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बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

प्रतापगढ़ रानीगंज तहसीलदार की पत्नी से मोहब्बत ने बना दिया सुपारी किलर, लखनऊ में महिला सिपाही की हत्या में तीन आरोपियों को लखनऊ पुलिस ने किया, गिरफ्तार

जिस मोबाइल नम्बर से नामवर सिंह ने महिला सिपाही रूचि सिंह को फोन करके अपनी दुकान पर बुलाया था,वारदात के बाद नामवर सिंह ने प्रगति को काम हो जाने की जानकारी दी थी,मोबाइल से हुई कॉल से पुलिस को मिले हत्या के अहम सुराग...

महिला कांस्‍टेबल को सौतन बनता देख सह न पाई तहसीलदार की पत्‍नी, सौतन से वैर रखने वाली तहसीलदार की पत्नी भी प्रेमजाल में फंसी,प्रेमी संग मिलकर बनाया ऐसा मास्‍टर प्‍लान,जमीन की खारिज दाखिल के दौरान नामवर सिंह की नजदीकियां तहसीलदार की पत्नी से बढ़ी और सौतन की हत्या की सुपारी देकर नामवर सिंह से कराई सौतन की हत्या...

सौतन की हत्या कराने के चक्कर में तहसीलदार की पत्नी खुद दे बैठी आशिक को दिल...

लखनऊ। रुचि हत्याकांड में शामिल प्रतापगढ़ के तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव, उसकी पत्नी प्रगति और नामवर सिंह को पुलिस ने सोमवार को न्यायालय के समक्ष हाजिर किया, जहाँ से अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया। पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि हत्याकांड की साजिश तो तीनों आरोपितों ने ही रची थी, लेकिन मास्टर माइंड प्रगति थी। प्रगति और नामवर के बीच नजदीकियां रानीगंज में आने के बाद बढ़ी थी। नामवर सिंह अपने एक जमीन की खारिज दाखिल तहसीलदार रानीगंज पद्मेश श्रीवास्तव से करवाई थी और उसी के बाद नामवर सिंह तहसीलदार के घर आने जाने लगा।

एक दिन तहसीलदार रानीगंज के घर नामवर सिंह पहुँचा तो पता चला कि साहेब नहीं हैं। दरवाजा उनकी पत्नी प्रगति ही खोला था तो सामने नामवर सिंह मिला। नामवर सिंह को देखकर प्रगति ने कहा साहेब घर पर नहीं है तो नामवर सिंह ने कहा कि मैं जनता हूँ कि साहेब घर पर नहीं हैं। आज तो मैं आपसे ही मिलने आया हूँ। आपसे से एक बात पूछनी है कि आप बहुत गुमशुम रहती है और परेशान भी रहती हैं। ऐसी क्या वजह है जो आप हमेशा खोई-खोई रहती हैं। इतनी बात सुनते ही प्रगति अपने आपको रोक न सकी और फफक कर रो पड़ी तो नामवर सिंह ने उन्हें ढाढस बंधाते हुए अन्दर ले गया और उनकी जुबानी पूरी कहानी सुना।

इधर, रुचि सिंह की नजदीकियां बढ़ने के बाद पद्मेश श्रीवास्तव पर शादी का दबाव बनाने लगी। दबाव बढ़ने पर पद्मेश श्रीवास्तव ने रुचि सिंह को बताया कि वह शादीशुदा है। इसके बाद से दोनों में विवाद शुरू हो गया था। रुचि हर हाल में पद्मेश श्रीवास्तव से शादी करना चाहती थी। अक्सर दोनों का फोन पर झगड़ा होता था। पद्मेश श्रीवास्तव ने पत्नी प्रगति को पूरी बात बता दी थी। बार-बार फोन आने से पद्मेश श्रीवास्तव परेशान था और उसका पत्नी से भी आए दिन विवाद होने लगा था। घटना से कुछ दिन पहले रुचि ने पद्मेश श्रीवास्तव को फोन किया था, जिसे प्रगति ने उठाया था। प्रगति ने भी रुचि सिंह से बात की थी। इस दौरान फोन पर दोनों में जमकर कहासुनी हो गई। इसके बाद पद्मेश श्रीवास्तव ने रुचि सिंह की हत्या की साजिश रच डाली। इसके लिए उसने अपने परिचित नामवर सिंह को साजिश में शामिल किया।

