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मंगलवार, 8 मार्च 2022

चुनाव में दो प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर का अंदाजा भीड़ से लगाना हो सकता है,धोखा

रानीगंज विधानसभा में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी डॉ आर के वर्मा के चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव रोड शो करने पहुंचे थे, जहाँ सपा के प्रथम प्रत्याशी विनोद दुबे की अगुवाई में बाइक रैली में यह कहते हुए भी सुना गया कि "रैली नहीं ये रेला है, जनाक्रोश का मेला है"

रानीगंज विधानसभा से विनोद दुबे का टिकट भले ही कट गया,पर चुनाव में हीरो वही रहे...

चुनावीं रणभूमि में उतरे सभी प्रत्याशियों को यह फार्मूला नहीं भूलना चाहिए कि जो समर्थक उसे चुनाव में जिताने का दंभ भरते हैं और अपने नेताओं को समझाते हैं कि हर जगह से उनका टम्पू हाई है और नेताजी भी यही बात मान लेते हैं, परन्तु यह भूल जाते हैं कि शत्रु का मित्र भी शत्रु की श्रेणी में आता है, ऐसे में सपा नेता विनोद दुबे रोड शो में उमड़े जनसैलाब को मतदान के दिन मतों में तब्दील करा पायें होंगे ? यदि नहीं तो सपा प्रत्याशी की जीत पर संकट के बादल मंडराते रहेंगे और ऐसी दशा में जीत भाजपा प्रत्याशी धीरज की होगी...

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 के सात चरणों के मतदान के बाद और मतगणना से पहले एक्जिट पोल में योगी सरकार के फिर से आने की संभावना के बीच अब अपने-अपने जिलों की विधानसभाओं में कौन प्रत्याशी किस सीट से निकल रहा है, इस बात को लेकर अभी गुणा-गणित चालू है। प्रत्याशियों के समर्थक अभी अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने का सूत्र उन्हें समझा रहे हैं, ताकि अंतिम समय उनके खर्च मिलते रहे और दरबार सजता रहे। जनपद प्रतापगढ़ की सात विधानसभाओं में 250- रानीगंज सवर्ण सीट में अपना नाम दर्ज करा चुकी है। यहाँ से एक आम चुनाव में कांग्रेस से जयसिंह यादव तो एक उप चुनाव में सपा से श्याद अली चुनाव जीते हैं। बाकी तो अभी तक जितने चुनाव हुए हर बार यहाँ से ब्राह्मण विधायक निर्वाचित होते रहे हैं। इस बार भी भाजपा प्रत्याशी धीरज ओझा और सपा प्रत्याशी डॉ आर के वर्मा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। सर्वाधिक बड़ी रैली में रानीगंज विधानसभा में जिस तरह सपा प्रत्याशी डॉ आर के वर्मा के पक्ष में बाइक रैली का आयोजन हुआ और उसमें इस कदर भीड़ उमड़ी कि स्टार प्रचारकों की बाइक रैलियां फीकी हो गई। यह अलग विषय था कि रोड शो में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार डॉ आर के वर्मा के नाम का जयकारा लगाने के स्थान पर समर्थक विनोद दुबे के नाम का ही नारा लगा रहे थे। जनचर्चा है कि काश ! सपा शीर्ष नेतृत्व को विनोद दुबे के टिकट काटने की गलती का एहसास 10 मार्च को डॉ आर के वर्मा के हार जाने के बाद हो। 

रानीगंज विधानसभा में सपा नेता विनोद दुबे की अगुवाई में सपा प्रत्याशी का रोड शो...

निवर्तमान भाजपा विधायक तथा उनके करीबियों के कारनामों से पीड़ित नाराज लोगों द्वारा यह कहते हुए सुना गया कि "रैली नहीं रेला है, जनाक्रोश का मेला है"। गुड़ तो खायेंगे, पर गुलगुला से परहेज करेंगे की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। बड़ी संख्या में नाराज भाजपाई, कहते हैं कि प्रदेश में भाजपा की सरकार में योगी जी मुख्यमंत्री तो बने, लेकिन रानीगंज में निवर्तमान भाजपा विधायक धीरज ओझा को वहाँ की जनता अपना मत नहीं देना चाहते हैं। जनचर्चाओं पर गौर करें तो भाजपा शीर्ष नेतृत्व द्वारा रानीगंज में बदलाव कर अगर किसी नए चेहरे को चुनाव मैदान में उतारा गया होता तो आज भाजपा प्रत्याशी की जीत में कोई संशय न रहता। बहरहाल यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा कि भाग्य विधाता कहा जाने वाला मतदाता अपने अमूल्य मत से जीत का ताज किसके सिर पर बांधेगा और किसे दिलाएगा मात। विधानसभा 250- रानीगंज में सपा के प्रत्याशी डॉ आर के वर्मा के साथ उनके समर्थन में सपा नेता विनोद दुबे के नेतृत्व में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन रोड शो का आयोजन हुआ था। युवाओं की बाइक रैली में सपा के पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव भी शामिल थे। जिसमें लोगों की भीड़ इस कदर उमड़ी कि जनपद में किसी भी अन्य दल के प्रत्याशी की रैली में उतनी भीड़ नहीं दिखी। रोड शो में लोगों को यह कहते हुए भी सुना गया कि "रैली नहीं ये रेला है, जनाक्रोश का मेला है"।

रानीगंज विधानसभा में हर मंच पर दिखे अपरचित, चुनाव प्रचार में विनोद दुबे ही छाये रहे... 

वहीं भाजपा प्रत्याशी धीरज ओझा तथा सपा नेता बिनोद दूबे इस बार एक-दूसरे के धुर विरोधी हैं, जबकि सपा प्रत्याशी डॉ आर के वर्मा एवं धीरज ओझा के बीच कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं है। सिर्फ चुनावी जंग है। किंतु डॉ आर के वर्मा के पूरे चुनाव का नेतृत्व विनोद दुबे अपनी पूरी टीम के साथ कर रहे हैं, जिससे यहां विनोद दुबे व  धीरज ओझा के ही बीच निजी रंजिश के चलते इस चुनावी महासमर में एक दूसरे के विरुद्ध देख लेने की जुबानी धमकी सोशल मीडिया पर वायरल होने से यहां दोनों पक्षों के बीच कांटे की टक्कर नहीं अपितु भाले की टक्कर है। जबकि यही विनोद दुबे वर्ष-2017 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार धीरज ओझा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव प्रचार में लगे थे, परन्तु चुनाव परिणाम के कुछ ही समय पश्चात दोनों में बिगाड़ हो गया। ऐसे ही एक स्थानीय नेता व प्रधान पति योगेश मिश्र "योगी" भी साल-2017 में धीरज ओझा को बाइक से घुमाते फिर रहे थे। निजी नफा नुकसान के मद्देनजर उनसे भी विधायक धीरज ओझा की अनबन हो गई। वह भी इस चुनाव में धीरज ओझा को हराने के लिए सपा उम्मीवार डॉ आर के  वर्मा को चुनाव जिताने का दावा कर रहे थे। फिलहाल सपा नेता विनोद दुबे और स्थानीय नेता योगेश योगी के यदि जुड़ने से सपा उम्मीदवार डॉ आर के वर्मा को फायदा हुआ होगा तो उनसे नुकसान भी होगा। क्योंकि शत्रु का मित्र भी शत्रु की श्रेणी में आता है।


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