राजनीतिक शतरंज के प्यादे अपनी चाल से विरोधी खेमे में तहलका मचाने को कमर कस चुके हैं तो वहीं चुनावी हवा के झोंके धीरे-धीरे तूफानों में परिवर्तित होने को उत्कंठित हैं...
वर्ष-2022 में पट्टी से कौन पहुँचेगा विधानसभा...
विधानसभा चुनाव- 2022 के पांचवे चरण में 27फरवरी को प्रतापगढ़ जिले में मतदान होना है, जिसमें 249-पट्टी विधानसभा का चुनाव भी संम्पन्न होगा। यहाँ राजनीतिक शतरंज के प्यादे अपनी चाल से विरोधी खेमे में तहलका मचाने को कमर कस चुके हैं। सियासी खिलाड़ी चुनावी मेले में मंझे हुए दुकानदार की भांति जनतारूपी ग्राहक की झोली में वादों और घोषणाओं की वस्तुएं अनायास ही मुफ्त में भरे जा रहे हैं। पट्टी में हर वर्ष लगने वाला ऐतिहासिक मेला इस सियासी मेले के प्रपंचों को देखकर हतप्रभ है। जातिवाद, सम्प्रदायवाद और अगड़े-पिछड़े के रथ पर सवार सियासतदार विधानसभा भवन में प्रवेश करने को छटपटा रहे हैं। पट्टी विधानसभा में वर्ष-1996 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए मोती सिंह को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था और वह पहली बार विधानसभा में पहुँचे थे। वर्ष-2002 और वर्ष-2007 में भी मोती सिंह पट्टी से विधायक बने थे। वर्ष-2012 में मोती सिंह सपा उम्मीदवार रामसिंह पटेल के हाथों महज 156 मतों से चुनाव हार गए थे।
वर्ष- 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से विजयश्री प्राप्त करने वाले राजेन्द्र प्रताप उर्फ ''मोती सिंह'' पर भाजपा आलाकमान ने फिर से दांव खेला है। विधायकी जीतने के बाद उन्हें पुरस्कृत करते हुए मंत्री पद भी दिया गया। अभी मोती सिंह पूरे लाव-लश्कर के साथ चुनावी मैदान में हैं और निरंतर जनता से संवाद स्थापित कर रहे हैं। इसी दौरान अभी हाल ही में उन्होंने एक चुनावी जनसभा में अपराधियों और गुंडों की गर्मी निकालने वाला बयान देकर राजनीतिक हल्के के तापमान को बढ़ा दिया है। आरोप-प्रत्यारोपों का दौर इतना प्रचंड है कि बुलेट ट्रेन की रफ्तार भी धीमी प्रतीत हो रही है।भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में स्टार प्रचारकों का सड़क मार्ग के साथ-साथ हवाई मार्ग से भी आगमन की गति बाँध से छूटे जल के वेग सरीखे है जो ताबड़तोड़ जारी है। मंत्री मोती सिंह के पक्ष में जनसभाओं को देखकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मंत्री मोती सिंह इस बार रामसिंह पटेल से डर गए हैं। तभी लगातार अपने पक्ष में भाजपा के स्टार प्रचारकों का उड़न खटोला पट्टी की धरती पर उतार रहे हैं।
आखिरकार अपना दल एस की अनुप्रिया पटेल ने प्रतापगढ़ में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभा करने की स्वीकृत देकर तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया। यानि भाजपा में तरकश के सारे तीर प्रतापगढ़ के चुनावी रणक्षेत्र में आजमाने से नहीं चूक रही है। क्षत्रिय, पिछड़े और व्यापारी वर्ग के साथ वर्मा/पटेल/कुर्मी मतदाताओं का झुकाव यदि भाजपा की तरफ हुआ तो कमल का फूल एक बार फिर से खिल सकता है। जबकि दूसरी तरफ कमल के फूल को घेरने के लिए साइकिल तालाब के किनारे निरंतर चक्कर लगा रही है। साइकिल पर सवार रामसिंह पटेल लगातार कमल के फूल की हर एक गतिविधि पर पैनी नजर रखे हुए हैं। वह पिछली बार के चुनाव में हुई चूक को ध्यान में रखकर इस बार अचूक निशाना लगाने के लिए मुस्तैद हैं। यादव, पटेल, कुर्मी, वर्मा और मुस्लिम मतदाताओं के साथ यदि अन्य वर्ग के मतदाताओं ने थोड़ा सा भी रुझान दिखाया तो साइकिल की गति पर अंकुश लगाना अन्य दलों के लिए टेढ़ी खीर ही साबित होगी।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव उड़नखटोले से प्रतापगढ़ आकर साइकिल की रफ्तार बढ़ाने को तत्पर दिखाई दे रहे हैं। चुनावी मैदान में सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव सियासी युद्ध कला-कौशल का प्रदर्शन करके विरोधी खेमे में हाहाकार मचाते हुए विजय पताका फहरा सकेंगे, यह तो जनता ही जानती है। इस बार बसपा ने फूलचंद्र मिश्र को पट्टी से हाथी की सवारी का अवसर दिया है। जातीय समीकरण की गुणा-गणित में बसपा के कोर मतदाता, प्रबुद्ध वर्ग ब्राह्मण तथा कुछ अन्य जाति के मतदाता यदि हाथी की चाल पर मोहित हुए तो परिणाम अप्रत्याशित आने की संभावना रहेगी। पट्टी विधानसभा में सबसे अधिक जनसभाएं भाजपा के प्रत्याशी मंत्री मोती सिंह के पक्ष में हुई हैं। देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह सहित सूबे के मुखिया आदित्यनाथ जनसभा करके भाजपा प्रत्याशी मोती सिंह के पक्ष में माहौल बनाने का कार्य कर चुके हैं। अब सपा के उम्मीदवार रामसिंह पटेल के पक्ष में सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव की जनसभा प्रस्तावित है।