रानीगंज तहसीलदार की पत्नी प्रगति ने अपनी आप बीती कहानी सुनकर नामवर सिंह के दिल में जगह बना ली और नामवर भी प्रगति को इस संकट से मुक्ति दिलाने के लिए हर संभव मदद देने के लिए तैयार हो गया। अब नामवर सिंह तहसीलदार के घर तभी जाता जब तहसीलदार साहेब घर पर नहीं होते थे। प्रगति ने अपना पर्सनल नम्बर नामवर सिंह को दे दिया और दोनों में काफी देर तक बातें होने लगी। नामवर सिंह को प्रगति में प्रेम आ गया और वह बिना उससे बात किये अब रह नहीं पाता था। धीरे-धीरे नामवर सिंह और प्रगति सिंह की प्रेम कहानी पींगे बढ़ाने लगी और वह अब तक एक दूसरे को चाहने लगे थे। प्रगति को स्वयं के लिए सौतन पसंद न थी, परन्तु नामवर सिंह से नजदीकियां बढ़ाकर वही गलती की जो उनके पति पद्मेश श्रीवास्तव ने महिला सिपाही रुचि से की थी। महिला सिपाही रूचि सिंह को रास्ते से हटाने के लिए तहसीलदार साहेब की पत्नी प्रगति ने अपने प्रेमी नामवर सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी। अब कार्य प्रेमिका को हो तो नामवर सिंह उसे कैसे मना करे ? इसलिए हत्या जैसे जघन्य अपराध को करने के लिए भी नामवर सिंह तैयार हो गया।

अब सारा प्लान जब तहसीलदार की पत्नी प्रगति ने प्रेमी नामवर सिंह के साथ मिलकर तैयार कर लिया तो एक दिन प्रगति ने सारी योजना अपने पति को बताई तो वह भी तैयार हो गया। प्रगति ने बड़े विश्वास के साथ नामवर सिंह के साथ अपने पति पद्मेश श्रीवास्तव को लखनऊ भेजा था। सुपारी किलर नामवर सिंह और पद्मेश श्रीवास्तव ने मिलकर पहले रूचि सिंह की हत्या का प्लान तैयार किया और उस प्लान के तहत पद्मेश श्रीवास्तव ने बताया कि रूचि सिंह को कोई बीमारी है और वह अपने इलाज के लिए एक बार हमसे कह रही थी तो हमने उसे मना कर दिया था। कहिये तो उसे फोन करके उसके इलाज के लिए उसे तैयार कराया जाए। नामवर सिंह भी प्लान को पास कर दिया और नामवर सिंह के मोबाइल नम्बर से पद्मेश श्रीवास्तव ने फोन कर उसे पीजीआई आने को कहा। रूचि सिंह को विश्वास में लेकर पद्मेश श्रीवास्तव उसे इलाज के लिए पीजीआई के पास बुला लिया। आरोपितों ने पहले पीजीआई लखनऊ में रुचि का इलाज कराने की योजना बनाई थी। इस दौरान उसे जहरीला इंजेक्शन देकर मौत के घाट उतारने की तैयारी थी। हालांकि यह योजना सफल नहीं हुई।

इसलिए तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव ने महिला सिपाही रूचि सिंह को दूसरे प्लान के तहत अनार के जूस में नींद की 10 गोलियां मिलाकर पिला दी थी। रुचि सिंह के बेहोश होने के बाद उसके सिर पर वारकर गला दबाकर हत्या कर दी थी। नामवर सिंह, रुचि का शव अपनी गाड़ी में लादकर पास के एक नाले में फेंक आया था। इसके बाद प्रगति को फोन कर उसने बताया था कि रुचि की हत्या कर दी गई है। वहीं,पद्मेश प्रतापगढ़ वापस लौट गया था। लखनऊ में महिला सिपाही रूचि सिंह की हत्या में त्रिकोणीय प्रेम प्रसंग जुड़ा हुआ है। डीसीपी पूर्वी अमित आनंद ने बताया कि महिला सिपाही रुचि सिंह चौहान का प्रतापगढ़ में तैनात तहसीलदार पद्मेश से फेसबुक से दोस्ती हुई। लम्बे रिलेशनशिप के बाद जब रुचि सिंह ने दो बच्चों के बाप पद्मेश श्रीवास्तव पर शादी का दबाव बनाया तो उसने इंकार कर दिया। लेकिन रुचि सिंह उसे जेल भिजवाने की धमकी देकर ब्लैकमेल करने लगी। उसने पद्मेश श्रीवास्तव की पत्नी प्रगति को भी कॉल करके धमकी दी। इस पर दंपति ने उसकी हत्या की साजिश रची। पद्मेश श्रीवास्तव के दो बच्चे हैं।

