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मंगलवार, 8 मार्च 2022

पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व विधायक लकी यादव के समर्थकों में मतदान के बाद ही शुरू हो गई, मारपीट

पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव और जनता दल यु के उम्मीदवार धनंजय सिंह के बीच मल्हनी विधानसभा में कड़ी टक्कर, भाजपा उम्मीदवार के पी सिंह निकला निठल्ला...

मल्हनी विधानसभा में मतदान के बाद हुई समर्थकों में जमकर मारपीट...

जौनपुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के सातवें और अंतिम चरण की वोटिंग समाप्त होने के बाद जौनपुर जिले में बवाल हो गया। जेडीयू प्रत्याशी धनंजय सिंह और समाजवादी पार्टी के समर्थक आपस में भिड़ गए। इतना ही नहीं, दोनों धनंजय सिंह और सपा प्रत्याशी लकी सिंह के समर्थकों के बीच कई राउंड गोलियां भी चलीं। इस दौरान काफी तोड़फोड़ और पथराव भी हुआ। गोली लगने से संदीप यादव नामक एक युवक जख्मी हो गया है। उसके पैर में गोली लगी है और पथराव में कुछ लोगों भी घायल होने की भी सूचना है। सूचना पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल भारी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। पुलिस वालों को देखने के बाद दोनों पक्ष फरार हो गया। समाचार लिखे जाने तक मुकदमा दर्ज नहीं हो पाया था। जौनपुर की मल्हनी सीट पर धनंजय सिंह और सपा विधायक लकी यादव आमने-सामने हैं। धनंजय सिंह जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़े रहे हैं तो वहीं सपा के टिकट पर पूर्व कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव ने एक बार फिर किस्मत आजमाई है।


विधानसभा चुनाव सम्पन्न होते ही मल्हनी विधानसभा के रीठी गांव में सपा प्रत्याशी लकी यादव और जनता दल यू के प्रत्याशी धनंजय सिंह के समर्थको के बीच जमकर मारपीट हो गयी। मारपीट की खबर मिलते ही भारी पुलिस फोर्स मौके पर पहुंचकर कमान सम्भाल लिया। हवाई फारिंग भी होने की खबर आयी है, हलांकि पुलिस गोली चलने की घटना से इंकार कर रही है। मिली जानकारी के अनुसार मल्हनी विधानसभा क्षेत्र के रीठी बुथ पर आज फर्जी मतदान को लेकर सपा और धनंजय सिंह के समर्थको के बीच तीखी झड़प हुआ था। लेकिन मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने दोनो पक्षो को समझा बुझाकर मामला शांत करा दिया था। शाम छः बजे मतदान सम्पन्न होने के बाद दोनो पक्ष आमने सामने आ गये। पहले दोनो पक्षो में मारपीट हुई। यह खबर मिलते ही भारी पुलिस फोर्स मौके पर पहुंकर जांच पड़ताल कर रही है। फिलहाल स्थिति समान्य हो गयी है। परन्तु अभी मतगणना के बाद भी जौनपुर पुलिस के लिए दोनों पक्षों के समर्थकों पर नजर रखना और उन पर नियंत्रण रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी 


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