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सोमवार, 14 मार्च 2022

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव-2022 में 104सीटों पर भाजपा के नये चेहरे चुनाव जीतकर आये तो वहीं 80हारी हुई सीटों पर मिली जीत ने पार्टी के नेताओं को कर दिया हैं,गदगद

भाजपा ने हारी हुई सीटों पर चला ये दांव तो कई सीटों पर पलट गई बाजी...

उत्तर प्रदेश में चढ़ा भगवा रंग से भाजपाई हुए गदगद... 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के पीछे उसके रणनीतिक कौशल का भी खास योगदान है। भाजपा ने रणनीतिक सूझबूझ ने हारी हुई सीटों पर भी जीत का परचम लहराया है। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पिछली साल 2017 में हारी हुई सीटों पर जीत का परचम लहराने की योजना बनाई थी‌। भाजपा ने 85 में से 23 सीटों पर जीत का परचम लहराने में सफल हुई है और इनमें से अधिकतर सीटों पर नए चेहरों को मैदान में उतारा गया था। इन सीटों से कुछ सीटें ऐसी भी थीं, जिन पर कई दशकों से दूसरी पार्टियों ने कब्जा जमाया था। साल 2017 में मोदी नाम की सुनामी के बाद भी जिन सीटों पर भाजपा हारी, वहां उम्मीदवार बदले गए। बदलाव की बात लोगों तक पहुंचाई गई और भाजपा इसमें सफल रही है।


रामगोविंद चौधरी की सीट भी खिला कमल...


इस बार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कुछ ऐसी सीटों पर दांव लगाया था, जिस पर जीत परचम लहराना उसके लिए मुश्किल था। इनमें मैनपुरी, सिधौली, चिल्लूपर, बांसडीह, रायबरेली सदर, कन्नौज सदर जैसी सीटें शामिल थीं। बांसडीह में विधायक दल के समाजवादी पार्टी नेता राम गोविंद चौधरी चुनाव लड़ रहे थे। यहां भारतीय जनता पार्टी ने निषाद पार्टी के केतकी सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था। केतकी ने राम गोविंद चौधरी को पराजित कर ये सीट भारतीय जनता पार्टी की झोली में डाल दिया है। बांसडीह सीट पर सपा के वरिष्ठ नेता रामगोविंद चौधरी लगातार छह बार से जीत का परचम लहरा रहे थे। इस बार भी माना जा रहा था कि राम गोविंद फिर जीत का परचम लहरा कर सदन में पहुंचेंगे, लेकिन चुनाव हार गए। राजभर के साथ गठबंधन भी राम गोविंद चौधरी की मदद नहीं कर पाया। बैरहाल ऐसा कहा जा रहा है कि सपा मुखिया अखिलेश राम गोविंद चौधरी को एमएलसी बनाएंगे और सदन में लेकर आएंगे ताकि उन्हें विधान परिषद का नेता बनाया जा सके।


खत्म हुई गोरखपुर में चिल्लूपार से हाते की हनक...


गोरखपुर में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी की पारंपरिक चिल्लूपर सीट पर जीत का परचम लहरा कर कब्जा कर लिया। हरिशंकर के बेटे विनय शंकर पिछली बार बहुजन समाज पार्टी से विधायक थे और इस बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में थे। विनय शंकर त्रिपाठी को भारतीय जनता पार्टी के राजेश त्रिपाठी ने पराजित किया है। सूबे की राजधानी लखनऊ की मोहनलालगंज सीट पर भारतीय जनता ने पहली बार जीत का परचम लहराया है तो वहीं 40 साल बाद सीतापुर जिले की सिधौली सीट पर भी जीत का परचम लहराया है। भारतीय जनता पार्टी ने अन्य पार्टियों के विधायकों को ये खोई हुई सीटें जीतने का मौका दिया और कई सीटों पर अपने और सहयोगियों के नए चेहरों को भी उतारा। सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली की सदर सीट जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस विधायक अदिति सिंह को अपनी पार्टी में शामिल कर उन्हें चुनाव लड़ाया और सीट पर भगवा लहरा लिया। सिधौली जीतने के लिए सपा से मनीष रावत और हरदोई सदर सीट जीतने के लिए भाजपा से नितिन अग्रवाल को अपनी पार्टी में लिया और हरदोई सदर सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हो गया।


दूसरे दलों के सहारे भी पुराने गढ़ों पर किया कब्जा...


भारतीय जनता पार्टी ने 85 सीटों में से कुल 69 सीटों पर नए चेहरे उतारे थे। इनमें से पार्टी ने 19 सीटों पर कब्जा किया था। शेष 16 सीटों पर साल 2017 का चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इनमें से 4 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी। भारतीय जनता पार्टी ने पहले बड़े पैमाने पर मौजूदा विधायकों के टिकट काटने की योजना बनाई थी, लेकिन सिर्फ 104 विधायकों के टिकट काटे गए। इन 104 सीटों पर नए चेहरों को मैदान में उतारा गया और इनमें से भारतीय जनता पार्टी ने फिर से 80 पर जीत हासिल की। वहीं, 214 मौजूदा विधायक मैदान में थे और 170 सीटों पर भाजपा फिर से जीतने में सफल रहे भारतीय जनता पार्टी इस जीत से गदगद नजर आ रही है। पार्टी के महासचिव और चुनाव प्रबंधन प्रभारी जेपीएस राठौर का कहना है कि इस बार हमने पिछली बार हारे या दशकों से हारे सीटों को जीतने की योजना तैयार की थी। पिछली बार हारी हुई 85 सीटों में से वह इस बार 23 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल थी। इस बार हम कुल 68 फीसदी सीटें जीतने में सफल रहे और पिछली बार जीती गई 78 फीसदी सीटों पर फिर से कमल खिल गया।


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