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बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

जिले की सात विधानसभाओं में ब्राह्मणों व मुसलमानों की नजरंदाज़ी सपा मुखिया को पड़ सकती है, भारी

प्रतापगढ़ जिले में एक भी ब्राह्मण व मुसलमान को नहीं टिकट दिया गया टिकट,भगवान परशुराम की मूर्ति के अनावरण का ढोंग व ईद मिलन का नाटक का जगह-जगह हो रही है,चर्चा...

आधुनिक समाजवाद की नई तस्वीर...

प्रतापगढ़, जिले में सात विधानसभा में एक में भी समाजवादी पार्टी द्वारा ब्राह्मण या मुसलमान को टिकट न देने का खामियाजा विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। लोगों का यहां तक कहना है कि भगवान परशुराम की मूर्ति अनावरण का ढोंग रचने वाली सपा की कलई खुल चुकी है। ईद मिलन का नाटक बहुत कर लिया सपा मुखिया ने। यह बाते लोगों की जुबान पर चर्चा का विषय बन गई हैं।जिले में ब्राह्मणों व मुसलमानों पर भरोसा न जताने वाली सपा को उसकी औकात बता देने के मूड में जनता दिखाई दे रही है।


समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तो अपने पिता से भी दो हाथ आगे निकल गए। कम से कम मुलायम सिंह यादव तो दोस्ती का निर्वहन भी करते थे किंतु अखिलेश यादव तो ऐसे दाव चले कि जिले के ब्राह्मणों व मुसलमानों को उनकीऔकात दिखा दी। कमोबेश जिले में सात विधानसभा में किसी भी ब्राह्मण व मुसलमानों पर भरोसा नहीं जताया। रानीगंज विधानसभा में कद्दावर मंत्री के रूप में शिवाकांत ओझा की प्रदेश में धमक रहती थी। उन्हें न केवल उठापटक के बीच पार्टी छोड़ने को मजबूर कर दिया बल्कि उनके स्थान पर बाहुबली विनोद दुबे को पहले तो टिकट दिया, ऐन मौके पर काटकर टिकट उनको भी ढक्कन बना दिया।


यही नहीं सदर विधानसभा में बृजेश सौरभ बेचारे भारतीय जनता पार्टी छोड़कर वहां गए उनको भी अखिलेश ने कहीं का नहीं छोड़ा। उनकी ऐसी दुर्गत कराई की टिकट देने की बात तो दूर उन्हें टिकट की संभावित सूची में भी नहीं रखा। विश्वनाथगंज विधानसभा में तो हद ही पार कर दी। यहां पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तो अपना जलवा इटावा की तर्ज पर दिखा दिया। अपने किसी रिश्ते की डोर में परिवारवाद की ऐसी मिसाल पेश की कि धृतराष्ट्र भी इस परिवारवाद को देखकर स्वर्ग में बैठे पानी पानी हो जाएंगे। सालों से पार्टी का झंडा उठाकर अखिलेश यादव के नाम की माला जप रहे संजय पांडेय को ऐसा धोबी पछाड़ मारा की वह चुनाव लड़ने से पूर्व ही धराशाई हो गए।

 

प्रदेश भर में ब्राह्मणों को अपने साथ करने का आडंबर रचने वाले अखिलेश यादव ब्राह्मणों के भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापना का ढोंग भले ही रचने में लगे रहे हो किंतु प्रतापगढ़ में रानीगंज, कुंडा, विश्वनाथ गंज, सदर, पट्टी, बाबागंज, रामपुर, खास कहीं पर भी ब्राह्मण तथा मुसलमान चेहरे पर भरोसा न करते हुए टिकट नहीं दिया। इसके पीछे उनकी मंशा को लोगों ने भाप लिया है। इस आक्रोश का खामियाजा तो निश्चित रूप से सपा को भुगतना ही पड़ेगा। जिले की सभी विधानसभा में ब्राह्मणों एवं मुसलमानों  की एक बड़ी संख्या है। इस बात को लेकर आक्रोश उस समय और पनप उठा जब पूर्व मंत्री स्वर्गीय राजाराम पाण्डेय के पुत्र संजय  का टिकट दाखिला से कुछ मिनट पहले सपा मुखिया द्वारा टिकट काट दिया गया। 


ब्राह्मणों मुसलमानों के साथ सर्व समाज में संजय पांडेय को विश्वनाथगंज विधानसभा में लोग बेटे जैसा प्यार देते हैं। लोगों का यह भी आरोप है कि पूर्व मंत्री राजाराम पाण्डेय की मौत के पीछे सपा में उनकी उपेक्षा रही। अब ऐसे में ब्राह्मण वह मुसलमान सपा में कितना भरोसा जताएगा, यह कहना बहुत मुश्किल है। सपा मुखिलेश यादव मुसलमान को यूज एंड थ्रो की नीति अपनाकर ढक्कन बनाने का कार्य कर रहे हैं। पूर्व विधायक श्याद अली, शकील, गुलफाम सहित कई नेता मन में अपनी इच्छा दबाकर मजबूरन पार्टी का झंडा मन मसोसकर ढोने में लगे हुए हैं। दो बार मंशा अहमद रानीगंज विधानसभा में दिए थे। वर्ष-2017 के चुनाव में शकील अहमद रानीगंज में दो नंबर पर थे। रानीगंज में मुस्लिमों के विरोध की वजह से प्रो. शिवाकांत ओझा का सपा मुखिया अखिलेश यादव ने काटा, परन्तु मुसलमान को रानीगंज की सीट न देकर दलबदलू विधायक डॉ आर के वर्मा को देकर सपा ने अपनी हार चुनाव परिणाम से पहले ही लिख ली है 


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