असीम अरुण 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे और अपने उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे पिता से पुलिस सेवा में आने की प्रेरणा लेकर पुलिस अफसर बने और अब राजनीति के जरिये जनता और समाज की करेंगे, सेवा...
कानून की रक्षा करने वाले असीम अरुण पुलिस अफसर से बन गए विधायक... |
कन्नौज। इत्रलोक के कन्नौज सदर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पहली बार चुनावी रण में उतरे पूर्व आईपीएस असीम अरुण ने 6,362 वोटों के अंतर से जीत का परचम लहराया है। असीम अरुण को कुल 1 लाख, 20 हजार, 555 वोट मिले। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अनिल कुमार दोहरे को 1,14,193 मत मिले थे। पूर्व आईपीएस असीम अरूण का जन्म बदायूं जिले में हुआ था, लेकिन असीम अरुण मूलरूप से इत्रलोक कन्नौज के रहने वाले हैं। इनके पिता श्रीराम अरुण उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक थे और माता शशि अरुण जानी मानी लेखिका और समाजसेविका भी रही। असीम अरूण ने पिता से प्रेरणा लेकर ही पुलिस सेवा में आने का फैसला लिया। इनकी शुरुआती पढ़ाई सेंट फ्रांसिस स्कूल से हुई। इसके बाद दिल्ली के सेंसिविटी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की।
असीम अरुण 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी है। भारतीय पुलिस सेवा में आने का बाद कई जिलों में तैनात रहे। टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड से लेकर बलरामपुर, हाथरस, सिद्धार्थ नगर, अलीगढ़, गोरखपुर और आगरा में बतौर पुलिस अधीक्षक एवं उप पुलिस महानिरीक्षक के पद पर सेवाएं दी। इसके बाद कुछ दिनों के लिए असीम अरूण स्टडी रिलीफ में विदेश चले गए। इसके बाद असीम अरूण ने यूपी एटीएस का प्रभार संभाला। वाराणसी जोन के आईजी भी रहे। इसके बाद एटीएस के आईजी भी बनाये गए। असीम अरुण प्रदेश के अलग-अलग जिलों के कप्तान, डीआईजी के अलावा एटीएस के मुखिया और एडीजी भी रहे हैं। पुलिस की स्वाट टीम के गठन का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। आपातकालीन सेवा UP-100 के डीजी भी रहे। पुलिस अफसर रहते हुए भाजपा नीति और सिद्धांतो से प्रभावित होकर अपनी पुलिस सेवा से वीआरएस लेकर भाजपा में शामिल में हुए और पार्टी में शामिल होते ही पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उन्हें विधायक का टिकट दे दिया और वह पार्टी के विश्वास पर खरा उतरे। पहली बार में ही वह विधायक निर्वाचित हो गए।
देखना है कि उत्तर प्रदेश की सत्ता में योगी आदित्यनाथ की सरकार में असीम अरुण को मंत्रिमंडल में स्थान मिल पाता है अथवा अभी इंतजार करना पड़ सकता है। वैसे असीम अरुण ने आईएसआईएस के आतंकवादी सैफुल्लाह का एनकाउंटर ऑपरेशन को लीड किया था। सैफुल्लाह कानपुर का रहने वाला था। असीम अरुण को जानकारी मिली थी कि वह लखनऊ के ठाकुरगंज में छिपा हुआ है। यह पूरा घटनाक्रम पिछले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बिल्कुल आखिरी में 8 मार्च, 2017 में हुआ था। 22 साल के सैफुल्लाह के एनकाउंटर के बाद मिशन लगभग 12 घंटे तक चला था। असीम अरुण के नेतृत्व में कमांडर ने सैफुल्लाह को सरेंडर करने को कहा, लेकिन सैफुल्लाह ने सरेंडर नहीं किया और सुरक्षा टीम पर गोलीबारी जारी रही। जवाबी कार्रवाई में उसे मार गिराया गया। एनकाउंटर के बाद सैफुल्लाह के पास से आईएसआईएस का झंडा भी मिला था। असीम अरुण तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सुरक्षा में भी शामिल रहे। एसपीजी में क्लोज प्रोटेक्शन टीम (CPG) का भी नेतृत्व कर चुके हैं।
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