विश्वनाथगंज विधानसभा सीट संजय पांडेय के पिता स्व. राजाराम पाण्डेय जी की सीट रही, दो बार संजय पाण्डेय इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं,परन्तु उन्हें दोनों बार नहीं मिली सफलता...
युवा व कर्मठ नेता संजय पाण्डेय को इस बार सपा सुप्रीमों 248- प्रतापगढ़ का टिकट दिया, परन्तु उन्होनें यह प्रस्ताव ठुकरा दिया, क्योंकि विश्वनाथगंज विधानसभा सीट को वह अपने पिता की परम्परागत सीट और विश्वनाथगंज को मानते हैं,अपना परिवार...
संजय पाण्डेय युवा नेता समाजवादी पार्टी... |
प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश की राजनीति में स्व. राजाराम पाण्डेय का भी कोई जोड़ नहीं था, आज उन्हीं के पुत्र संजय पांडेय को समाजवादी पार्टी में टिकट के लाले पड़े हैं। अपने पिता के निधन के पश्चात संजय पाण्डेय राजनीति के क्षेत्र में उनके उत्तराधिकारी के तौर पर उसी सीट से उप चुनाव में आए। वह दो बार चुनाव लड़े। पहली बार उप चुनाव वर्ष- 2014 और दूसरा आम चुनाव वर्ष- 2017 जो सपा और कांग्रेस के गठबंधन से लड़ा था। सीट समझौते में कांग्रेस में चली गई थी, फिर संजय पाण्डेय को अखिलेश यादव ने प्रियंका और राहुल से कहकर कांग्रेस और सपा का उम्मीदवार बनवा दिया। संजय पाण्डेय चुनाव बहुत ही बढ़िया लड़ा, भले ही उन्हें हार मिली, लेकिन जनता का भरपूर प्यार भी मिला।
आज के दौर में कम नेता संजय पाण्डेय की तरह विचार रखते होंगे, आइये जाने युवा नेता संजय पाण्डेय के उद्गार। मैं राजनीति में व्यापार करने नहीं आया हूँ। मैं राजनीति के मैदान में विश्वनाथगंज के लोगों की सेवा करने आया हूँ, करता रहूँगा। इसे छोड़कर कहीं नहीं जाने वाला। विश्वनाथगंज के लोगों की कीमत पर मुझे कोई पद स्वीकार्य नहीं है। अतः मैं यहीं रहूँगा, अपने लोगों के बीच रहकर ही मुझसे जो बन पड़ेगा मैं करता रहूँगा...
युवा नेता संजय पाण्डेय की किस्मत खराब थी, नहीं तो उप चुनाव लोकसभा के आम चुनाव के साथ न हुआ होता तो संजय पाण्डेय अपने पिता स्व. राजाराम पाण्डेय की सहानुभूति में पहली बार में विश्वनाथगंज से विधायक निर्वाचित हो गए होते। संजय पाण्डेय दो चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र में बने रहे, जनता के सुख-दु:ख में सहभागी बनते रहे। पार्टी के प्रति वफादारी में कोई कसर बाकी नहीं रखी। लेकिन आज समाजवादी पार्टी ने उनकी वफादारी का ईनाम उनका विश्वनाथगंज से टिकट काटकर दिया है। पार्टी उन्हें सदर से प्रत्याशी बनाना चाहती थी। लेकिन संजय पांडेय ने जो जवाब दिया वह जवाब आज के स्वार्थी दौर में कम ही लोग दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वनाथगंज के लोगों की सेवा करते हुए मेरे पिता का स्वर्गवास हुआ। मैंने भी अपना तन, मन, धन सब यहीं के लोगों के लिए समर्पित कर रखा है।
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