महिला सिपाही रुचि सिंह और पद्मेश श्रीवास्तव फेसबुक के जरिए संपर्क में आए थे। धीरे-धीरे दोनों में चैट के साथ-साथ फोन पर बातचीत होने लगी थी। कुछ दिन बाद ही दोनों की मुलाकात भी हो गई और वे करीब आ गए। रुचि का उसके पति अंकित गुप्ता से विवाद चल रहा था। अंकित भी सिपाही है और बरेली का रहने वाला है, जिसकी तैनाती प्रयागराज में है। अंकित, रुचि से तलाक लेने वाला था। 12 जुलाई से रुचि सिंह लापता थी। रुचि सिंह के साथ काम करने वाली महिला सिपाही ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट डालकर इसकी जानकारी दी थी। गुरुवार को पीजीआई इलाके में माती के पास नाले में अज्ञात महिला का शव मिला था, जिसकी शिनाख्त रुचि के रूप में शनिवार को की गई थी। ADCP काशिम आब्दी ने बताया कि 12 फरवरी को पद्मेश श्रीवास्तव लखनऊ आया। तहसीलदार रानीगंज पद्मेश श्रीवास्तव का सहयोगी नामवर सिंह की पीजीआई के कल्ली पश्चिम में एल्युमिनियम की दुकान है। इसलिए दोनों ने रुचि सिंह को यही पर मिलने के लिए बुलाया। रुचि सिंह पहुँची तो उसे गाड़ी में बैठाकर बातचीत के दौरान अनार के जूस में अल्प्राक्स की गोलियां पिलाई। बेहोशी में आने के बाद दोनों ने पहले उसका गला दबाया फिर किसी भारी चीज से सिर पर वार करके मार डाला।

सुपारी किलर नामवर सिंह को इस इलाके के बारे में पूरी जानकारी थी। नामवर सिंह ने कल्ली इलाके के एक नाले में रूचि सिंह के शव को फेंक दिया। शव को ठिकाने लगाने के बाद नामवर सिंह अपनी प्रेमिका प्रगति को फोन करके महिला सिपाही रूचि सिंह की हत्या की बात बताते हुए कहा कि हमने आपका काम कर दिया है। सुपारी किलर नामवर सिंह यह भूल गया कि जिस फोन नम्बर से वह रूचि सिंह को फोन करके पीजीआई बुलाया, उसी फोन नम्बर से वह अपनी प्रेमिका प्रगति को फोन करके काम हो जाने की बात बताकर अपराध का क्लू पुलिस के लिए छोड़ दिया, जो उसे कानून के शिकंजे में फंसने के लिए पर्याप्त रहा ADCP ने बताया कि रुचि सिंह को मौत के घाट उतारने के बाद नामवर सिंह ने अपने नम्बर से पद्मेश श्रीवास्तव की पत्नी प्रगति को कॉल किया था। उसने प्रगति को बताया कि काम को अंजाम दे दिया है। पुलिस ने रुचि के नम्बर की कॉल डिटेल निकाली तो आखिरी लोकेशन पीजीआई गेट और लास्ट कॉल नामवर की मिली। इसके बाद नामवर सिंह के नम्बर की डिटेल से प्रगति के बारे में जनकारी हुई। इसी से कड़ियाँ जोड़ते हुए पुलिस ने तीनों आरोपियों को दबोच लिया। तीनों आरोपियों ने अपने जुर्म कबूल कर लिए और रूचि सिंह की हत्या की गुत्थी सुलझ गई। पुलिस ने तीनों आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश किया, जहाँ से नयायालय ने तीनों हत्यारोपियों को जेल भेज दिया

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