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शुक्रवार, 18 मार्च 2022

विधानसभा में प्रचंड जीत के बाद अब सूबे में एमएलसी के चुनाव में भाजपा की साख दांव पर, 36 सीटों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों और भाजपा के उम्मीदवारों में होगी कड़ी टक्कर

यूपी के विधानसभा के चुनावी नतीजे आने के बाद अब उच्च सदन यानि  विधान परिषद चुनाव (UP Vidhan Parishad) के लिए सियासी दलों ने लामबंदी शुरू कर दी है, 36सीटों पर होने वाले विधान परिषद चुनावों के लिए 15मार्च से शुरू है, नामांकन...

सूबे में चुने जाएंगे, 36एमएलसी...

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के बाद अब विधान परिषद (UP Vidhan Parishad) में बहुमत की लड़ाई तेज होगी। चुनावी नतीजे आने के बाद अब उच्च सदन यानी विधान परिषद चुनाव के लिए सियासी दलों ने लामबंदी शुरू कर दी है। 36 सीटों पर होने वाले विधान परिषद चुनावों के लिए 15 मार्च से नामांकन शुरू होगा। पहले चरण के लिए नामांकन 19 मार्च तक किए जा सकेंगे। 21 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 23 तक नाम वापस लिए जा सकेंगे, जिसने नामांकन कर लिया है। वह नामांकन मान्य होगा। आइए जानते हैं विधान परिषद सदस्य यानी एमएलसी का चुनाव कैसे होता है और इस चुनाव की निर्वाचन प्रक्रिया क्या है।


इस बार सूबे में चुने जाएंगे, 36एमएलसी...


प्रदेश में स्थानीय निकाय कोटे की विधान परिषद की 35 सीटें हैं। इसमें मथुरा-एटा-मैनपुरी सीट से दो प्रतिनिधि चुने जाते हैं, इसलिए 35 सीटों पर 36 सदस्यों का चयन होता है। अमूमन यह चुनाव विधानसभा के पहले या बाद में होते रहे हैं। इस बार 7 मार्च को कार्यकाल खत्म होने के चलते चुनाव आयोग ने विधानसभा के बीच में ही इसकी घोषणा कर दी थी। बाद में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर परिषद के चुनावों को टाल दिया गया। स्थानीय निकाय की सीटों पर सांसद, विधायक, नगरीय निकायों, कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य, जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायतों के सदस्य, ग्राम प्रधान वोटर होते हैं।

जिस दल की होती है सत्ता, उच्च सदन में दिखता है, उसी दल का दम...

उच्च सदन में किसका दम रहेगा, यह निचले सदन यानी विधानसभा में पार्टियों के दम खम पर भी निर्भर करता है। आमतौर पर यह चुनाव सत्ता का ही माना जाता है। अभी तक के रेकॉर्ड तो यही कहानी बयां करते हैं। मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में वर्ष- 2004 में हुए चुनाव में सपा 36 में से 24 सीटों पर काबिज हुई थी। बसपा के पास एक भी सीट नहीं थी। वर्ष-2010 में जब इन सीटों पर चुनाव हुए तो बसपा सत्ता में थी। उसने 36 में 34 सीटें जीतकर लगभग क्लीन स्वीप कर लिया था। इसके बाद फरवरी-मार्च 2016 में अखिलेश यादव के सीएम रहते चुनाव हुए तो सपा 31 सीटें जीत गई। इसमें 8 सीटों पर निर्विरोध जीत भी शामिल थी, जबकि पहले सपा केवल एक सीट जीती थी।

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