। सपा में भी नाराजगी देखने को मिल रही है। चूंकि सपा से दो उम्मीदवार जो टिकट की लाइन में लगे थे वो आज निर्दल होकर चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। सत्ताधारी दल को प्रमुख विपक्षी दल सपा का उम्मीदवार जहाँ चुनौती दे रहा है, वहीं निर्दलीय उमीदवारों ने भी हरि प्रताप सिंह को इस गर्मी में बेदम कर दिया है 


भाजपा से नाराज होकर पूर्व जिलाध्यक्ष भाजयुमों वरुण प्रताप सिंह निर्दलीय उम्मीदवार होकर जनता से बदलाव की मांग कर रहे हैं। उनका प्रचार का तरीका सबको अच्छा लगा रहा है। भारत रत्न एवं देश के पूर्व पीएम स्व पंडित अटल बिहारी वाजपेयी और स्व दीन दयाल उपाध्याय के विचारों से पोषित होने वाली पार्टी भाजपा के द्वय कर्णधारों को अपना आदर्श मानने वाले वरुण प्रताप सिंह सिर्फ बदलाव की बात कर रहे हैं। वहीं सपा से टिकट माँग रहे विनय सिंह "भोला" निवर्तमान सभासद और सपा नेत्री महिमा गुप्ता भी सपा नेतृत्व के निर्णय को अस्वीकार करके चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं। जबकि आशुतोष पांडेय, विनय सिंह, यशवर्धन सिंह, विजय सिंह "सोनू" आदि उम्मीदवार टिकट न मिलने के बाद भी सपा उम्मीदवार संतोष यादव के साथ खड़े है।


सबसे मजेदार बात यह रही कि भाजपा से अपना दल एस का गठबंधन मानकर स्वयं को उम्मीदवार घोषित करने वाले विजय सिंह भी गठबंधन न होने की दशा में चुनाव के कुरुक्षेत्र में कूद पड़े हैं। परन्तु विजय सिंह 25 सालों तक हरि प्रताप सिंह के हर चुनाव में उनके सहयोगी रहे। इसलिए जनता में उन्हें आज भी भाजपा उम्मीदवार हरि प्रताप सिंह का सहयोगी ही बता रहे हैं। उन्हें चुनावी लाभ दिलाने की बात चाय पान की दुकानों पर सुनने को मिल जा रही है। बसपा उम्मीदवार सादिक अली और कांग्रेस उम्मीदवार गली तिवारी को भरोसा है कि उन्हें सर्ब समाज के साथ-साथ स्वजातीय वोट इतना मिल जाएगा कि 13मई को परिणाम उनके ही पक्ष में आएगा। वहीं दो राज्यों में सरकार बनाने वाली और 15 सालों से दिल्ली के एमसीडी में तख्ता पलटने वाली आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संतोष गुप्ता भी झाड़ू लेकर सहयोगियों के साथ कुलाचे मारने में पीछे नहीं हैं


सभी उम्मीदवार क्षेत्र में अपने ढंग से मतदाताओं के बीच जा रहे हैं और अपने पक्ष में वोट मांग रहे हैं। 99 फीसदी उम्मीदवार सिर्फ बदलाव की बात कर रहे हैं, इधर सपा उम्मीदवार संतोष यादव के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे सपा नेता आशुतोष पांडेय भी दावा कर रहे हैं कि इस बार जनता खामोश होकर अपना मतदान करेगी और नगरपालिका में बदलाव अवश्य करेगी। अब देखना है कि छात्र राजनीति से राजनीतिक दल की राजनीति करने वाले आशुतोष पांडेय इस बार अपनी पार्टी सपा में ब्राह्मण मतदाताओं को कितना जोड़ पाते हैं ? आशुतोष पांडेय का मुस्लिम समाज में भी अच्छी पकड़ है। पर अकेले आशुतोष पाण्डेय से ब्राह्मण मनाने वाला नहीं है। सपा उम्मीदवार संतोष यादव में वो तेजी देखने को नहीं मिल रही है जो एक उम्मीदवार में होनी चाहिए। अभी से ही थके-थके नजर आते हैं। कार्यकर्ताओं में एकजुटता भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि वो सपा उम्मीदवार सन्तोष यादव के पक्ष में मतदान के दिन कितने लोग जुड़ पाते हैं और अधिक से अधिक कितना मतदान संतोष यादव के पक्ष में करा पाते हैं...???


जबकि भाजपा उम्मीदवार हरि प्रतापगढ़ के अपने लोग उन्हें अभी से विजयी श्री का प्रमाण पत्र दे रहे हैं। उनका कहना है कि क्यों पड़े हो चक्कर में, कोई नहीं है टक्कर में... कार्यकर्ताओं की बातों पर यकीन करें तो उनका कहना है कि हरि प्रताप सिंह के आगे सभी दलों ने अपने उम्मीदवार हरि प्रताप सिंह की इच्छा से उतारे हैं। यानि एक तरह चुनाव में सरेंडर कर दिये हैं। हरि प्रताप सिंह इस बार अपने घर बैठकर चुनाव जीत सकते हैं। उन्हें प्रचार करने की भी आवश्यकता नहीं है। दारू, साड़ी साया और ब्लाउज सहित नगदी बाँटने की जरूरत नहीं। इस बार कार्यकर्ताओं को दी जाने वाली धनराशि भी नहीं देने पर भी हरि प्रताप सिंह को कोई चुनाव हरा नहीं सकता। पार्टी कार्यकर्त्ता भी अपने हिस्से की धनराशि का इंतजार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अभी उन्हें मनाने का कार्य किया जा रहा है जो पार्टी में टिकट मांग रहे थे और नाराज होकर घर बैठ गए हैं। भाजपा उम्मीदवार को डर सता रहा है कि कहीं डिजिटल इण्डिया के दौर में वो भितरघात न कर दें।    


पूर्व सभासद विनय सिंह "भोला" भी अपनी लाव लश्कर के साथ जनता के बीच अपने पाँच साल के कार्य और भाजपा उम्मीदवार हरि प्रताप सिंह के हर गलत कार्यो के विरोध का हवाला देकर एक बार मौका दने के बात मतदाताओं से कर रहे हैं। कंपनी बाग में कबाड़ बेंचने से लेकर डिवाइडर निर्माण में गड़बड़ी का विरोध, कंपनी बाग में फिसलने वाली टाइल्स लगाने का विरोध और सब्जी मंडी में कॉम्प्लेक्स बनवाकर पुराने मुस्लिम दुकानदारों को बेदखल करने के मामले में लड़ाई लड़ने वाले विनय "भोला सिंह" को विश्वास है कि उन्हें मुस्लिमों के साथ-साथ सर्व समाज का वोट मिलेगा। क्योंकि उन्हें पाँच वर्षों तक नगरपालिका को लूटने वाले महा भ्रष्टाचारी हरि प्रताप सिंह का विरोध करते और सत्ता से संघर्ष करते जनता ने देखा है। वहीं सपा नेत्री महिमा गुप्ता टिकट कट जाने की दशा में वो एक बार फिर चुनावी मैदान में कूद पड़ी हैं। उनका तर्क है कि उन्हें पिछली बार जनता ने अपना आशीर्वाद दिया था, पर थोड़ा आकने में चूक हो गई, परन्तु इस बार ऐसा नहीं होगा। उन्हें पूरा भरोसा है कि जनता उन्हें नपाध्यक्ष के पद पर इस बार अवश्य अपना आशीर्वाद देगी। 


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