मंत्री दया शंकर सिंह की पत्नी स्वाती सिंह से वर्ष- 2008 में रिश्ते बिगड़ने शुरू हुए तो वर्ष- 2017 में जाकर थम गए और पाँच वर्ष बाद वर्ष-2022 में फिर खटास शुरू हो गए, दोनों ने एक ही सीट से मांगा टिकट, मंत्री रहते स्आवाती सिंह का टिकट और पति को बलिया से मिला टिकट और अब बन गए मंत्री...
भाजपा विधायक दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह... |
उत्तर प्रदेश की सियासत में सबसे चर्चित पति-पत्नी की जोड़ी एक बार फिर सुर्खियों में है। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहीं स्वाति सिंह ने अपने पति और बीजेपी विधायक बने दयाशंकर सिंह से तलाक के लिए एक बार फिर से अदालत में गुहार लगाई है। उत्तर प्रदेश की सियासत में हाउस वाइफ से विधायक और योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री बनने तक का सफर तय करने वाली स्वाति सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। स्वाति सिंह ने बलिया से बीजेपी विधायक बनने वाले दयाशंकर सिंह से तलाक के लिए फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने दयाशंकर सिंह के खिलाफ तलाक का मुकदमा फिर से शुरू करने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की है।
हालांकि, एक समय स्वाति सिंह अपने परिवार के लिए सड़क पर उतरी थीं और दया शंकर सिंह के लिए राजनीतिक ढाल बन गई थीं, लेकिन अब स्वाति सिंह पति से अलग होना चाहती हैं। इसके लिए वो 10 साल पहले पारिवारिक न्यायालय में दायर तलाक के मुकदमे को फिर से शुरू कराना चाहती है। स्वाति सिंह के विधायक और मंत्री बनने से पहले ही उनके दया शंकर सिंह से रिश्ते खराब थे। स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह के बीच साल 2008 से रिश्ते बिगड़ने शुरू हुए थे और मामला तलाक तक पहुंच गया था। दया शंकर सिंह से तलाक के लिए स्वाति सिंह ने साल 2012 में लखनऊ के पारिवारिक न्यायालय में मुकदमा दाखिल किया था। कोर्ट ने दया शंकर सिंह को अपना पक्ष रखने और आपत्ति दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया था। तलाक का मामला कोर्ट में चल ही रहा था कि दयाशंकर ने बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ एक विवादित बयान दे दिया।
दया शंकर सिंह के बयान से बीजेपी भी बैकफुट पर आ गई और उनसे फौरन किनारा करते हुए उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया, लेकिन बसपा के नेताओं ने जवाबी हमले की तैयारी कर ली थी। उन्होंने राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन कर दयाशंकर सिंह पर जोरदार जुबानी हमला किया। इसी दौरान नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित बसपा नेताओं ने दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह और उनकी बेटी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर दी। बस यहीं से स्वाति सिंह ने मोर्चा खोल दिया और ऐसे तेवर दिखाए कि हाईकमान को उनमें संभावनाएं दिख गईं।स्वाति सिंह ने बचाव तो अपनी बेटी का किया, लेकिन वह दयाशंकर के लिए ढाल बन गईं। उन्हें आम लोगों की सहानुभूति के साथ ही प्रदेश के बड़े नेताओं का स्नेह भी मिला। उन्होंने मायावती और बसपा नेताओं के खिलाफ धारा प्रवाह बोला।
स्वाति सिंह की इस फायरब्रांड इमेज को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें सीधे प्रदेश महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया।फिर स्वाति सिंह को लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से उम्मीदवार बना दिया, जहां बीजेपी तीन दशकों से जीत के लिए तरस रही थी। विवाद के बाद सहानुभूति और मोदी लहर के चलते उन्होंने अजेय समझी जाने वाली सरोजनी नगर सीट जीतकर बीजेपी की झोली में डाल दी। इसके बाद उन्हें योगी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। स्वाति सिंह साल 2017 में मंत्री बनने के बाद पति दयाशंकर सिंह से तलाक लेने वाले मामले में पैरवी बंद कर दी। साल 2018 में फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों के कोर्ट नहीं पहुंचने पर केस बंद कर दिया था। स्वाति सिंह अब इसी आदेश को वापस लेने के लिए सोमवार को वकील के साथ कोर्ट में उपस्थित हुईं और आदेश वापसी का प्रार्थना पत्र देकर अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है।
स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह के बीच रिश्ते पहले खराब चल रहे थे, लेकिन 2017 के चुनाव आते-आते दोनों के गिले शिकवे कम हो गए। स्वाति सिंह मंत्री बनने के साथ ही बिजी हो गईं और दयाशंकर पार्टी में, लेकिन साल 2022 चुनाव आते आते गांठें फिर खुलने लगीं। ऐसा कहा जाता है कि दया शंकर को लगता था कि स्वाति को जो मिला वह उनकी वजह से मिला, जबकि स्वाति को लगता है कि उन्हें जो मिला है, वह उसकी स्वाभाविक हकदार हैं। इस बीच एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें स्वाति और दया शंकर सिंह के बीच खटपट की बात बाहर आ गई।इसी दौरान सरोजनी नगर सीट से दोनों ने दावेदारी पेश कर दी। ऐसे में पार्टी ने स्वाति सिंह का टिकट काटकर राजेश्वर सिंह को प्रत्याशी बना दिया। दया शंकर सिंह को बलिया से पार्टी ने टिकट दिया। दया शंकर सिंह जीतकर विधायक बने हैं। भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें योगी मंत्रमंडल में राज्य मंत्री "स्वतंत्र प्रभार" बनाकर उनके भी अरमान पूरे कर दिए हैं।
स्वाति सिंह अब दयाशंकर सिंह से अपने रिश्ते पूरी तरह से खत्म करना चाहती है। दो महीने पहले चुनावी सरगर्मियों के बीत स्वाति सिंह का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था। इस ऑडियो में स्वाति सिंह एक पीड़ित से बात कर रही हैं। और साथ ही अपनी पीड़ा भी बता रही हैं। इस बातचीत में स्वाति अपने पति दया शंकर सिंह पर मारपीट और प्रताड़ित करने का आरोप लगा रही थीं। स्वाति सिंह मंत्री बनने के साथ ही लखनऊ में बियर शॉप का उद्घाटन करने पहुंच गईं, जिसे लेकर सवालों में घेर में आ गई थीं। अपने विधानसभा क्षेत्र में नवरात्र के भंडारे के दौरान प्रसाद के साथ कन्याओं को 500-500 रुपये की नोट खुलेआम बांटने के वीडियो भी सामने आया था। स्वाति सिंह पर मंत्री रहते हुए सबसे गंभीर आरोप अंसल बिल्डर को लेकर लगा। सीओ कैंट के साथ हुई उनकी बातचीत का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें वह बिल्डर का पक्ष लेकर सीओ को डपट रही थीं। इसे लेकर वह सुर्खियों में रहीं, लेकिन उनका मंत्री पद बरकरार रहा।
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