भाजपा और सपा, कांग्रेस के स्टार प्रचारक प्रतापगढ़ की धरा पर सशरीर उपस्थित हो रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ बसपा का कोई स्टार प्रचारक प्रतापगढ़ की धरती पर नहीं आ सके हैं, यह भी राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय है। कांग्रेस ने सुनीता सिंह पटेल पर भरोसा जताया है और वह निरंतर क्षेत्र में भ्रमणशील हैं। पटेल/कुर्मी मतदाता के साथ अन्य वर्ग के मतदाताओं का झुकाव सुनीता सिंह पटेल की तरफ कितना होता है, यह तो मतगणना के दिन ही पता चल सकेगा। फिलहाल चुनावी दंगल में महारथियों के आगमन के दौरान दांव-पेंच का प्रस्तुतीकरण, जनता के हितैषी होने का प्रचंड आश्वासन, मुफ्त में सुविधाओं का खजाना, वादों और घोषणाओं की अनंत बारिश के साथ जातीय तथा सम्प्रदायवाद का लुभावना अंदाज क्षण-प्रतिक्षण दृष्टिगोचर हो रहा है। चुनावी हवा के झोंके धीरे-धीरे तूफानों में परिवर्तित होने को उत्कंठित हैं। सियासी दल जनता के द्वार जाकर वादों की गठरी जबरन देने को लालायित हैं। शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार आदि मुद्दे गायब हैं, जबकि जाति और धर्म का जहर वातावरण में फैलाया जा रहा है।
जनता भी शांत भाव से सियासी मदारियों के हैरतंगेज कारनामों का लुत्फ उठा रही है तो वहीं सियासतदार जनता का यह रूप देखकर अशांत है। जाति-धर्म की उपजाऊ खेती में हर दल द्वारा बढ़ चढ़कर उर्वरक, जल और कीटनाशक रसायन मुफ्त में देने का आश्वासन भरपूर मात्रा में दिया जा रहा है। किसकी सियासी खेती लहलहाई, उपज क्या रही, अनाज रूपी वोटों का भंडारण करने में कौन अग्रणी रहा ? यह तो आगामी 10 मार्च को जादुई पिटारा रुपी ईवीएम के खुलने पर ही पता चलेगा। फिर भी प्रतापगढ़ में तीन दिग्गज राजनीति के क्षेत्र में जाने जाते हैं जो इस चुनाव में अंदर ही अंदर एक हो चुके हैं और एक दूसरे की विधानसभा में मदद पहुँचा रहे हैं। कांग्रेस के कथित दिग्गज प्रमोद कुमार जहाँ पट्टी में मंत्री मोती सिंह के सामने संजय मिश्र का टिकट काटकर दलबदलू उम्मीदवार सुनीता पटेल को महज इसलिए कांग्रेस से पट्टी का उम्मीदवार बनाया ताकि सुनीत पटेल कांग्रेस के बैनर तले सपा प्रत्याशी रामसिंह पटेल नुकसान पहुँचाते हुए मंत्री मोती सिंह को लाभ पहुँचा सके।
इसी तरह जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी ने भी कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। जबकि युवा नेता दिनेश तिवारी पट्टी विधानसभा से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से टिकट के लिए अति उत्साहित थे, परन्तु उन्हें समझा बुझाकर बैठा लिया गया। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी से राम अभिलाष वर्मा बिना टिकट पाये ही जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी से प्रचार अभियान में लग गए थे, जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह भी अपना दल बलिहारी पार्टी से उम्मीदवार हो गए। सबसे सचरित्रवान आम आदमी पार्टी ने भी पट्टी से अजय यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। जनाधिकार पार्टी से एक मुसलमान उम्मीदवार मुजम्मिल हुसैन को चुनावी मैदान में उतारा हैं। ये सारे उम्मीदवार कहीं न कहीं सपा उम्मीदवार रामसिंह पटेल को नुकसान पहुँचाने के लिए मंत्री मोती सिंह के पक्ष में काम करते दिख रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार मोती सिंह बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से राजनीतिक दलों से सेटिंग-गेटिंग करके खड़ा कराये हैं। फिर भी राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मंत्री मोती सिंह की स्थिति इस बार पट्टी में ठीक नहीं दिख रही है।
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